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औरंगाबाद: सदर अस्पताल के डॉक्टर सरताज ने लिया VRS, प्रशासन पर लगाए कई आरोप

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Published : Aug 17, 2019, 2:32 PM IST

सिविल सर्जन भी मानते हैं कि सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के कारण उनसे आउटडोर काम कराया जाता था. हालांकि उनकी सर्जरी के काम में कोई रुकावट नहीं थी. उन्होंने अपनी मर्जी से वीआरएस लिया है.

डॉ. सरताज ने लिया VRS

औरंगाबाद: जिले के सदर अस्पताल में सालों से कार्यरत सर्जन डॉक्टर सरताज अहमद ने वीआरएस ले लिया. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरी शैक्षणिक योग्यता एमएस सर्जरी है. मैं अस्पताल प्रबंधक से कहता रहा कि मुझे सर्जरी करने दिया जाए. मुझे बस एक एनेस्थेटिक की जरूरत है, लेकिन किसी ने मेरी एक नहीं सुनी.

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डॉ. सुरेंद्र प्रसाद, सिविल सर्जन

अस्पताल की कुव्यवस्था से नाराज होकर लिया VRS
डॉक्टर सरताज अस्पताल की कुव्यवस्था से काफी नाराज दिखे. उन्होंने बताया कि मुझसे केवल आउटडोर, इमरजेंसी, पोस्टमार्टम, सर्दी-खांसी और मलेरिया का इलाज करवाया जाता था. रोजाना आउटडोर में लगभग 200 मरीजों का मैं इलाज करता था. मुझे अपने इस काम से संतुष्टी नहीं थी, इसलिए मैंने वीआरएस ले लिया.

अस्पताल की कुव्यवस्था से नाराज होकर डॉ. सरताज ने लिया VRS

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
मामले में सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि लगभग 20 वर्षों वो सेवा दे रहे थे. उनका कार्यकाल लगभग पूरा हो गया था, इसीलिए डॉक्टर सरताज ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. लेकिन सिविल सर्जन भी मानते हैं कि सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के कारण उनसे आउटडोर काम कराया जाता था. हालांकि उनकी सर्जरी के काम में कोई रुकावट नहीं थी. उन्होंने अपनी मर्जी से वीआरएस लिया है.

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एंकर:-- बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से जहां सैकड़ों बच्चे की मौत हो गई व औरंगाबाद जिले के लू से लगभग 100 की मौत हो गई। औरंगाबाद के तीस लाख आबादी पर यह सदर अस्पताल की व्यवस्था से क्षुब्ध होकर सर्जन डॉक्टर सरताज ने वीआरएस ले लिया, एक और जहां बिहार में डॉक्टरों की कमी है।
स्पेशल रिपोर्ट, संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद


Body:v.o.1.गौरतलब है कि सर्जन डॉक्टर सरताज लगभग 10 वर्षों से सदर अस्पताल में पदस्थापित थे, मैंने अस्पताल प्रबंधक को कहता रहा कि मेरी शैक्षणिक योग्यता एमएस सर्जरी है सर्जरी करने में अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं, मुझे वह काम नहीं दिया जाए केवल मेरे से आउटडोर, इमरजेंसी ,पोस्टमार्टम, सर्दी खांसी, मलेरिया का इलाज कराया जाता था लगभग रोज आउटडोर में लगभग 200 मरीज विभिन्न बीमारी से पीड़ित का इलाज करता था। मैं लगभग 10 साल से अस्पताल प्रबंधक से एक एनेस्थेटिक लाइए मैं पूरी हॉस्पिटल सर्जरी कर कर भर दूंगा। बिहार सरकार के द्वारा लगभग मानदेय दो लाख रुपया दिया जाता था। अपने जॉब से संतुष्ट नहीं था इसीलिए ऐच्छिक सेवानिवृत्ति व्यवस्था से क्षुब्ध होकर दे दिया।
1.वाईट:- डॉक्टर सरताज - सर्जन ऐच्छिक सेवानिवृत्ति


Conclusion:v.o.2. औरंगाबाद जिले के सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद बताया कि लगभग20 वर्षों से उनका कार्य पूर्ण हो गया था इसीलिए डॉक्टर सरताज ने ऐच्छिक सेवानिवृत ले ली है लेकिन सिविल सर्जन ने भी मानते हैं कि हां सदर अस्पताल में डॉक्टर की कमी है तो कभी कभी उनको आउटडोर काम कराया जाता था। मगर सर्जन के काम में कोई रुकावट नहीं था, अपनी मर्जी से बीआरएस लिए हैं।
2वाईट :- सुरेंद्र प्रसाद - सिविल सर्जन औरंगाबाद।
पीटीसी संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद ।
नोट:- ऐच्छिक सेवानिवृत्त सर्जन डॉक्टर सरताज का बाइट wrapपर है। क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद और अपने गांव चले गए।
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