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बिहार के इस गांव में चचरी पुल पर लगता है टोल टैक्स.. 15 गांवों के लिए बना लाइफ लाइन

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Published : May 19, 2022, 8:12 PM IST

चचरी पुल से गुजरने वाले लोगों को टोल टैक्स देना पड़ता है. हर साल यह चचरी पुल बाढ़ (flood in bihar) में बह जाता है. टोल टैक्स से जमा पैसों से फिर से इसे बनाया जाता है. यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है लेकिन आजतक किसी भी जन प्रतिनिधि का ध्यान इस ओर नहीं गया. मामला बिहार के दरभंगा का है.

toll tax on chachari pool in darbhanga
toll tax on chachari pool in darbhanga

दरभंगा: आपने टोल टैक्स वाले नेशनल हाईवे और बड़े-बड़े पुल तो बहुत देखे होंगे लेकिन क्या कोई बांस का चचरी पुल भी देखा है जिससे होकर गुजरने के लिए टोल टैक्स (toll tax on chachari pool in darbhanga) देना पड़ता हो. जी हां, यह सच है. दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड (biraul block) की लदहो पंचायत (Ladho Panchayat darbhanga) के कई गांवों की एक बड़ी आबादी के लिए एक चचरी पुल किसी हाईवे से कम नहीं है. इस चचरी पुल से गुजरने के लिए राहगीरों को पैसे चुकाने पड़ते हैं.

पढ़ें- दरभंगा: धौंस नदी के जलस्तर में वृद्वि के कारण टूटा चचरी पुल, गांव के लोगों का प्रशासन से नाव चलाने की मांग

इतना देना होगा टोल टैक्स: अगर आप बाइक से आते हैं तो किराया 20 रुपये, साइकिल से 10 रुपये और पैदल हैं तब भी 5 रुपये देने पड़ते हैं. ये किराया वसूलने ले लिए बकायदा स्टाफ घटवार रखा हुआ है जिसे हर महीने 3 हजार की तनख्वाह दी जाती है. लदहो बिरौल अनुमंडल मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर है लेकिन अगर ये चचरी पुल न हो तो दूरी 15 से 25 किमी की हो जाती है.

टोल टैक्स वसूली की कहानी: जिले के बिरौल प्रखंड की लदहो पंचायत कुशेश्वरस्थान विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है. यहां के सांसद प्रिंस राज और विधायक अमन भूषण हजारी हैं. यह गांव कमला नदी की उपधारा के तट पर बसा है. आजादी के बाद से आज तक इस पंचायत के गांवों के लोगों को एक सड़क और पुल नसीब नहीं हुआ. ग्रामीणों ने सांसद विधायक से लेकर सरकारी अफसरों तक से वर्षों तक गुहार लगाई लेकिन उनके लिए एक अदद पुल नहीं बन सका. उसके बाद पंचायत के गांवों के लोगों ने चंदा वसूल कर 2 लाख रुपये इकट्ठे किए और बांस और लोहे का चचरी पुल बनवाया. इसके बाद यहां आवागमन सुलभ हो सका.

हर साल टोल टैक्स की रकम से बनवायी जाती है पुल: इस बांस के चचरी पुल से बलिया, उसरार, लदहो, बुआरी, चनबारा, बलहा, बेंक, भदरपट्टी, पोखराम सहित करीब 15 गांवों की लाखों की आबादी को आवागमन सुलभ हो सका है. हालांकि ये चचरी पुल हर साल बाढ़ में बह जाता है इसलिए ग्रामीण इस पुल से आने-जाने का किराया वसूल कर हर साल नैना घाट पर नया पुल बनवाते हैं. हर पांच साल बाद विधायक जी और सांसद जी चुनाव में वोट मांगने आते हैं. गांव के मंदिर में कसम खाते हैं कि अबकी चुनाव जीते तो पक्का पुल बनवा देंगे लेकिन आज तक पुल अस्तित्व में नहीं आया.

ग्रामीणों ने कही ये बात: नैना घाट पर टोल टैक्स वसूलने के लिए तैनात घटवार सत्यनारायण पंडित ने बताया कि वे इस पुल से गुजरनेवाले साइकिल सवार से 10 रुपये, मोटरसाइकिल सवार से 20 रुपये और पैदल लोगों से 5 रुपये वसूल करते हैं. उन्होंने कहा कि ये चचरी पुल बांस और लोहे से बना है. इसमें 2 क्विंटल लोहा लगा है. लदहो पंचायत के पैक्स अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने बताया कि लदहो पंचायत से बिरौल अनुमंडल मुख्यालय जाने के लिए एकमात्र रास्ता यह चचरी पुल ही है.

"साइकिल सवार से 10 रुपये, मोटरसाइकिल सवार से 20 रुपये और पैदल लोगों से 5 रुपये वसूल करते हैं. चचरी पुल बांस और लोहे से बना है. इसमें 2 क्विंटल लोहा लगा है."- सत्यनारायण पंडित, घटवार

"हर बार चुनाव के समय सांसद-विधायक और जनप्रतिनिधि यहां पक्का पुल बनाने का वादा करके जाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वापस नहीं आते. चुनाव गया तो पुल भी चला गया. फिर चुनाव आता है तो पुल वापस आ जाता है. चंदा लगाकर हमलोगों ने पुल बनाया है जिससे आवागमन होता है. बाढ़ के समय यह चचरी पुल भी टूट जाता है जिससे आने-जाने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं."- रामचंद्र यादव, पैक्स अध्यक्ष, लदहो पंचायत

"कुशेश्वर स्थान के विधायक चुनाव में आकर मंदिर में भगवान के सामने कसम खाते हैं कि अबकी जीतने के बाद वे पुल बनवा देंगे. लेकिन जीतने के बाद फिर दोबारा नहीं आते. पुल के बगैर हमे काफी परेशानी होती है."- शेषनाथ लाल दास, ग्रामीण



"लदहो में पुल नहीं होने से 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में 25 किमी जाना पड़ता है.यहां दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है. चचरी पुल टूट जाने के बाद सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. यहां पुल जल्द बनना चाहिए."- बेचन पंडित, ग्रामीण

पढ़ें- बिहार चुनाव : वोट डालने के लिए ग्रामीणों ने नदी पर बना डाला पुल


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दरभंगा: आपने टोल टैक्स वाले नेशनल हाईवे और बड़े-बड़े पुल तो बहुत देखे होंगे लेकिन क्या कोई बांस का चचरी पुल भी देखा है जिससे होकर गुजरने के लिए टोल टैक्स (toll tax on chachari pool in darbhanga) देना पड़ता हो. जी हां, यह सच है. दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड (biraul block) की लदहो पंचायत (Ladho Panchayat darbhanga) के कई गांवों की एक बड़ी आबादी के लिए एक चचरी पुल किसी हाईवे से कम नहीं है. इस चचरी पुल से गुजरने के लिए राहगीरों को पैसे चुकाने पड़ते हैं.

पढ़ें- दरभंगा: धौंस नदी के जलस्तर में वृद्वि के कारण टूटा चचरी पुल, गांव के लोगों का प्रशासन से नाव चलाने की मांग

इतना देना होगा टोल टैक्स: अगर आप बाइक से आते हैं तो किराया 20 रुपये, साइकिल से 10 रुपये और पैदल हैं तब भी 5 रुपये देने पड़ते हैं. ये किराया वसूलने ले लिए बकायदा स्टाफ घटवार रखा हुआ है जिसे हर महीने 3 हजार की तनख्वाह दी जाती है. लदहो बिरौल अनुमंडल मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर है लेकिन अगर ये चचरी पुल न हो तो दूरी 15 से 25 किमी की हो जाती है.

टोल टैक्स वसूली की कहानी: जिले के बिरौल प्रखंड की लदहो पंचायत कुशेश्वरस्थान विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है. यहां के सांसद प्रिंस राज और विधायक अमन भूषण हजारी हैं. यह गांव कमला नदी की उपधारा के तट पर बसा है. आजादी के बाद से आज तक इस पंचायत के गांवों के लोगों को एक सड़क और पुल नसीब नहीं हुआ. ग्रामीणों ने सांसद विधायक से लेकर सरकारी अफसरों तक से वर्षों तक गुहार लगाई लेकिन उनके लिए एक अदद पुल नहीं बन सका. उसके बाद पंचायत के गांवों के लोगों ने चंदा वसूल कर 2 लाख रुपये इकट्ठे किए और बांस और लोहे का चचरी पुल बनवाया. इसके बाद यहां आवागमन सुलभ हो सका.

हर साल टोल टैक्स की रकम से बनवायी जाती है पुल: इस बांस के चचरी पुल से बलिया, उसरार, लदहो, बुआरी, चनबारा, बलहा, बेंक, भदरपट्टी, पोखराम सहित करीब 15 गांवों की लाखों की आबादी को आवागमन सुलभ हो सका है. हालांकि ये चचरी पुल हर साल बाढ़ में बह जाता है इसलिए ग्रामीण इस पुल से आने-जाने का किराया वसूल कर हर साल नैना घाट पर नया पुल बनवाते हैं. हर पांच साल बाद विधायक जी और सांसद जी चुनाव में वोट मांगने आते हैं. गांव के मंदिर में कसम खाते हैं कि अबकी चुनाव जीते तो पक्का पुल बनवा देंगे लेकिन आज तक पुल अस्तित्व में नहीं आया.

ग्रामीणों ने कही ये बात: नैना घाट पर टोल टैक्स वसूलने के लिए तैनात घटवार सत्यनारायण पंडित ने बताया कि वे इस पुल से गुजरनेवाले साइकिल सवार से 10 रुपये, मोटरसाइकिल सवार से 20 रुपये और पैदल लोगों से 5 रुपये वसूल करते हैं. उन्होंने कहा कि ये चचरी पुल बांस और लोहे से बना है. इसमें 2 क्विंटल लोहा लगा है. लदहो पंचायत के पैक्स अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने बताया कि लदहो पंचायत से बिरौल अनुमंडल मुख्यालय जाने के लिए एकमात्र रास्ता यह चचरी पुल ही है.

"साइकिल सवार से 10 रुपये, मोटरसाइकिल सवार से 20 रुपये और पैदल लोगों से 5 रुपये वसूल करते हैं. चचरी पुल बांस और लोहे से बना है. इसमें 2 क्विंटल लोहा लगा है."- सत्यनारायण पंडित, घटवार

"हर बार चुनाव के समय सांसद-विधायक और जनप्रतिनिधि यहां पक्का पुल बनाने का वादा करके जाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वापस नहीं आते. चुनाव गया तो पुल भी चला गया. फिर चुनाव आता है तो पुल वापस आ जाता है. चंदा लगाकर हमलोगों ने पुल बनाया है जिससे आवागमन होता है. बाढ़ के समय यह चचरी पुल भी टूट जाता है जिससे आने-जाने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं."- रामचंद्र यादव, पैक्स अध्यक्ष, लदहो पंचायत

"कुशेश्वर स्थान के विधायक चुनाव में आकर मंदिर में भगवान के सामने कसम खाते हैं कि अबकी जीतने के बाद वे पुल बनवा देंगे. लेकिन जीतने के बाद फिर दोबारा नहीं आते. पुल के बगैर हमे काफी परेशानी होती है."- शेषनाथ लाल दास, ग्रामीण



"लदहो में पुल नहीं होने से 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में 25 किमी जाना पड़ता है.यहां दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है. चचरी पुल टूट जाने के बाद सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. यहां पुल जल्द बनना चाहिए."- बेचन पंडित, ग्रामीण

पढ़ें- बिहार चुनाव : वोट डालने के लिए ग्रामीणों ने नदी पर बना डाला पुल


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