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गोपालगंज में इस बार भी सुखाड़ की स्थिति, बर्बाद हो रही है धान की फसल

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Published : Jun 12, 2019, 8:38 AM IST

चालू सीजन में कृषि विभाग ने 84 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है. लेकिन मौसम के विपरित होने से लक्ष्य के पूरा नहीं होने की आशंका जाहिर की गई है.

सुखे पड़े खेत

गोपालगंजः बिहार का यह जिला हमेशा से ही बाढ़ व सुखाड़ की समस्या से घिरा हुआ माना जाता है. बाढ़ और सुखाड़ दोनों यहां के किसानों के लिए परेशानी का सबब बनता है. गंडक नदी के उफान के बाद यहां कटाव व बाढ़ से कई खेत व मकान विलीन हो गए. वहीं, सुखाड़ के कारण फसलों को भारी नुकसान भी होते रहे हैं. इसके बावजूद यहां सरकारी सुविधाएं नगण्य ही साबित होती हैं.

Dry canal
सुखी पड़ी नहर

जिला में सुखाड़ की स्तिथि
एक बार फिर सुखाड़ की स्थिति से लोगों को जूझना पड़ रहा है. जिले में लगातार दूसरे वर्ष भी मॉनसून पूर्व बारिश नहीं होने से धान की खेती बर्बाद हो रही है. ऐसे में अब तक 1 फीसदी किसान भी धान के बिचड़े नहीं गिरा सके हैं. जबकि कृषि विभाग का कहना है कि जून के दूसरे सप्ताह तक अमूमन 50 फीसदी बिचड़े तैयार हो जाने चाहिए. वहीं, किसान भी आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं. किसानों की माने तो पिछली बार धान की फसल बर्बाद हुई थी. इस बार भी फसल अच्छी होने की उम्मीद नहीं है. बिचड़े गिराने के 20 दिन निकल गए. लेकिन अब तक बिचड़े नहीं गिर सके. जिससे धान के पैदवार पर असर पड़ेगा.

farmer
खेत में काम करता किसान

नहीं हो रही समय पर बारिश
जिले में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. बारिश नहीं होने के कारण खेतो में धूल उड़ रही है. खेतों में दरारे पड़ गईं हैं. जिससे खेतों की नमी भी गायब है. सिंचाई के सरकारी सुविधाओं की बात करें तो नहरे सुखी पड़ी हैं. नलकुप भी बंद है. अब किसानों को सिर्फ बारिश के पानी पर ही निर्भर होना पड़ता है. पिछले वर्ष भी औसत से 70 फीसदी कम बारिश होने के कारण जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था.

परेशानियों से जूझ रहे किसान
यहां के किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने की है. जिले में चालू सीजन में कृषि विभाग ने 84 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है. लेकिन मौसम के विपरित होने से एक बार फिर विभाग के धान उत्पादन का लक्ष्य को पूरा नहीं होने की आशंका जाहिर करता है. विभाग के अनुसार धान के बीज की बुवाई के लिए मई महीना सर्वाधिक उपयुक्त होता है. लेकिन इस महीने में औसत 34.1 मिलिमीटर की जगह मात्र 3 मिलिमीटर बारिश हुई है. इस महीने में अब तक 0.1मिलिमीटर ही बारिश हुई है. जो औसत से छियानवे प्रतिशत कम है.

सुखे पड़े खेत और जानकारी देते किसान व अधिकारी

सुशील मोदी ने कहा स्थिति सही नहीं
वहीं, बाढ़ पूर्व तैयारियों की समीक्षा करने गोपालगंज पहुंचे उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी माना की इस बार सूखे की हालात है. बारिश नहीं होने के कारण कठिनाइयां बढ़ीं है. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि बिहार के 25 जिलों के 280 प्रखंड को सूखा ग्रस्त घोषित किया गया था. जिसमें गोपालगंज के 14 प्रखंड भी शामिल थे. इस बार मानसून 21 जून तक आने की संभावना है.

कृषि पदाधिकारी का क्या है कहना
जब इस संदर्भ में कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह से बात की गई तो उन्होंने ने भी माना कि इस बार किसानों को धान की खेती करने में कठिनाई हो रही है. जिले में बिचड़ा गिराने का काम चालू रहता है. लेकिन इस बार बारिश नहीं होने से बिचड़े के गिराव में देरी हुई है. सरकार कम अवधि के बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है. जिन किसानों की बिचड़ा देर से गिरा है उन्हें कम अवधि के बीज उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

Intro:गोपालगंज जिला हमेशा से ही बाढ़ व सुखाड़ की समस्या से घिरा हुआ जिला माना जाता है। यहां बाढ़ और सुखाड़ से जिले के किसानो को काफी परेशानी होती है। गंडक नदी के उफान के बाद यहां कटाव व बाढ़ से कई खेत व मकान विलीन हो गए। सुखाड़ के कारण फसलों को भारी नुकसान भी होते रहे है। बावजूद सरकारी पहल नगण्य साबित होती रही है। अब ऐसे में एक बार फिर सुखाड़ की हालात से जिले के लोगो को जूझना पड़ रहा है। जिले में लगातार दूसरे वर्ष भी जून के महीने के पहले सप्ताह के बाद भी मानसून पूर्व बारिश नहीं होने से धान की खेती पिछड़ रही है। ऐसे में अब तक 1 फ़ीसदी किसान भी धान के बिचड़े नहीं गिरा सके हैं। जबकि कृषि विभाग का कहना है कि जून के दूसरे सप्ताह तक अमूमन 50 फ़ीसदी बिछड़े तैयार हो जाने चाहिए। वही किसान भी आसमान के तरफ टकटकी लगाए बैठे है कि कब बारिश का पानी धरती पर पड़ेगा जिसे बिचडे डाला जा सके। किसानो के माने तो पिछली बार धान की फसल बर्बाद हुई थी इस बार भी फसल अच्छी होने की उम्मीद नही है बिचड़े गिराने के 20 दिन निकल गए लवकिं अब तक बिचड़े नही गिर सके जिससे धान के पैदवार पर असर पड़ेगा। सिचाई के कोई साधन नही है। बारिश न होने के कारण खेतो में धूल उड़ रहे है खेतों में दरारे पड़ गई है। जिससे खेतो की नमी भी गायब है। सिंचाई के सरकारी सुविधाओं की बात करे तो नहरे सुखी पड़ी है नलकुप भी बंद है अब किसानों को सिर्फ बारिश के पानी पर ही निर्भर होना पड़ता है। ज्ञातव्य हो कि पिछले वर्ष भी औसत से 70 फ़ीसदी कम बारिश होने के कारण जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। किसानों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने की है। जिले में चालू सीजन में कृषि विभाग ने 84 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है। लेकिन मौसम के विपरित रहने व किसानों की बेरुखी से एक बार फिर विभाग के धान उत्पादन के लक्ष्य को पीछे करने की आशंका जाहिर करता है। विभाग के अनुसार धान के बीज की बुवाई के लिए मई महीना सर्वाधिक उपयुक्त होता है लेकिन इस महीने में औसत 34.1मिलिमीटर की जगह मात्र 3मिलिमीटर बारिश हुई है इस महीने में अब तक 0.1मिलिमीटर ही बारिश हुई है। जो औसत से छियानवे प्रतिशत कम है। बाढ़ पूर्व तैयारियों की समीक्षा करने गोपालगंज पहुंचे उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी माना की इस बार सूखे की हालात है। और बारिश नही होने के कारण कठिनाइया बढ़ी है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि बिहार के 25 जिलों के 280 प्रखंड को सूखा ग्रस्त घोषित किया गया था। जिसमें गोपालगंज के 14 प्रखंड भी शामिल थे। बिहार में औसत से कम वर्षा हुई।इस बार मानसून 21 जून तक आने की संभावना है। वही जब इस संदर्भ में कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह से बात की गई तो उन्होंने ने भी माना कि इस बार किसानों को धान की खेती करने में कठिनाई हों रही है।जिले में बिचड़ा गिराने का काम चालू रहता है लेकिन इस बार बारिश नही होने से बिचड़ा के गिराव में देरी हुई है। सरकार कम अवधि के बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। जिन किसानों की बिचड़ा बिलम्ब से गिरी है उन्हें कम अवधि के बीज उपलब्ध कराया जाएगा इसके लिए प्रयास किये जा रहे है।






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