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Dog Lover: आवारा कुत्तों से प्रेम की कहानी, 35 सालों से आवारा डॉग्स पर सौरभ बनर्जी लुटा रहे अपनी गाढ़ी कमाई

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Published : Feb 11, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Feb 12, 2023, 8:36 AM IST

अवारा कुत्तों से प्रेम की कहानी
अवारा कुत्तों से प्रेम की कहानी

आज के इस दौर में इंसान इंसान की फिक्र नहीं करता. उदाहरण ढेरों पड़ें हैं, बच्चे मां बाप की परवाह नहीं करते और महिलाएं अपने सास ससुर का हाल चाल नहीं पूछतीं, अमीर लोग गरीबों पर तरस नहीं खाते. ऐसे तमाम संवेदनहीन दृश्य आपको हर दिन देखने और सुनने को मिल जाएंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जो इंसानों की बात तो छोड़िये जानवरों से भी बेपनाह मोहब्बत और हमदर्दी रखते हैं. कई सालों से ये आवारा कुत्तों के मसीहा बने हुए हैं.

अवारा कुत्तों से प्रेम की अनोखी कहानी

भागलपुरः अपने पालतू कुत्तों से प्रेम करते तो आपने बहुत लोगों के देखा होगा, लेकिन भागलपुर के एक शिक्षक ने अपनी जिंदगी आवारा कुत्तों के लिए ही सर्व कर दी है. उन्हें गली के आवारा कुत्तों से इतना प्यार और लगाव है कि वो दिन रात उनकी सेवा में ही लगे रहते हैं. कुत्तों से प्रेम की ये कहानी कोई नई नहीं है. शिक्षक सौरभ बनर्जी 35 सालों से इन आवारा कुत्तों की देखभाल कर रहे हैं. भागलपुर के मशाकचक के रहने वाले सौरभ पेशे से शिक्षक हैं और ट्यूशन पढ़ाते हैं. अपनी कमाई का 70 प्रतिशत हिस्सा वो कुत्ते पर खर्च कर देते हैं.

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अब तक 200 कुत्तों का किया पालन पोषणः सौरभ को जानने वाले लोग बताते हैं कि जब भी वो सड़क पर बीमार कुत्ते को देखते हैं तो उसे घर ले आते हैं और उसे पालते हैं. घर में कुत्तों के लिए रूम और बेड के साथ-साथ अन्य चीजों की भी व्यवस्था है. घायल कुत्तों की मरहम पट्टी करके उसकी सेवा करने में सौरभ को बहुत आनंद मिलता है. अब तक उन्होंने करीब 200 कुत्तों का पालन पोषण किया है. ये सिलसिला साल 1987 से ही चला आ रहा है. जब शिक्षक ने कुत्तों को पहली बार अपने घरों पर रखकर पालन पोषण की ठानी थी. जहां अक्सर लोग अवारा कुत्तों से डरते और उनको मारते हैं, वहीं, सौरभ बनर्जी बीमार और घायल आवार कुत्तों की देखभाल के लिए उन्हें अपने घर ले आते हैं.

  • लावारिस डॉग के हैं हमदर्द, कमाई का 70 प्रतिशत हिस्सा इनपर खर्च कर देते | These teachers of Bhagalpur consider dogs as children https://t.co/UgMTnURgls

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कुत्तों को दर्द से देते हैं मुक्तिः इस वक्त सौरभ की उम्र 56 वर्ष है. उन्हें कोई संतान नहीं है, वो कुत्तों की अपनी संतान की तरह देखभाल करते हैं, जब कुत्ते की मृत्यु हो जाती है तो उसे दफना दिया जाता है. सौरभ बताते हैं कि एक दिन जब वो बाजार से अपने घर जा रहे थे, तभी उन्होंने बाजार में एक कुत्ते को दर्द से कराहते हुए देखा. वहां से कई लोग गुजरे पर किसी ने उसे नहीं उठाया. सौरभ की नजर पड़ी और उन्होंने कुत्ते को उठाकर अपने घर लाया और उसका इलाज कराया. इस काम में सौरभ को काफी आनंद आया. उसी दिन से सौरभ को जहां भी बीमार कुत्ता दिखता है, उसे वो घर ले आते हैं. उसकी देखभाल करते हैं. अभी उनके घर में 25 कुत्ते हैं, जिनकी सेवा वो बड़े प्यार से करते हैं.

"कुत्ते के भरण पोषण के लिए कई लोग मदद करते हैं. चावल दूध देते हैं. मेरी बहन कुत्ते के परवरिश के लिए रुपये देती है. घर में कोई नहीं रहता है तो हम खुद ही सभी के लिए खाना बनाते हैं. इन्हें कभी दूध भात तो कभी भात सब्जी खिलाते हैं. ठंड से बचाव के लिए भी व्यवस्था है. घर आते ही सभी कुत्ते हमसे लिपट जाते हैं. इसके बिना मेरी दुनिया अधूरी है"- सौरभ कुमार, शिक्षक

Last Updated :Feb 12, 2023, 8:36 AM IST
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