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बिहार में बाढ़ आई, तबाही लाई! देखिए ईटीवी भारत पर बाढ़ पीड़ितों का दर्द

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Published : Jul 27, 2020, 6:12 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 8:22 PM IST

मुश्किल से मुश्किल काम आप जो करते है या सोच सकते है, उससे भी ज्यादा मुश्किल है, गोपालगंज के बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंच पाना. लेकिन आज हमारे संवाददाता अटल बिहारी पांडे उन इलाकों में पहुंचे जहां अब तक सरकारी मदद तक नहीं पहुंची.

बाढ़ का कहर
बाढ़ का कहर

गोपालगंज: बिहार की बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं है. इसे सरकार की बदइंतजामी ने बाकायदा दावत दी है. और सरकारी दावत में आई बाढ़, कई गावों को डूबाकर अपनी भूख मिटा रही है. और कम से कम बिहार के गोपालगंज के आई तस्वीरें तो यहीं गवाही दे रही है. गोपालगंज में मांझा प्रखंड के इमलिया गांव के लोगों की जिंदगी कैसे कट रही है आज हम आपको दिखाएंगे. लेकिन इस गांव में पहुंचना आसान नहीं था.

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बाढ़ का कहर

जिले के मांझा प्रखंड के इमलिया गांव के लोग बाढ़ की विभिषिका का दंश झेल रहे है. यहां के लोगों को ना ही प्रशानिक मदद मिल रही है और ना ही बाहर निकलने के लिए कोई नाव की व्यवस्था हो सकी है. मजबुरन यहां के लोग बाढ़ की पानी में ही रहने को विवश है.

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बाढ़ पीड़िता का दर्द

नहीं मिली मदद
दरअसल, गोपालगंज जिला हमेशा ही बाढ़ की विभिषिका का दंश झेलता रहा है. हर साल की तरह इस साल भी गंडक नदी ने तबाही मचाकर ना जाने कितनों को बेघर कर दिया है. जिले के छः प्रखंडो में बाढ़ की तबाही का मजहर देखने को मिल रही है. वहीं बात करें मांझा प्रखंड के इमलिया गांव की तो इस गांव के लोग बाढ़ की विभिषिका का दंश इस कदर झेल रहे है कि इन्हें प्रशानिक मदद का आज भी इंतजार है. लेकिन फिर भी प्रशानिक मदद इनके पास अब तक नहीं पहुंची है.

देखें विशेष रिपोर्ट.

घरों में प्रवेश कर रहा पानी
इस गांव में पानी घुटने, कमर और कही-कही तो छाती तक भर गया है. लोगों के घरों में पानी लगातार प्रवेश कर रहा है. वहीं गांव की महिला देवंती देवी ने कहा कि 'हमार घर में कमर भर पानी भर गईल बा, हमार सब समान घरे में पड़ल बा, खाए-पीए के कौनों व्यवस्था नईखे, मजबुरन पानिए में दिन औरी रात गुजारे के पड़ता, पानी लगातार बढ़े के कारण पड़ोसी के घर से खाना बनवा के अपना पेट पालत बानी जा.'

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गांव छोड़कर जाते लोग

मदद का इंतजार
वहीं चिंता देवी ने कहा कि 'हमरो पूरा घर में पानी भर गईल बा. जेकरा वजह से सब सामान बर्बाद हो गईल बा, घर में कुछू नईखे बचल. हमार बेटा बीमार बा, लेकिन इलाज नईखें हो पावत, हमनी के कईसहू चूड़ा-सतु खाके दिन गुजार रहल बानी जा. लेकिन प्रशानिक मदद अभी तक नईखे मिलल.'

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इस तरह कट रही जिंदगी

नाव की सुविधा नहीं
गौरतलब हो कि गांव में प्रशासन की तरफ से कोई नाव की सुविधा नहीं होने के कारण केले के तना को ही ये लोग नाव बनाकर गले तक पानी पार कर अपने बीमार बच्चो को घर से बाहर निकाल रहे है. कुल मिलाकर इस गांव किस स्थिति काफी भयावह है. लेकिन फिर भी सुबे के मुखिया और आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 27, 2020, 8:22 PM IST
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