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Falgu River in Danger: मोक्ष पाने के लिए खतरे में फल्गु नदी का वजूद, रोक के बावजूद हो रहे अंतिम संस्कार

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Published : Jan 11, 2023, 10:01 PM IST

ठंड में बढ़ गई है दाहसंस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या
ठंड में बढ़ गई है दाहसंस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या

गया में फल्गु नदी का अस्तित्व खतरे में हैं. प्रदूषण के कारण नदी का वजूद समाप्त हो रहा है. यहां शव जलाने पर रोक (Ban on burning dead bodies on banks of Falgu river) लगा दी गई है. फिर भी मोक्ष की चाह में लोग नदी के किनारे अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. कड़ाके की ठंड में अन्य दिनों की अपेक्षा शवदाह करने आने वालों की संख्या में इजाफा हो गया है. नदी किनारे बकायदा कफन और लकड़ी की दुकाने भी सजी रहती हैं. पढ़ें पूरी खबर..

ठंड में बढ़ गई है दाहसंस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या

गयाः बिहार के गया के फल्गु नदी के किनारे शवों को जलाने की मनाही है. क्योंकि प्रदूषण के कारण इसका वजूद खतरे (Existence of Falgu River in Danger) में हैं. इसके बावजूद लोग यहां अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने पहुंच रहे हैं. फल्गु नदी के तट का दृश्य देखकर ऐसा लगता ही नहीं है कि यहां शवदाह पर प्रतिबंध लगाया गया है. सुबह से लेकर देर शाम तक घाट पर लगातार शव जलते देखे जा सकते हैं. साथ ही यहां बकायदा कफन और लकड़ियों की दुकानें भी सजी हुई हैं, ताकि लोगों को शवदाह के लिए किसी चीज की कमी न हो. नदी का अस्तित्व खतरे में है, इस बात की चिंता न तो प्रशासन को है और न ही आम लोग इस पर ध्यान दे रहे हैं.

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निर्देश के बावजूद हो रहा शवों का अंतिम संस्कारः धार्मिक नगरी विष्णु धाम में फल्गु नदी में शवदाह करने पर रोक है. नवनिर्मित शवदाह गृह में ही अंतिम संस्कार करने का निर्देश नगर निगम प्रशासन द्वारा पहले से ही जारी किया गया है, जिसका एक बोर्ड भी लगा है. बोर्ड में साफ तौर पर लिखा गया है कि शवों का अंतिम संस्कार नवनिर्मित शवदाह गृह में ही करें. फल्गु नदी में शवदाह करना पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है. पकड़े जाने पर नगर निगम द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

ठंड के कारण अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या बढ़ीः गया में ठंड का प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. फल्गु नदी घाट पर काम करने वाले लोगों का कहना है कि ठंड के मौसम में इसबार ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं. इसका कारण सिर्फ और सिर्फ ठंड है. ऐसे में जब नदी किनारे शव जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो और अधिक संख्या में लोग यहां शवदाह करने के लिए पहुंच रहे हैं.

प्रशासनिक पदाधिकारी झाड़ रहे पल्लाः मोक्ष की चाह में आज भी लोग फल्गु नदी में ही अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंच रहे हैं. जबकि नवनिर्मित प्रदूषण रहित शवदाह गृह शोभा की वस्तु बनी हुई है. वहीं फल्गु नदी के किनारे शव जलाने के लिए शेड बनाए गए हैं. उसमें भी सभी शव जलने को नहीं लाए जाते हैं. साफ देखा जा सकता है कि फल्गु नदी के किनारे ज्यादातर तौर पर शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इस बाबत जब नगर निगम आयुक्त अभिलाषा शर्मा से पूछा गया कि ऐसा क्यों हो रहा है तो उन्होंने इस मामले से साफ पल्ला झाड़ लिया. उनका कहना था कि इस मामले पर बाद में बात करेंगे.

ठंड में बढ़ गई है दाहसंस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या
ठंड में बढ़ गई है दाहसंस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या

हर दिन आ रहे 30 से 40 शवः विष्णुपद श्मशान घाट पर इन दिनों जलने वाली चिताओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जहां पहले श्मशान घाट पर चिता कम आती थी. अब वहीं, इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है. रोते बिलखते लोग आते हैं और अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कर दुखी मन से वापस लौट जा रहे हैं. डोम राजा की मानें, तो पहले 15 से 20 डेड शव आते थे. अब यह संख्या दोगनी हो गई है. रोज 30 से 40 के बीच में डेड बॉडी आ रही है. ठंड के कारण ज्यादा मौतें हो रही है. डेड बॉडी आ रहे हैं, उसमें बुजुर्गों की संख्या काफी ज्यादा है.

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