मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में अंग्रेजी हुकूमत के समय महात्मा गांधी के सत्याग्रह का मूक गवाह रहा ऐतिहासिक नीम का पेड़ सूख रहा है. बता दें कि गुलाम भारत के समय का यह वही नीम का पेड़ है. जिसमें जिले के किसानों को बांधकर अंग्रेज जमींदार कोड़ा से मारते थे. सौ साल पहले इसी पेड़ के नीचे बैठकर गांधी ने किसानों की पीड़ा को सुना था. उसे कलमबद्ध किया था. अब यह नीम का पेड़ इतिहास के पन्नों तक ही सीमित रह गया है.
गांधी ने सुनी थी किसानों की व्यथा
बता दें कि नील और तीनकठिया कानून का विरोध करने वाले किसानों को इसी नीम के पेड़ में बांधकर अंग्रेज जमींदार मारते थे. जिसकी जानकारी मिलने पर 4 अगस्त 1917 को महात्मा गांधी तुरकौलिया आए थे. इसी नीम के पेड़ के नीचे बैठकर महात्मा गांधी ने किसानों की व्यथा सुनी थी. जिसे कलमबद्ध कर अंग्रेज अधिकारियों से महात्मा गांधी मिले थे. उसके बाद सत्याग्रह का आंदोलन और तेज हो गया था. स्थानीय लोगों के अनुसार 6 महीने पहले से यह पेड़ सुखने लगा. जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी गई थी. लेकिन स्थानीय प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया.
यह पेड़ तुरकौलिया का इतिहास है
तुरकौलिया प्रखंड कार्यालय के पास लगभग 120 साल पुराने इस नीम के पेड़ से पत्ते गायब हो गये है. पेड़ भी लगभग सूख गया है. वहीं, स्थानीय लोगो में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह महज एक पेड़ नहीं है. बल्कि यह तुरकौलिया का इतिहास है. इसका इतिहास बापू के यादों से जुड़ा हुआ है. इस नीम के पेड़ के सुख जाने से गांधीवादी भी परेशान हैं. गांधीवादियों का कहना है कि शुरू में प्रशासन ने इस पेड़ को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. गांधीवादी जिला प्रशासन को इस पेड़ को सुखने के लिए जिम्मेदार मानते हैं.
अधिकारियों ने की पेड़ की जांच
तुरकौलिया प्रखंड मुख्यालय में स्थित 120 साल पुराना नीम का पेड़ अब इतिहास बन गया है. सुखा पेड़ अभी भी खड़ा है. लेकिन उसमें जान नहीं है. उसे फिर हरा-भरा करने का प्रयास वन विभाग ने शुरु किया है. जिलाधिकारी रमन कुमार के निर्देश पर वन विभाग के अधिकारियों ने नीम के पेड़ की जांच की. तब पता चला कि पेड़ के चारों ओर बने सिमेंटेड चबूतरा के कारण वह सूख रहा है. क्योंकि नीम के पेड़ के जड़ को सिमेंटेड चबूतरे के कारण हवा और पानी मिलना बंद हो गया था. वन विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुये चबूतरा को तोड़ दिया है. साथ ही पेड़ को हरा-भरा करने का प्रयास शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन को विश्वास है कि वह इस पेड़ को बचाने में सफल होगें.