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गर्भवती महिलाओं में खून की कमी भी दर्शाता है ये 'वंडर एप्प', मातृ मृत्यु दर में भी आई है कमी

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Published : Dec 26, 2019, 1:26 PM IST

डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि वंडर एप्प से दरभंगा की गर्भवती महिलाओं की खतरनाक स्थिति में जान बचाने में काफी मदद मिली है. इस एप्प की एक बड़ी उपलब्धि यह भी है कि जिन महिलाओं को दलाल बहलाकर डीएमसीएच के बजाए निजी अस्पतालों में ले जाते हैं, वह भी इससे पता चल जाता है.

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'वंडर एप्प' से इलाज

दरभंगाः सूचना तकनीक का इस्तेमाल कर बिना किसी अतिरिक्त खर्च के स्वास्थ्य सेवाओं में कैसे सुधार लाया जा सकता है, इसका बड़ा उदाहरण दरभंगा ने प्रस्तुत किया है. जिले में गर्भवती महिलाओं के बेहतर इलाज और मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में बड़ी कामयाबी मिली है. ये संभव हुआ है एक मोबाइल और कंप्यूटर एप्लीकेशन 'वंडर एप्प' की वजह से.

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स्त्री एंव प्रसुति रोग विभाग

दरभंगा में शुरू किया गया था एप्प
इस एप्प को भारतीय मूल की एक अमेरिकी प्रसूति रोग विशेषज्ञ नर्मदा कुप्पुस्वामी ने बनाया है. इसे शुरू करने वाला दरभंगा बिहार का पहला जिला है. इसकी सफलता को देखते हुए अब इसे पूरे बिहार में लागू करने की तैयारी की जा रही है. 15 मई 2019 को जिले के बेनीपुर और बहादुरपुर से इस 'वंडर एप्प' की शुरूआत की गई थी. बाद में इसे पूरे जिले में लागू किया गया और नवंबर में डीएमसीएच में भी इसकी शुरुआत हुई.

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अस्पताल में मरीज

महिलाओं के इलाज में मिली बड़ी कामयाबी
डीएमसीएच में वंडर एप्प टीम की एएनएम रंभा कुमारी ने बताया कि जब से ये एप्प यहां शुरू हुआ है. तब से गर्भवती महिलाओं के इलाज और उनकी जान बचाने में बड़ी कामयाबी मिल रही है. उन्होंने बताया कि पहले पीएचसी से रेफर होने के बाद गर्भवती महिला का डीएमसीएच में कैसे इलाज होगा इसका पता नहीं रहता था. अब जैसे ही किसी गर्भवती महिला का किसी आंगनबाड़ी केंद्र में रजिस्ट्रेशन होता है, वैसे ही उसकी सारी सूचना इस एप्प में आ जाती है.

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'वंडर एप्प'

महिला में खून की कमी भी दर्शाता है एप्प
इसमें महिला की शारीरिक कठिनाईयां, बीमारी, उसकी सभी जांच और स्टेप वाइज इलाज का पूरा रिकॉर्ड रहता है. अगर महिला को खून की कमी होती है, तो यहां एप्प में उसके नाम से अलर्ट आ जाता है. इसके बाद उसका इलाज हो जाता है. महिला को जैसे ही प्रसव के लिए पीएचसी से डीएमसीएच रेफर किया जाता है, वैसे ही इसका अलर्ट भी आ जाता है. रेफर होने के बाद महिला यहां पहुंची या दलाल उसे बहला-फुसला कर निजी अस्पताल ले गए इसकी भी जानकारी मिल जाती है.

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मोबाइल पर 'वंडर एप्प'

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दलालों का भी पता लगा लेता है एप्प
डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने बताया कि इस एप्प की वजह से गर्भवती महिलाओं का पूरा इलाज कंप्यूटराइज्ड हो गया है. सभी रिकॉर्ड रहने की वजह से महिला का बेहतर इलाज होता है और मातृ मृत्यु पर लगाम लगी है. उन्होंने बताया कि इस एप्प के जरिए ये भी पता चला कि 115 महिलाओं को पीएचसी से डीएमसीएच रेफर किया गया, जिनमें से 70 महिलाएं यहां पहुंचीं और उनका इलाज यहां हुआ. बाकी महिलाएं किस वजह से नहीं आ सकीं इसका पता लगाने में भी इस एप्प की मदद ली गई.

स्पेशल रिपोर्ट

मराजों को निजी अस्पताल ले जाते हैं दलाल
दरभंगा डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि वंडर एप्प से दरभंगा की गर्भवती महिलाओं की खतरनाक स्थिति में जान बचाने में काफी मदद मिली है. इस एप्प की एक बड़ी उपलब्धि यह भी है कि जिन महिलाओं को दलाल बहलाकर डीएमसीएच के बजाए निजी अस्पतालों में ले जाते हैं वह भी इससे पता चल जाता है. ऐसे कुछ मामलों में उन्होंने इसमें शामिल आशा कार्यकर्ता और एंबुलेंस ड्राइवर को बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं.

Intro:दरभंगा। सूचना तकनीक का इस्तेमाल बिना किसी अतिरिक्त खर्च के स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे सुधार सकता है, इसका बडा उदाहरण दरभंगा ने प्रस्तुत किया है। जिले में गर्भवती महिलाओं के बेहतर इलाज और मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में बड़ी कामयाबी मिली है। यह संभव हुआ है एक मोबाइल और कंप्यूटर एप्लीकेशन 'वंडर एप्प' की वजह से। इसे 15 मई 2019 को जिले के बेनीपुर और बहादुरपुर से शुरू किया गया था। बाद में पूरे जिले में इसे लागू किया गया और नवंबर में डीएमसीएच में इसकी शुरुआत हुई। इस एप्प को भारतीय मूल की एक अमेरिकी प्रसूति रोग विशेषज्ञ नर्मदा कुप्पुस्वामी ने बनाया है। इसे लागू करने वाला दरभंगा बिहार का पहला जिला है। इसकी सफलता को देखते हुए अब इसे पूरे बिहार में लागू करने की तैयारी की जा रही है।


Body:डीएमसीएच में वंडर एप्प टीम की एएनएम रंभा कुमारी ने बताया कि जब से यह एप्प यहां शुरू हुआ है तब से गर्भवती महिलाओं के इलाज और उनकी जान बचाने में बड़ी कामयाबी मिल रही है। उन्होंने बताया कि पहले पीएचसी से रेफर होने के बाद गर्भवती महिला का डीएमसीएच में कैसे इलाज होगा इसका पता नहीं रहता था। अब जैसे ही किसी गर्भवती महिला का किसी आंगनबाड़ी केंद्र में रजिस्ट्रेशन होता है वैसे ही उसकी सारी सूचना इस एप्प में आ जाती है। इसमें महिला की शारीरिक कठिनाइयां, बीमारी, उसकी सभी जांच और स्टेप वाइज इलाज का पूरा रिकॉर्ड रहता है। अगर महिला को खून की कमी होती है तो यहां एप्प में उसके नाम से अलर्ट आ जाता है। इसके बाद उसका इलाज हो जाता है। महिला को जैसे ही प्रसव के लिए पीएचसी से डीएमसीएच रेफर किया जाता है वैसे ही इसका अलर्ट भी आ जाता है। रेफर होने के बाद महिला यहां पहुंची या दलाल उसे बहला-फुसला कर निजी अस्पताल ले गए इसकी भी जानकारी मिल जाती है।


Conclusion:डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने बताया कि इस एप्प की वजह से गर्भवती महिलाओं का पूरा इलाज कंप्यूटराइज्ड हो गया है। सभी रिकॉर्ड रहने की वजह से महिला का बेहतर इलाज होता है और मातृ मृत्यु पर लगाम लगी है। उन्होंने कहा कि नवंबर में इसे डीएमसीएच में शुरू किया गया था। उसके बाद से 115 महिलाओं को पीएचसी से डीएमसीएच रेफर किया गया जिनमें से 70 महिलाएं यहां पहुंचीं और उनका इलाज यहां हुआ। बाकी महिलाएं किस वजह से नहीं आ सकीं इसका पता लगाने में भी इस एप्प की मदद ली गई।

दरभंगा डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि वंडर एप्प से दरभंगा की गर्भवती महिलाओं की खतरनाक स्थिति में जान बचाने में काफी मदद मिली है। इस एप्प की एक बड़ी उपलब्धि यह भी है कि जिन महिलाओं को दलाल बहलाकर डीएमसीएच के बजाए निजी अस्पतालों में ले जाते हैं वह भी इससे पता चल जाता है। ऐसे कुछ मामलों में उन्होंने इसमें शामिल आशा कार्यकर्ता और एंबुलेंस ड्राइवर को बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस एप्प की सफलता को देखते हुए राज्य की एक टीम इसका अध्ययन करने दरभंगा आई थी। अब इस एप्प को राज्य भर में लागू करने की तैयारी चल रही है।

बाइट 1- रंभा कुमारी, एएनएम, बहादुरपुर पीएचसी.
बाइट 2- डॉ. राज रंजन प्रसाद, अधीक्षक, डीएमसीएच.
बाइट 3- डॉ. त्यागराजन एसएम, डीएम, दरभंगा.

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विजय कुमार श्रीवास्तव
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