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छठमय हुआ मोतिहारी सेंट्रल जेल, दो मुस्लिम महिला समेत 112 कैदी कर रहे हैं छठ

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Published : Oct 30, 2022, 12:29 PM IST

मोतिहारी में मुस्लिम महिलाओं ने छठ पूजा की (Muslim women performed Chhath Puja in Motihari) है. सेंट्रल जेल में बंद इन कैदियों के लिए जेल प्रशासन की ओर से सारी व्यवस्था की गई है.

मोतिहारी सेंट्रल जेल में छठ पूजा
मोतिहारी सेंट्रल जेल में छठ पूजा

मोतिहारी: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत और देश के कई हिस्सों में उत्साह का माहौल है. मोतिहारी सेंट्रल जेल में छठ पूजा (Chhath Puja at Motihari Central Jail) का आयोजन किया जा रहा है. 2 मुस्लिम महिला समेत 112 महिला-पुरुष बंदी छठ कर रहे हैं. जेल के अंदर बने तालाब की साफ-सफाई कर उसका रंग रोगन किया गया है. व्रतियों को छठ करने के लिए नया कपड़ा से लेकर सारी पूजा सामग्रियों की व्यवस्था जेल प्रशासन ने की है.

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मोतिहारी में मुस्लिम महिलाओं ने छठ पूजा की: मोतिहारी केंद्रीय कारा के जेल अधीक्षक विदु कुमार ने बताया कि कारा प्रशासन ने व्रतियों के बीच नया कपड़ा वितरित किया है. साथ ही पूजा का प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी, आटा समेत अन्य सामग्री उपलब्ध कराया गई है. इसके अलावा सूप, टोकरी, फल, प्रसाद और गन्ना की व्यवस्था जेल प्रशासन ने की है. घाट को इन कैदियों ने ही आकर्षक ढंग से सजाया है. उन्होंने बताया कि मोतिहारी केंद्रीय कारा में छठ कर रहे 112 बंदियों में 67 महिला और 45 पुरुष हैं. इनमें दो मुस्लिम महिला भी शामिल हैं. मुस्लिम महिला खुशबू तारा और जैबून नेशां भी छठ कर रही हैं.

छठ पूजा से यश, धन, वैभव की प्राप्तिः मान्यता के अनुसार संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. संध्या को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रती पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते व्रती दंडवत करते जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं. दंडवत करने के दौरान आस-पास मौजूद लोग छठव्रती को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, ताकि उन्हें भी पूण्य की प्राप्ति हो सके.

इस तरह देते हैं भागवान भास्कर को अर्घ्यः अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरियों में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल ले जाया जाता है. पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं. कलश में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं. छठ व्रती पूरे परिवार के साथ छठ घाट पर दउरा में प्रसाद लेकर पहुंचते हैं और डूबते सूर्य की उपासना के लिए जल एवं दूध लेकर तालाब, नदी या पोखर में खड़े हो जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य पूजन के बाद सभी लोग घर लौट आते हैं. वहीं, रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. साथ ही चौथे दिन सुबह में उगते सुर्य को अर्घ्य देने की तैयारी भी की जाती है.

करें कुछ खास नियमों का पालनः इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करने से व्रती को इसका लाभ मिलता है. सूर्य षष्ठी के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान कर हल्के लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. एक तांबे की प्लेट में गुड़ और गेहूं रखकर अपने घर के मंदिर में रखने से भी पूरे परिवार को इसका लाभ मिलता है. माना जाता है कि लाल आसन पर बैठकर तांबे के दीये में घी का दीपक जलाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. भगवान सूर्य नारायण के सूर्याष्टक का तीन या पांच बार पाठ करना फलदायी होता है.

छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली समाग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि समानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं. छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय 28 अक्टूबर शुक्रवार से हुई है. दूसरे दिन यानी कल 29 अक्टूबर शनिवार को खरना था. तीसरे दिन यानी आज अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और आखिरी व चौथे दिन 31 अक्टूबर सोमवार को उदीयमान सूर्य अर्घ्य दिया जाएगा.

छठ पूजा का तीसरा दिन

छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार

सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

शुभ समय

सुकर्मा योग: प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक

धृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक

रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

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