ETV Bharat / state

आज है पितृपक्ष का 15वां दिन, इस दिन करें वैतरणी सरोवर में पिंडदान और गौदान

author img

By

Published : Sep 16, 2020, 9:13 AM IST

pitripaksh
pitripaksh

पिंडदान के पंद्रहवें दिन शस्त्रादि से मारे गए लोगों का श्राद्ध होता है, बाकी अन्य लोगों का नहीं. इस दिन पिंडदान ना करके वैतरणी पर तर्पण और गौदान करें.

गया: मोक्षनगरी गयाजी में आज पिंडदान का 15वां दिन है. इस दिन वैतरणी सरोवर में पिंडदान और गौदान करने का नियम है. ऐसी मान्यता है कि देवनदी वैतरणी में स्नान करने से पितर स्वर्ग को जाते हैं. पिंडदान और गोदान करने के बाद सरोवर के निकट स्थित मार्कण्डेय शिव मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने का भी प्रावधान है.

यह है इसके पीछे की कहानी
सनत जी नारद से कहते हैं कि 'मैं बार-बार सत्य कहता हूं कि वैतरणी में तर्पण करने से 21 कुल तर जाते हैं, इसमें संशय नहीं है. यमराज के द्वार जो वैतरणी नदी है, उस वैतरणी को पार करने की इच्छा गौदान करता हूं. अशक्त अथवा शक्त कैसा भी हो गौदान अवश्य करना चाहिए. त्रिलोक में जो विश्रुत वैतरणी नदी है, वो यहां अवतीर्ण हुई है.

ललल
वैतरणी सरोवर

ब्राह्मण को यथाशक्ति दान दें
कहते हैं कि वैतरणी पर जो स्वर्णा(गोमूल्य) अथवा गाय दान नहीं करता वह दरिद्र हो जाता है. गौमूल्य के रूप में जितनी शक्ति हो उतना ब्राह्मण को देना चाहिए. पिंडदान के पंद्रहवें दिन शस्त्रादि से मारे गए लोगों का श्राद्ध होता है, बाकी अन्य लोगों का नहीं. इस दिन पिंडदान ना करके वैतरणी पर तर्पण और गौदान करें. यदि किसी की पितर तिथि हो तो अवश्य पिंडदान करना चाहिए.

लल
पिंडदान के लिए पहुंचे लोग

स्नान योग्य नहीं है वैतरणी
वर्तमान में वैतरणी का जल स्नान और आचमन योग्य नहीं है. मौजूदा समय में यह केवल प्रणाम करने योग्य रह गया है. अतः केवल यहां प्रणाम करें. यह महातम उस समय का है जब इन तीर्थों में नाले का पानी नहीं गिराया जाता था. इधर के दिनों में हृदय योजना के तहत इस सरोवर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. पितृपक्ष मेले के दौरान इसमें नाले का पानी नहीं गिराया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.