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भोजपुरः मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार

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Published : Jan 29, 2020, 10:20 PM IST

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जहां एक तरफ कुम्हार समुदाय के लोग अपना पुश्तैनी काम छोड़ कर पैसे कमाने के लिए दिल्ली और पंजाब की तरफ रुख कर रहे है, तो वहीं, भोजपुर के एक सुनार समुदाय के युवक ने सालों की कड़ी मेहनत के बाद मूर्ति बनाने का हुनर सीख आज मूर्तियां बना रहा है.

भोजपुरः पूरे बिहार सहित भोजपुर में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. जिले में बसंत पंचमी की तैयारियां जोरों पर चल रही है. वहीं, मूर्तिकार सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.

जहां एक तरफ कुम्हार समुदाय के लोग अपना पुश्तैनी काम छोड़ कर पैसे कमाने के लिए दिल्ली और पंजाब की तरफ रुख कर रहे हैं, तो वहीं, भोजपुर के एक सुनार समुदाय का युवक सालों की कड़ी मेहनत के बाद मूर्ति बनाने का हुनर सीख आज मूर्तियां बना रहा है.

मूर्तियां बनाकर करता है अच्छी कमाई
युवक बताता है कि जहां वह पढ़ने जाता था उसके बगल में कुछ कुम्हार समुदाय के लोग मूर्ति बनाने का काम करते थे. वहीं, खड़े होकर उसने मूर्ति बनाना सीखा. देखते ही देखते उसने अपने मन में मूर्तिकार बनने की जिद ठान ली और कड़ी मेहनत के बाद आज मूर्तियां बनाकर युवक अच्छा पैसा कमा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे
युवक ने बताया कि उसके पिता विकलांग है और वो छोटे से चाय की दुकान चलाते हैं. इस साल पहली बार युवक ने 15 मूर्तियां बनाया है, जिसमें से पांच मूर्तियां उसने बेच दिया है. वहीं, बचे हुए मूर्तियां भी उसे बिकने की उम्मीद दिख रही है. जो पैसे उसे मिलते हैं, वह अपने परिवार को दे देता है.

Intro:सरस्वती पूजा स्पेशल

भोजपुर।


पूरे बिहार सहित भोजपुर में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का त्यौहार बनाया जाएगा. जिले में बसंत पंचमी की तैयारियां जोरों पर चल रही है मूर्तिकार सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. जहां एक तरफ कुम्हार समुदाय के लोग अपना पुश्तैनी काम छोड़ कर पैसे कमाने के लिए दिल्ली और पंजाब की तरफ रुख कर रहे हैं


Body:तो वहीं भोजपुर का एक सुनार समुदाय के युवक ने सालों की कड़ी मेहनत के बाद मूर्ति बनाने का हुनर सीख आज मूर्तियां बना रहा है.युवक बताता है जहां वह पढ़ने जाता था उसके बगल में कुछ कुम्हार समुदाय के लोग मूर्ति बनाने का काम करते थे वहीं खड़े होकर उसने मूर्ति बनाना सिखा. देखते ही देखते उसने अपने मन में मूर्तिकार बनने की जिद ठान ली और कड़ी मेहनत के बाद आज मूर्तियां बनाकर युवक अच्छा पैसा कमा रहा है. युवक ने बताया कि उसके पिता विकलांग हैं और वो छोटे से चाय की दुकान चलाते हैं. इस वर्ष पहली बार युवक ने 15 मूर्तियां बनाया है जिसमें से पांच मूर्तियां उसने बेच दिया है वही बचे हुए मूर्तियां भी उसे बिकने की उम्मीद दिख रही है. जो पैसे उसे मिलते हैं वह अपने परिवार को दे देता है.

बाइट-अंकित कुमार(युवा मूर्तिकार)


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