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बिहार में बहार है: गया में डेढ़ करोड़ की सड़क तो बनवा दी...लेकिन पुल बनाना भूल गए

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Published : Oct 15, 2022, 5:28 PM IST

बिहार के गया में डेढ़ करोड़ की लागत से सड़क का निर्माण तो करवा दिया गया लेकिन विभाग पुल का निर्माण करना भूल (Construction Of Road Without Bridge In Gaya ) गया. गांव के दो तरफ करोड़ों की लागत से बनी सड़क पुल के अभाव में बेकार पड़ी है. ग्रामीण पूछ रहे हैं कि जब पुल नहीं बनाना था तो फिर सड़क क्यों बनवा दी? पढ़ें.

गया में बिना पुल के ही सड़क का निर्माण
गया में बिना पुल के ही सड़क का निर्माण

गया: बिहार के बारे में धारणा बनी हुई है कि यहां अजीबोगरीब कारनामे होना आम बात है. इस धारणा को बदलने की तमाम कोशिशें कुछ भ्रष्टाचारियों के कारण विफल हो जाती हैं. रोहतास में 60 फीट लोहे की पुल की चोरी का मामला, बांका और जहानाबाद में लोहे की पुल को काटकर बेचने के मामलों ने सभी को चौंका दिया था. ऐसा ही एक और चौंकानेवाला मामला गया के गुरारू प्रखंड के रौना पंचायत का सामने आया है. यहां ग्रामीण विकास विभाग के कारनामे का खामियाजा 10 गांव के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.

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गया में बिना पुल के ही सड़क का निर्माण: दरअसल शंकर बीघा गांव (Gaya Shankar Bigha Village) के समीप नैरा नदी पर बिना पुल (Naira River Bridge) का निर्माण किए ही डेढ़ करोड़ की लागत से सड़क बनवा दी गई. बिना पुल के बनी यह सड़क बरसात के मौसम में किसी काम की नहीं रहती है. दोनों तरफ सड़क है लेकिन नदी पर पुल ही नहीं बनाया गया. लोगों को आज भी जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. पुल के निर्माण के बिना दोनों तरफ की सड़क का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. इसके कारण पंचायत के 10 गांव की भारी आबादी प्रभावित हो रही है.

विभाग की बड़ी लापरवाही: आजादी के 74 साल बाद गांव को सड़क नसीब हो पाई थी. करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 2 किलोमीटर की कालीकरण सड़क का निर्माण कराया गया लेकिन डेढ़ करोड़ की लागत से बनाई गई यह सड़क अब ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. ग्रामीणों को सड़क तो मिल गई लेकिन नैरा नदी पर पुल नहीं बनाया गया. पुल के लिए छोड़ा गया बड़ा सा स्थान जानलेवा साबित हो रहा है. इस पुल का निर्माण शंकर बीघा गांव के समीप नैरा नदी पर करना था.

डेढ़ करोड़ की लागत से बनी थी सड़क: 1.53 करोड़ की लागत से बनी यह सड़क पुल के अभाव में जानलेवा साबित हो रही है. नैरा नदी पर पुल नहीं बनने से 5-5 गांव बरसात के दिनों में बंट जाते हैं. जब सड़क बनी थी तो लोगों में काफी खुशी थी कि अब इस क्षेत्र का विकास होने का समय आ गया है. लेकिन पुल नहीं बनने से उन्हें निराशा हाथ लगी है. पुल के निर्माण के लिए ग्रामीण, सीएम नीतीश कुमार से लेकर जनप्रतिनिधियों अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

बिना पुल के सड़क का नहीं कोई इस्तेमाल: 2 साल पहले गया जिले के गुरारू प्रखंड के अहियापुर स्टेट गरजू बीघा से मंझियावां मोड़ तक 2 किलोमीटर कालीकरण वाली सड़क बनी. लेकिन पुल का निर्माण नहीं किया गया. सड़क निर्माण के समय लोगों ने इसकी मांग की तो काम में लगे सरकारी रहनुमाओं ने ग्रामीणों को यह समझा कर झांसे में लेने में सफल रहे कि सड़क निर्माण के बाद पुल का निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. इस बीच सड़क का निर्माण एक करोड़ 53 लाख की लागत से पूर्ण कर लिया गया. पुल का निर्माण ग्रामीणों के लिए आस बनकर ही रह गया. आजादी के 76 वर्षों में एक पुल के बिना यह क्षेत्र विकास में पिछड़ा हुआ है. लोग तो यह भी जानना चाहते हैं कि जब पुल ही नहीं बननी थी, तो डेढ़ करोड़ की सड़क क्यों बनाई गई?

बरसात होते ही बढ़ जाती हैं मुश्किलें : गांव की शिव कुमारी देवी बताती हैं कि हम लोगों को सड़क तो दी गई लेकिन नदी पर पुल नहीं बनाया गया. नैरा नदी पर पुल नहीं बनने से बरसात के दिनों में हालत खस्ताहाल हो जाती है. छात्र विद्यालय में नहीं पहुंच पाते हैं. नदी के एक ओर 5 गांव हैं तो दूसरी ओर भी 5 गांव हैं. बरसात में विद्यालय में बच्चे नहीं पहुंच पाते हैं. ग्रामीणों को पैदल तक चलने में मुश्किलें आती हैं.

"बिना पुल के इस सड़क का कोई औचित्य नहीं है.नैरा नदी पर पुल नहीं बनने के कारण बारिश के मौसम में 10 गांव के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं."- शिव कुमारी देवी, शंकर बीघा निवासी

"अहियापुर होते हुए सड़क बनी. यह सड़क रफीगंज औरंगाबाद निकल जाती है लेकिन शंकर बिगहा में नैरा नदी पुल नहीं बनने से यह सड़क एक तरह से वाहनों के परिचालन के लिए बेकार है. पहले की तरह आज भी लोग इस पर सिर्फ गर्मी और ठंड के दिनों में ही पैदल आ जा सकते हैं. बरसात के दिनों में कई महीने पुल नहीं बनने के कारण लोगों को काफी मुश्किलें होती हैं. एक गांव से दूसरे गांव का लिंक टूट जाता है."- अविनाश कुमार, शंकर बीघा निवासी



"पुल के अभाव में काफी दिक्कतें होती हैं. पानी जब जमा होता है तो बांंस का ठकरी बनाकर बच्चे और ग्रामीण आते-जाते हैं लेकिन यह जानलेवा होता है और खतरनाक भी. इसलिए अब ठकरी का सहारा लेना लोग नहीं चाहते हैं. शंकर बिगहा के समीप पुल बनाई जानी थी जो कि एक तरह से बनाई गई सड़क का मिडिल एरिया है लेकिन पुल नहीं बना. हमें सड़क मिली पर पुल नहीं बन पाया. जिससे यहां का बिजनेस, शिक्षा सब कुछ प्रभावित होता है. खासकर बरसात के दिनों में काफी तकलीफें उठाने पड़ती है. वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता है. आए दिन हादसे होते रहते हैं."- शंभू सिंह, शंकर बीघा निवासी

बरसात में 10 गांवों का टूट जाता है संपर्क: बारिश के मौसम में आज भी इन 10 गांवों के लोगों को पूर्व की तरह ही पैदल आवागमन के लिए रेलवे लाइन के किनारे का सहारा लेकर ही गंतव्य स्थान पर जाना पड़ता है. इससे घटनाएं होती है. हर साल कोई न कोई रेल दुर्घटना में मारा जाता है. इस मामले को लेकर सांसद सुशील कुमार सिंह को भी बताया गया है. पुल को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कई बार लिखा गया है, लेकिन कोई टोह लेने वाला नहीं है. पुल बनने से 10 हजार से अधिक की आबादी को राहत मिलेगी. इससे 10 गांव सीधे जुड़े हुए हैं.

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