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गया में चुनाव कराने पहुंची जवानों की 100 कंपनी, चप्पे-चप्पे पर मुस्तैद हुए जवान

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Published : Oct 20, 2020, 2:32 PM IST

Gaya
गया में चुनाव कराने पहुंची जवानों की 100 कंपनी

मगध गया क्षेत्र में चुनाव और नक्सलियों का रिश्ता पिछले 3 दशक से काफी करीब का रहा है. पीछले तीन दशकों की बात करें तो यहां लगभग हर चुनाव में नक्सलियों ने हिंसक घटनाओं का अंजाम दिया है, लेकिन इस बार सुरक्षा बलों की विभिन्न कंपनियों ने ऑपरेशन क्लीन चलाकर नक्सलियों की कमर तोड़ दी हैं.

गया: जिले की कुल 10 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. इसमें से इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, लेकिन इस बार सुरक्षा बलों की विभिन्न कंपनियों ने ऑपरेशन क्लीन चलाकर नक्सलियों की कमर तोड़ दी हैं.

मगध गया क्षेत्र में चुनाव और नक्सलियों का है पुराना रिश्ता
मगध गया क्षेत्र में चुनाव और नक्सलियों का रिश्ता पिछले 3 दशक से काफी करीब का रहा है. पीछले तीन दशकों की बात करें तो यहां लगभग हर चुनाव में नक्सलियों ने हिंसक घटनाओं का अंजाम दिया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की घोषणा होते ही नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें दोनों तरफ से 800 राउंड फायरिंग की गई थी. नक्सलियों की इस घटना के बाद बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जिले में अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां पहुंच गई है और जिले के सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सघन जांच अभियान और सर्च अभियान शुरू कर दिया गया है.

इमामगंज सीट पर रहता है नक्सली का सबसे ज्यादा प्रभाव
आपको बता दें, नक्सलियों का चुनाव में सबसे बड़ा प्रभाव इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं दोनों में मुख्य टक्कर है. वीआईपी सीट होने के चलते यह सीट नक्सलियों की सबसे बड़ा टारगेट पॉइंट रहती है.

लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेने से रोकते हैं नक्सली
इमामगंज क्षेत्र में महादलितों का वोट बड़ा अहम माना जाता है पर नक्सलियों के डर से महादलित वोट देने में हिचकते हैं. दरअसल, नक्सली ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर और बैनर के माध्यम से लोगों को लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेंने से रोकते हैं. अमूमन देखा जाता है कि महादलित मतदाताओं को चुनाव के दौरान डराने, जबरन पक्ष में वोट कराने के लिए दबाव डाला जाता है, जिसके चलते मतदाताओं में विश्वास पैदा करवाने के लिए सुरक्षा बलों को लगाया जाता है. सुरक्षा बल क्षेत्रों को चिन्हित कर प्रत्येक दिन फ्लैग मार्च कर महादलित मतदाताओं के बीच से भय का माहौल समाप्त कर देते हैं और पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ाने का काम करते हैं.

एसएसपी ने दी जानकारी
वहीं, एसएसपी राजीव मिश्रा ने बताया कि जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण व्यवस्था बनी रहे. इसके लिए अर्धसैनिक बलों की अलग-अलग कंपनियां जिले में पहुंच चुकी हैं. एसएसपी ने बताया कि अर्धसैनिक बलों के द्वारा चुनाव से पहले जिले में फ्लैग मार्च कर नक्सल क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाने के लिए काम किया जा रहा हैं. इसके अलावा झारखंड राज्य से सटे विधानसभा क्षेत्र और गांव में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. दोनों राज्यों की पुलिस शांति व्यवस्था बनाने के लिए काम कर रही है.

गया जिले में पहुंची अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां
आपको बता दें कि गया जिले की दस विधानसभा के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां जिले में पहुंच गई हैं. ज्यादातर फोर्स को ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया गया है. जानकारी के अनुसार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दस कंपनियों की तैनात कि जाएगी. यह सभी सुरक्षा बल विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान केंद्र के अंदर और बाहर तैनात रहेंगे और उनके कंधों पर पूरी बिहार विधानसभा चुनाव की शांति व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी रहेगी.

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