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गया का यह किसान केले की खेती में कम लागत लगा कमा रहे ज्यादा मुनाफा

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Published : Feb 2, 2020, 10:14 AM IST

केले की खेती को देखने आसपास के लोग आ रहे हैं. पास के गांव से रोहित कुमार अपने परिवार के साथ केले के खेती के बारे में जानकारी लेने आये थे. उन्होंने बताया कि यहां आकर विश्वास हो रहा है कि गया में भी केले की खेती हो सकती है.

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गयाः आमतौर पर गया को धार्मिक ज्ञान और मोक्ष की भूमि कही जाती है. लेकिन गया के मिजाज में मेहनत और संघर्ष भी है. दशरथ मांझी ने अपनी मेहनत से पहाड़ काटकर सड़क बनाया था. उसी मेहनती मिजाज ने गया के केवाल मिट्टी में केले की खेती करने में सफलता पाई है.

केले की खेती में सफलता
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसा बड़गांव जहां आने और जाने के लिए एक अदब से सड़क नहीं है. वहां के किसान कच्ची सड़को पर चलकर बड़ी सफलता पाने का दमखम रखते हैं. मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोच प्रखंड के किसान रवि रंजन ने जिले की मिट्टी में केले की खेती करने में सफलता पाई है. केले की खेती में सफलता मिलने के बाद दूर-दूर से लोग किसान के यहां केले की खेती के बारे में जानकारी लेने के लिए आ रहे हैं.

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कम लागत में ज्यादा मुनाफा
किसान रवि रंजन ने बताया कि विदेश से पढ़ाई करके आए प्रभात ने उन्हें केले की खेती करने की सलाह दी थी. उनके कहने पर 1200 केले के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने केले के बारे में बताया कि यह भुसाल प्रजाति के 9 जी केला की खेती की है. इस खेती में सिर्फ हल्का पानी और जैविक खाद देकर पौधे को रोप दिया था. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि कम लागत और मेहनत पर ज्यादा मुनाफा और सफलता मिलेगी.

खेती की जानकारी लेने आ रहे हैं लोग
केले की खेती को देखने आसपास के लोग आ रहे हैं. पास के गांव से रोहित कुमार अपने परिवार के साथ केले के खेती के बारे में जानकारी लेने आये थे. उन्होंने ने बताया कि यहां आकर विश्वास हो रहा है कि गया में भी केले की खेती सकती है.

Intro:आप हाजीपुर में केले की खेती देखते होंगे लेकिन गया मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोंच प्रखण्ड में एक किसान ने गया के मिट्टी में केले की खेती कर सफलता पाई, केले के खेती में सफलता मिलने के बाद दूर दूर से लोग केले के खेती के बारे में जानकारी लेने आते हैं।


Body:गया जिसे धार्मिक तौर पर ज्ञान और मोक्ष की भूमि कही जाती है लेकिन गया के मिजाज में मेहनत और सँघर्ष भी हैं इसका सबूत दशरथ मांझी जो अपने मेहनत से पहाड़ काटकर सड़क बना दिया। गया के इसी मेहनती मिजाज ने गया के केवाल मिट्टी में केले की खेती सफल हो सकी


नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसा गांव जहां जाने के लिए एक अदब से सड़क नही है लेकिन इस गांव के किसान बहुत मेहनती हैं। कच्ची सड़को पर चलकर बड़ी सफलता पाने का दमखम रखते है। कोंच प्रखण्ड के बड़गांव किसान रवि रंजन को विदेश से पढ़कर आये प्रभात ने जब केले की खेती के लिए हौसला अफजाई तो रवि ने 1200 केले के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत की । किसान रवि बताते हैं हमने इसमें ज्यादा कुछ नही किया है बस हल्की पानी और जैविक खाद देकर पौधे को रोप दिए थे, ये केले के भुसाल प्रजाति 9 जी केला हैं। इसका बीज कृषि विभाग ने अनुदान पर दिया था। उम्मीद नही था मुझे इतनी सफलता इतने कम लागत और मेहनत पर मिलेगा।

केले की खेती को देखने आसपास के लोग भी आते हैं पास के गांव से रोहित कुमार अपने परिवार के साथ केले के खेती के बारे में जानकारी लेने आये थे उन्होंने ने बताया यहां आकर विश्वास हो रहा है केले की खेती गया में भी हो सकता है। यहां का केले का फसल स्वस्थ है सभी अच्छी केला लगा हुआ है।




Conclusion:बहरहाल किसान रवि रंजन अपने इस सफलता पर खुश तो है लेकिन उनकी इच्छा हैं केले की खेती थोड़ी रिस्क लेकर हर किसान करे,जिसे कम खर्च पर ज्यादा मुनाफा होगा।
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