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OMG ! मेंढक के बाद मध्याह्न भोजन में मिली मकड़ी, NGO को बचाने में जुटे अधिकारी

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Published : Oct 15, 2022, 9:46 PM IST

Updated : Oct 16, 2022, 9:31 AM IST

बक्सर के आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के मिड डे मील में मेढक के बाद मकड़ी मिलने की सूचना के बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई नहीं हो रही है. 8 दिन पहले ही य स्कूल मेंढक मिला था. एक बार फिर मकड़ी मिलने के बाद एनजीओ और अधिकारी सवालों के घेरे में हैं.

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बक्सर: बिहार के बक्सर में मिड डे मील में मेंढक मिलने के बाद अब खाने में मकड़ी (Spider found in mid day meal in Buxar) मिल गई. इस शिकायत से शिक्षा विभाग के अफसरों के हाथ पांव फूल गए. ताजा मामला जिला मुख्यालय के ही आदर्श मध्य विद्यालय (Adarsh Middle School in Buxar) का है. जब तक ये खबर मिली तब तक विद्यालय के आधे से अधिक बच्चों ने तब तक खाना भी खा लिया था. हालांकि किसी भी बच्चे को कोई नुकसान नहीं हुआ. घोर लापरवाही के बाद भी एनजीओ पर अधिकारी मेहरबान हैं. अगले तीन महीने तक का राशन पहले ही दे दिया गया है, छात्र-छात्राओं के जीवन से खिलवाड़ करने वाले एनजीओ पर करवाई करने के बजाय अफसर उसे बचाने में जुटे हैं. जबकि स्कूल के शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लिखत शिकायत कर एनजीओ पर करवाई करने की मांग की.

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''सरकारी स्कूल में हम जैसे गरीब लोगों के बच्चे पढ़ते हैं. जिनके जीने मरने से अधिकारी और नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता है. कोई मसरख जैसा कोई बड़ा हादसा बच्चों के साथ हो जाएगा तो एक दो लोगों पर करवाई कर मामले की लीपापोती कर दी जाएगी. यदि जिले के बड़े अधिकारियों के बेटे की थाली में मेंढक मिला होता तो अब तक एनजीओ का संचालक जेल में होता''- रूबी देवी, स्थानीय



बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लिखित शिकायत करने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. जिसके कारण छात्रों के अभिभावक डरे हुए हैं. अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे हैं. अभिभावकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों की इंसानियत ही मर गई है. शिकायत करने वाला भी सरकारी कर्मी है. उसके बाद भी करवाई नहीं होने का सीधा अर्थ है कि अधिकारी कमीशन के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

''मुझे भी इसकी सूचना मिली है. मैं स्कूल में गया नहीं था. इस घटना से वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा. अगले तीन महीने तक तो कोई बदलाव या करवाई नहीं किया जा सकता है. क्योंकि एनजीओ को तीन महीने का राशन दे दिया गया है''- नाजेश अली मध्याह्न भोजन कार्यक्रम पदाधिकारी


गौरतलब है कि पर्दे के पीछे से जिले के कई बड़े अधिकारी एनजीओ को बचाने में लगे हुए हैं. यही कारण है कि विद्यालय शिक्षा समिति, स्कूल प्रशासन एवं वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा लिखित रूप से शिकायत करने के बाद भी उस एनजीओ की गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है. बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं उनके बौद्धिक एवं शारीरिक विकास के मद्देनजर विद्यालयों में मिड डे मील यानी कि मध्याह्न भोजन की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है. लेकिन मध्याह्न भोजन में गुणवत्ता की कमी इस उद्देश्य की हवा निकाल रही है.

Last Updated : Oct 16, 2022, 9:31 AM IST
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