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गया के गर्म कपड़ों की है बंगाल-असम में मांग, पूंजी के अभाव में धंधे का नहीं हो पा रहा विस्तार

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Published : Oct 22, 2019, 7:24 AM IST

गया

बुनकरों ने कहा कि हमारे पास पूंजी का अभाव है. सरकार लोन दे तो हम लोग सिजन के बाद भी माल तैयार करेंगे और देश के दूसरे हिस्सों में भी सप्लाई करेंगे. उन्होंने कहा कि पूंजी के अभाव में कई पावरलूम इलाई ठप पड़ा है.

गया: जिले के मानपुर प्रखंड का पटवाटोली गांव इन दिनों गर्म कपड़े के निर्माण में लगा है. इस गांव के लगभग हर घर में पावरलूम यानी कपड़ा बनाने वाली मशीन दिख जाती है. यहां से तैयार सर्दियों में इस्तेमाल किए जाने वाले चादर, रजाई और तोसक के खोल की बंगाल और असम में खूब मांग है. मांग को देखते हुए अभी करीब 50 लाख के मुल्य के कपड़े का निर्माण हर रोज हो रहा है. जिसमें हजारों हुनरमंद मजदूर लगे हैं.

'बिहार का मैनचेस्टर'
'बिहार का मैनचेस्टर' नाम से मशहूर पटवाटोली में यूं तो सालोंभर कपड़ा निर्माण का काम चलता है, लेकिन इसकी पहचान यहां से तैयार सर्दियों के कपड़े की वजह से है. यहां बनने वाले चादर, रजाई और तोसक के खोल में उपयोग होने वाला सूत सत प्रतिशत कॉटन होता है. जिसे तमिलनाडु, पंजाब और पानीपत से मंगाया जाता है.

गया
कपड़ा तैयार करने वाली मशीन

बंगाल और असम में है कपड़ों की मांग
बुनकर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम नारायण पटवा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद यहां गर्म कपड़ा बनना शुरू हो जाता है. यहां के कपड़ो की मांग सबसे ज्यादा बंगाल में है. उन्होंने कहा कि यहां तैयार 75 फीसदी कपड़ा बंगाल में खपते है. 15 फीसदी असम और शेष बिहार में बिकते हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

पूंजा का है अभाव
बुनकर प्रकाश राम पटवा ने बताया कि ठंडी के सीजन में काम बढ़ीया चलता है. हम मांग के हिसाब से ही माल तैयार करते हैं. क्योंकि हमारे पास पूंजी का अभाव है. सरकार लोन दे तो हम लोग सिजन के बाद भी माल तैयार करेंगे और देश के दूसरे हिस्सों में भी सप्लाई करेंगे. उन्होंने कहा कि पूंजी के अभाव में कई पावरलूम इलाई ठप पड़ा है.

Intro:बिहार के मैनचेस्टर मानपुर प्रखंड के पटवाटोली में साढ़े सात हजार पावरलूम में से पांच सौ पावरलूम पर गर्म कपड़ा के 20 हजार से 30 हजार मीटर गर्म कपड़ा का थान तैयार किया जा रहा है। हर रोज करीब 50 लाख का कपड़ा का निर्माण होता है। गर्म कपड़े में चादर,रजाई और तोसक के खोल तैयार किये जा रहे हैं।


Body:गया के मानपुर प्रखंड में पटवाटोली वस्त्र उद्योग में तैयार रजाई और तोसक के खोल सौ प्रतिशत सूती होते हैं जो ठंड के बचाव के लिए कारगर होता है। यहां पिछले कई वर्षों से ठंड के लिए चादर बनाया जा रहा है। अमूमन सालो भर पटवाटोली में गमछा ,बेडशीट , चादर बनाया जाता है।

बुनकर एसोसिएशन अध्यक्ष प्रेम नारायण पटवा ने बताया दशहरा पूजा से पहले निकलने जगन्नाथ भगवान के यात्रा के बाद से यहां गर्म कपड़ा बना शुरू हो जाता है। यहां कपड़ा के मांग बिहार के अन्य हिस्सों के साथ बंगाल और असम बहुत है। 95 प्रतिशत यहां का माल यही दोनो राज्यो में जाता है। गर्म कपड़ा बनाने के लिए सूत तमिलनाडु, पानीपत से आता है। पटवाटोली के सेकड़ो पावरलूम पर रजाई और तोसक का खोल बनाया जा रहा है। जिसमे हजारो बुनकर मजदूर दिन रात लगे हैं।

बुनकर प्रकाश राम पटवा ने बताया यहां चार महीनों तक गर्म कपड़ा बनाया जाता है। बाजार के मांग के अनुसार हो बनाया जाता है। हमलोग इतना बनाते हैं ठंड के मौसम में सारा खपत हो जाये। ठंड के मौसम के बाद गर्म कपड़ा बिक नही सकता है। यहां कपड़ो का बाजार बिहार, बंगाल और असम है। हमलोग के प्रति सरकार का उदासीनता है सरकार का नजर इस ओर नही पड़ता है यहां किसी तरह का सरकारी योजना नही पहुँचता है। पूंजी के अभाव में कितने पावरलूम बन्द होंगे है। सैकड़ो बुनकर मजदूर हाथ मे हुनर रहने के बावजूद बेरोजगार हैं। मानपुर के बैक भी यहां के लोगो को लोन नही देता है अगर बैंक लोन देने लगे तो यहां के बुनकरों के पास पूंजी होगा जिससे सालो गर्म के कपड़ा बनाकर अन्य ठंडा प्रदेश के साथ विदेशो में बेच सकते हैं।


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