ETV Bharat / state

बक्सर के विश्वामित्र महोत्सव में कलाकारों ने किया मंत्रमुग्ध, बोले डीएम- सांस्कृतिक कार्यक्रम अतीत से जुड़ने के अवसर

author img

By

Published : Mar 28, 2022, 1:20 PM IST

बक्सर में विश्वामित्र महोत्सव का आयोजन गया है. इसमें स्थानीय के साथ ही बाहरी कलाकर भी अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. इस आयोजन को लेकर जिलाधिकारी अमन समीर ईटीवी ने कहा कि इससे हमें अपनी संस्कृति से जुड़ने की सीख मिलती है. सांस्कृतिक विरासत को जानने और समझने का अवसर मिलता है. पढ़ें पूरी खबर.

raw
raw

बक्सर: बिहार के कला एवं संस्कृति विभाग तथा बक्सर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में भव्य विश्वामित्र महोत्सव का आयोजन (Vishwamitra Festival in Buxar) गया है. इस महोत्सव का उद्घाटन महर्षि विश्वामित्र के तैल चित्र पर जिलाधिकारी अमन समीर एवं पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार सिंह सहित जिले के आला अधिकारियों द्वारा पुष्पांजलि से हुआ. इस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों को तरजीह दी गई थी. साथ ही बाहरी कलाकार भी बुलाये गये थे. स्थानीय कलाकारों में विष्णु ओझा, अंकित ओझा, गुड्डू पाठक, मनी सम्राट सहित दर्जनों कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया.

कोलकत्ता के स्पीड डांस ग्रुप के कलाकार और इंडियन आइडल के कलाकार भी अपना शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्वामित्र महोत्सव में कलाकारों ने गीत, संगीत और नृत्य से बक्सर वासियों को मुग्ध कर दिया. बक्सर 17 मार्च से 27 मार्च तक लगातार सरकारी महोत्सव हो रहे हैं. 17 मार्च को जिला स्थापना दिवस पर तो 22 मार्च को बिहार दिवस, 24 मार्च को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान दिवस, 27 मार्च को विश्वामित्र महोत्सव का आयोजन किया गया. इस बाबत जिलाधिकारी अमन समीर ने ईटीवी भारत से कहा कि ऐसे आयोजनों से हमें अपनी संस्कृति से जुड़ने की सीख मिलती है.

ये भी पढ़ें: 'बिहार की लोक कला और संस्कृति को बचाने के लिए सरकार कृतसंकल्पित, जिला महोत्सव में स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता'

उन्होंने कहा कि हमारी जो सांस्कृतिक विरासत हैं उन्हें जानने और समझने का अवसर मिलता है. आपको बताते चलें कि बक्सर एक आध्यात्मिक, पौराणिक एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान रहा है. बक्सर को महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि तो भगवान राम और लक्ष्मण की शिक्षा स्थली माना जाता है. यहीं पर भगवान विष्णु का वामनावतार हुआ था. बक्सर को गंगाजी का मायका और हनुमानजी का ननिहाल होने का गौरव प्राप्त है. अहिल्या उद्धार स्थल भी यहीं मौजूद है.

देखें वीडियो

भारतीय इतिहास की दो महत्वपूर्ण लड़ाइयां यहीं लड़ी गईं. 26 जून 1539 और 23 अक्टूबर 1764 को बक्सर की भूमि पर हुए दो युद्धों का जिक्र आज भी इतिहास के पन्नों में पूरे प्रमाण के साथ दर्ज हैं. पूरी दुनिया जानती है कि बक्सर के इन दो युद्धों के बाद भारत में शासन परिवर्तन हुआ था. बक्सर का प्रथम युद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी और हुमायुं के बीच लड़ा गया. इस युद्ध में मुगल सम्राट हुमायुं को हराकर शेरशाह ने भारत में अफगानों की हुकूमत स्थापित की थी.

ये भी पढ़ें: 23 अप्रैल को बिहार दौरे पर आएंगे अमित शाह, आरा में आजादी के अमृत महोत्सव में करेंगे शिरकत

बक्सर में द्वितीय युद्ध ब्रिटिश सेना और संयुक्त भारतीय सेनाओं के बीच लड़ी गई. दिल्ली के अंतिम मुगल बादशाह तथा बंगाल और अवध के संयुक्त सेनानियों के बीच लड़े गए इस युद्ध में अंग्रेजों द्वारा भारतीय सेना के पराजित हो जाने के पश्चात ये तय हो गया कि भारत में अब शासन की बागडोर अंग्रेजों के हाथ में ही रहेगी.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.