गोपालगंज जेल के कैदी कर रहे BA-MA की पढ़ाई, बच्चे सीख रहे ABCD

author img

By

Published : Aug 13, 2021, 2:14 PM IST

Gopalganj Jail
Gopalganj Jail ()

गोपालगंज जिले का मंडल कारा कैदियों को शिक्षा देने के मामले में बिहार का पहला जेल बना है. यहां निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाया जाता है. इसके साथ ही कैदियों को स्नातकोत्तर तक पढ़ाया जाता है. यहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है. पढ़ें गोपालगंज से ये खास रिपोर्ट....

गोपालगंज: आमतौर पर जेल (Jail) का नाम आने के बाद आपके जेहन में खूंखार कैदियों (Prisoners) का चेहरा सामने आ जाता होगा, लेकिन बिहार के गोपालगंज जेल (Gopalganj Jail) की कहानी कुछ अलग दिख रही है. यहां के कैदी अब पढ़ाई (Prisoners Studying) पर खूब ध्यान दे रहे हैं. जेल प्रशासन (Prison Administration) भी कैदियों में सुधारात्मक प्रवृत्ति के विकास के लिए हरसंभव मदद दे रहा है.

यह भी पढ़ें - बेऊर जेल से सटे 40 मकानों पर होगी कार्रवाई, निगम प्रशासन ने गठित की कमेटी

जेल में रोज कैदियों की क्लास लगती है. कैदी अपनी स्वेच्छा से निर्धारित समय के अनुसार पढ़ाई करते हैं. इस जेल में 3 साल पहले कैदियों को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए योजना बनाई गई थी. 2020 के अंत में इस पहल में तेजी लाई गई. जेल में ही इग्नू सेंटर और एनआईओएस के माध्यम से कैदियों को दसवीं, बारहवीं, स्नातक और स्नातकोत्तर के अलावा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही जो कैदी निरक्षर हैं, उन्हें साक्षर बनाने के लिए भी क्लास चलाया जाता है.

जेल अधीक्षक अमित कुमार ने कहा कि बंदियों के जेल में प्रवेश के समय उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर बंदियों को साक्षरता कार्यक्रम, विभिन्न वर्गों में नामांकन और विविध सर्टिफिकेट कार्यक्रमों में जोड़ा जाता है.

"समय-समय पर कैदियों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. 2020 में इग्नू से 17 कैदियों का नामांकन किया गया. एनआईओएस में 131 बंदियों का दाखिला हुआ. करीब 200 कैदियों को साक्षर बनाया जा रहा है. पाठ्य सामग्री भी दी जाती है. निरक्षर महिला कैदियों और उसके बच्चों को भी साक्षर बनाया जा रहा है. कारा प्रशासन का लक्ष्य है कि कारा मुक्ति के समय हर एक निरक्षर कैदी साक्षर होकर निकले." - अमित कुमार, जेल अधीक्षक

गोपालगंज के जिलाधिकारी एन के चौधरी भी मानते हैं कि यहां के कैदियों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है. उन्होंने कहा, "बंदियों में पढ़ाई की रूचि का प्रमाण है कि पूरे प्रदेश में सर्वाधिक नामांकन में पहले स्थान पर चनावे स्थित गोपालगंज मंडल कारा पहुंच गया."

उन्होंने बताया कि यहां जेल के 131 बंदी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से 10वीं और 12वीं की शिक्षा ले रहे हैं, जो पूरे प्रदेश के जेलों में सर्वाधिक संख्या है. यहां के कैदी स्नातक, स्नात्कोत्तर और कई व्यवसायिक कोर्स की पढाई भी कर रहे हैं. एनआईओएस को यहां जेल में स्टडी सेंटर के रूप में मान्यता प्राप्त है.

जिलाधिकारी भी कहते हैं कि जेल से बाहर जाने के बाद यहां के कैदी नए रोजगार की तलाश कर सकेंगे तथा समाज को नई दिशा दिखाएंगें. उन्होंने कहा, जेल में करीब 200 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं. जेल में दस से अधिक विषयों पर पढ़ाई करवाई जा रही है. जिसके तहत एनआईओएस और इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में एडमिशन हो चुके हैं.

''इग्नू से 17 बंदी पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें सर्टिफिकेट इन गाइडेंस में चार, फूड एवं न्यूट्रीशन सर्टिफिकेट में चार, ऑरगेनिक फॉमिर्ंग में दो, स्नातकोत्तर में एक, स्नातक में पांच और पर्यटन सर्टिफिकेट कोर्स में एक बंदी ने नामांकन लिया है. इग्नू और एनआईओएस की ओर से नि:शुल्क सभी कोर्स रखे गए हैं.''- एन के चौधरी, जिलाधिकारी

इस जेल में बंदियों को व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया गया है. यहां की महिला कैदी स्वेटर बुनाई, बागवानी, अगरबत्ती निर्माण का कार्य कर रही हैं. फिलहाल 16 व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए बंदियों का चयन किया जा रहा है.

इसके अलावे महिला कैदियों के साथ रहनेवाले बच्चों को भी पेंसिंल और स्लेट उपल्बध कराया गया है, जहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जा रही है. एक अधिकारी ने बताया कि वर्ग एक से पांच में नामांकन के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए जेल प्रशासन प्रयासरत है. जेल में 'बंदियों के लिए बंदियों द्वारा कार्यक्रम' भी चलाया जाता है, जिसमें साक्षर कैदियों द्वारा निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की कोशिश की जाती है.

यह भी पढ़ें - बिहार की जेलों में बंद हैं क्षमता से 14 हजार ज्यादा कैदी, महिला कैदियों का ये है हाल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.