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मगध के सबसे बड़े अस्पताल ANMMCH का हाल बेहाल, मरीज से लेकर परिजन तक परेशान

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Published : Jan 29, 2021, 2:35 PM IST

Updated : Jan 30, 2021, 9:58 AM IST

बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था के बदहाली का आलम सूबे के हर जिले से देखने को मिल रहा है. कहीं, अस्पतालों की इमारत जर्जर हैं. तो कहीं, अस्पताल प्रशासन का पूरा का पूरा महकमा चौपट हो गया है.

पटना
सबसे बड़े अस्पताल ANMCH का हाल बेहाल

गया: स्वास्थ्य विभाग हर एक साल लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करती है और दावा करती है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से सुधार हो रहा है. लेकिन राज्य के कई ऐसे अस्पताल हैं. जहां सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. मगध क्षेत्र का सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों का हाल-बदहाल है.

इलाज के अभाव में मौत
बिहार के मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में महज 10 बेड संचालित है. हर दिन औसतन इमरजेंसी में तीन दर्जन से अधिक मरीज भर्ती होते हैं. इसमें से अधिक मरीजों को खानापूर्ति कर वार्ड में भेज दिया जाता है. जिससे मरीजों के जान का खतरा बना रहता है. कई मरीज की जान इलाज के अभाव में जा चुकी है.

पटना
स्वास्थ्य विभाग की बदहाली

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अस्पताल की कुव्यवस्था देख डर जाते हैं मरीज
दरअसल गया शहर में स्थित मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में दस बेड है.मगध क्षेत्र का पांच जिलों के सहित पड़ोसी राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों से लोग इमरजेंसी में इलाज करवाने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आते है लेकिन अस्पताल की कुव्यवस्था देख मरीज या उसके परिजन सिहर उठते है. उन्हें इससे बेहतर प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र लगता है, जहां मरीज को अस्पताल के बेड पर ले जाने के स्ट्रेक्चर, वार्ड में बेड तो जरूर नसीब होता है. लेकिन अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हर मरीज को बेड मिलना मुश्किल है.

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स्वास्थ्य विभाग की बदहाली

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मरीज को ले जाने को स्ट्रेचर तक नहींकोरोना महामारी का असर कम होने पर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थित ट्रामा सेंटर में 10 बेड का इमरजेंसी वार्ड बनाया गया था. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर दिन लगभग 40 के करीब मरीज आते है तो जगह की कमी दूसरी तरफ सुविधाएं भी नदारद है. मरीज को स्ट्रेचर और ट्रॉली मैन तक नहीं मिलता है. मरीज के परिजन खुद से टांगकर या गोद मे लेकर जाते है.
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स्वास्थ्य विभाग की बदहाली
इमरजेंसी वार्ड के पीछे कचरे का ढेरट्रामा सेंटर में संचालित इमरजेंसी वार्ड मे मरीज के परिजनों के लिए शौचालय और पीने का पानी का व्यवस्था नहीं है. इमरजेंसी वार्ड के पीछे मेडिकल यूज ग्लब्स, पीपीई किट और वेस्टज सामान का कचरा का ढेर बना हुआ है.
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स्वास्थ्य विभाग की बदहाली
'यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. गेट से लेकर वार्ड के बेड तक लोग भरे हुए है. भीड़ इतनी ज्यादा है कि स्ट्रेक्चर पर मरीज को रखकर इलाज किया जा रहा है. जितना मरीज आ रहे उसके अनुसार यहां बेड नहीं है. मरीज जितनी जल्दी आते हैं, उनका इलाज करके उतना ही जल्दी दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है. यहां मरीजों के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था भी नहीं है. जो स्ट्रे्चर है उस पर मरीज का इलाज होता है.- मुकेश प्रसाद, मरीज के परिजन.
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स्वास्थ्य विभाग की बदहाली
'इमरजेंसी वार्ड में कम बेड होने के कारण मरीजों को दिक्कत होती है. ट्रामा सेंटर में संचालित इमरजेंसी वार्ड में कम बेड होने से मरीजों को दिक्कत हो रही है. हमलोग इमरजेंसी वार्ड की संख्या को बढ़ाने के लिए हर दिन मीटिंग कर प्रयासरत हैं. इस सप्ताह के अंदर में उसका निराकरण निकाल लेंगे. वहीं, ट्रामा सेंटर के बगल में कचरे के बारे में जानकारी मिली है. उस कचरे का निष्पादन कर उस जगह कचरा फेंकने की मनाही कर दिया जाएगा.-डॉ हरिश्चंद्र हरि,अधीक्षक ,अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल.
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ट्रामा सेंटर में दस बेड का इमरजेंसी वार्डमगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रामा सेंटर में दस बेड का इमरजेंसी वार्ड चलाया जा रहा है. मरीजों की संख्या अधिक रहती है. इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का बेहतर इलाज नहीं होते देख मरीज के परिजन परेशान होते हैं. निजी अस्पताल में ले जाने के लिए इच्छुक होते ही निजी अस्पताल के लोग परिजनों से संपर्क करने लगते हैं.
Last Updated : Jan 30, 2021, 9:58 AM IST
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