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वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या पर क्या बोल गए कृषि मंत्री, 'उनके परिवार के लोग शहादत देते आए हैं, आगे भी देंगे'

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Published : Apr 12, 2022, 6:19 PM IST

मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह
मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह

देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. जिसे लेकर स्वतंत्रता सेनानियों की याद में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसी कड़ी में बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती पर भोजपुर के जगदीशपुर में कार्यक्रम का आयोजत होगा. जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह बक्सर पहुंचे थे जहां वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या (Murder of Veer Kunwar Singh great grandson) को लेकर पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह के बलिदान से बड़ा कोई बलिदान नहीं है... पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

बक्सर: देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया (Azadi Ka Amrit Mahotsav) जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की याद में कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. बिहार में स्वतंत्रता संग्राम के नायक बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती हर साल 23 अप्रैल विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस बार बीजेपी बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती पर (Veer Kunwar Singh birth anniversary) बड़ा आयोजन करने जा रही है. कार्यक्रम में शिरकत करने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी जगदीशपुर पहुंच रहे हैं. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक दिवसीय दौरे पर बक्सर पहुंचे कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने तैयारियों की जानकारी दी. साथ ही बाबू वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की पीट-पीटकर हत्या मामले पर उन्होंने ने कहा कि वीर कुंवर सिंह से बड़ा बलिदानी कोई नहीं था. उनके परिवार के लोग शहादत देते आये हैं और आगे भी देंगे. इस परिवार के प्रति हमारा सम्मान है.

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वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या पर बोले मंत्री: वहीं, बाबू वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की पीट-पीटकर हत्या कर देने का सवाल पर मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वीर कुंवर सिंह से बड़ा बलिदानी कोई नहीं था. उनके परिवार के लोग शहादत देते आये हैं और आगे भी देंगे. दोनों चलते रहता है. विजय उत्सव भी होगा और ये सब भी चलता रहेगा. इस मामले में हमारी नजर है और कार्रवाई भी होगी. इतने बड़े आयोजन को डायवर्ट करने की कोशिश नहीं किया जाए. उस परिवार के लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं, उनकी कोई नराजगी नहीं है.

'वीर कुंवर सिंह से बड़ा बलिदानी कोई नहीं था. उनके परिवार के लोग शहादत देते आये हैं और आगे भी देंगे. इस परिवार के प्रति हमारा सम्मान है. परिवार को न्याय मिलेगा, हमारी नजर में सब है' कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह

विधायक संजय तिवारी ने बयान पर जताया खेद: कृषि मंत्री के इस बयान पर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि मंत्री का बयान शर्मसार कर देने वाला है. एक तरफ बिहार में पुलिस वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र को पीट-पीटकर हत्या कर देती है. वहीं बिहार सरकार के मंत्री हत्या को शहादत बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. क्या पुलिस लोगों की शहादत दिलवा रही है?. कृषि मंत्री अपना बयान वापस लें, नहीं तो बिहार की जनता सब कुछ देख सुन रही है. इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. सरकार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
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तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी: एक दिवसीय दौरे पर अपने गृह जिले बक्सर पहुंचे बिहार सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने विजय उत्सव की तैयारियो की जानकारी देते हुए कहा कि, भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह के आगमन से पहले बीजेपी भव्य तैयारियों में जुटी है. बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति में पूरे शाहाबाद से तिरंगा यात्रा निकाला जाएगा. वीर कुंवर सिंह की जन्म भूमि जगदीशपुर में तिरंगा के साथ लोगों का कुंभ लगेगा. बिहार के 14 जिलों के कार्यकर्ता तिरंगा कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचेंगे. बीजेपी की कोर कमेटी में इसको लेकर निर्णय भी लिया जा चुका है और इस योजना पर काम शुरू कर दी गई. पार्टी इस बार एक लाख से अधिक तिरंगा झंडा के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रही है.

कौन थे बाबू वीर कुंवर सिंह: 1857 का संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी और अहम घटना थी. इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे बाकी स्थानों पर फैल गई. वैसे तो संग्राम में कई लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई लेकिन अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए अपने क्षेत्र को आजाद करने वाले एकमात्र नायक बाबू वीर कुंवर सिंह थे. उन्होंने 23 अप्रैल, 1858 को शाहाबाद क्षेत्र को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया था. उन्होंने जगदीशपुर के अपने किले पर फतह पाई थी और ब्रिटिश झंडे को उतारकर अपना झंडा फहराया था. उसी आजादी का पारंपरिक विजयोत्सव दिवस 23 अप्रैल को मनाया जाता है.

जब एक हाथ से लड़े बाबू वीर कुंवर सिंह : अप्रैल 1858 में नाव के सहारे गंगा नदी पार करने के दौरान अंग्रेजों ने कुंवर सिंह पर हमला कर दिया था. वह नदी पार करते समय अपने पलटन के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों से घिर गए थे. इस क्रम में उनके हाथ में गोली लग गई. गोली उनके बाएं बांह में लगी. गोली लगने के बाद उन्होंने अपने ही तलवार से हाथ काटकर उसे गंगा नदी में अर्पित कर दिया. हालांकि, घायल होने के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं टूटी और जगदीशपुर किले को फतह कर ही दम लिया. एक ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘यह गनीमत थी कि युद्ध के समय उस कुंवर सिंह की उम्र 80 थी. अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता.

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