बांका: महागठबंधन में हुई सीट शेयरिंग में बांका लोकसभा सीट आरजेडी के खाते में आई है. पार्टी ने एक बार फिर यहां से मौजूदा सांसद जय प्रकाश नारायण यादव को मैदान में उतारा है तो वहीं, NDA की तरफ से जेडीयू ने गिरधारी यादव पर दांव खेला है. गिरधारी बांका जिले के बेलहर विधानसभा सीट से जदयू विधायक हैं. वे जनता दल और राजद के टिकट पर दो बार बांका से सांसद भी रह चुके हैं. 2014 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव हार चुकीं पुतुल कुमारी इस बार पार्टी का दामन छोड़कर निर्दलीय मैदान में खड़ी हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
बांका लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से चार पर वर्तमान समय में जदयू का कब्जा है. इसके अलावा बांका सीट पर बीजेपी के रामनारायण मंडल जो वर्तमान में बिहार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री हैं वो विधायक हैं. जबकि कटोरिया विधानसभा सीट पर राजद का कब्जा है.
2014 चुनाव का जनादेश
बता दें कि बांका लोकसभा सीट से 2014 के चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव को 2 लाख 85 हजार 150 वोट हासिल किए थे और करीबी प्रत्याशी पुतुल कुमारी को हराया. पुतुल कुमारी ने यह चुनाव तो निर्दलीय लड़ा था, लेकिन बाद में बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी. इस चुनाव में पुतुल कुमारी को 2 लाख 75 हजार 6 वोट मिले थे.
पुतुल कुमारी दे सकती हैं मजबूत चुनौती
2014 में पुतुल कुमारी बीजेपी की उम्मीदवार थीं. उनका सीधा मुकाबला राजद के जयप्रकाश नारायण यादव से था. उस दिलचस्प मुकाबले में पुतुल कुमारी मात्र 10 हजार वोटों से हार गई थीं. इसबार JDU-BJP का गठबंधन है वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन से राजद उम्मीदवार और मौजूदा सांसद जयप्रकाश यादव हैं. राजद और जदयू दोनों के अपने-अपने दावे हैं. ऐसे में निर्दलीय पुतुल कुमारी बड़ी चुनौती के रूप में चुनावी मैदान में हैं.
श्रेयसी सिंह भी मां के लिए प्रचार में उतरी
चुनौतियां महागठबंधन और NDA के लिए भी कम नहीं हैं. पुतुल कुमारी की बेटी और अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह ने अपनी मां लिए चुनाव प्रचार का कमान संभाल लिया है. पुतुल कुमारी अपनी दोनों बेटियों के साथ दर्जनों गांव में जनसंपर्क अभियान चला रही हैं. लोंगों से अपने पक्ष में वोट देने की अपील कर रही हैं. ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी अपनी राजनीतिक विरासत के बूते इस वक्त मजबूत त्रिकोणीय मुकाबला बनाती दिख रही हैं.
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जयप्रकाश नारायण यादव की चुनौतियां
बात जयप्रकाश नारायण यादव की करें तो बिहार में आरजेडी का अच्छा वोट बैंक है. लेकिन नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं दिख रही है. हालांकि बिहार में नीतीश के एनडीए में शामिल होने से चुनावी समीकरण जरूर बदले हैं. इस बार जदयू से भी यादव प्रत्याशी गिरिधारी यादव के होने के कारण राजद की चिंता जरूर बढ़ गई है.
जातीय समीकरण होगा निर्णायक
यहां इस बार चुनावी समीकरण थोड़ा उलझा हुआ है. अगर टक्कर जदयू और राजद के बीच होगा तो निर्दलीय पुतुल कुमारी भी दोनो तरफ सेंधमारी कर सकती हैं. बांका लोकसभा में सबसे अधिक यादव जाति का वोट बैंक है. करीब तीन लाख यादव वोटर हैं जिसे राजद अपना वोट बैंक मानता है. लेकिन इस बार जदयू से भी यादव प्रत्याशी होने के कारण राजद की चिंता बढ़ गई है. इसके अलावा अगड़ी जाति में राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार व कायस्थ मतदाता करीब साढ़े तीन लाख हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या भी करीब दो लाख है. इसके अलावा लगभग 30 हजार वोटर गंगोता, एक लाख कुर्मी, 80 हजार कोइरी, ढाई लाख महादलित व एक लाख के आसपास अन्य जातियों के वोटर हैं.
जयप्रकाश नारायण यादव की संसदीय गतिविधि
हालांकि 2019 में बांका की जनता जाति और धर्म की राजनीति से उपर उठकर विकास और जनहित के मुद्दे पर वोट करना चाहेगी. जयप्रकाश नारायण ने जनता के लिए सदन में क्या कुछ किया एक नजर इसपर भी डाल लेते हैं. जयप्रकाश नारायण यादव की संसद में हाजिरी 88 प्रतिशत है. उन्होंने 208 डिबेट में हिस्सा लिया. इस दौरान सदन में जयप्रकाश नारायण यादव ने संसद में 166 सवाल पूछे जबकि राष्ट्रीय स्तर पर संसदों का यह आंकड़ा 278 का है. इसके अलावा जयप्रकाश नारायण ने 2 प्राइवेट मेंबर बिल भी पास कराए हैं.
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अब जनता करेगी हिसाब
संसद में तो जयप्रकाश नारायण यादव की मौजूदगी अच्छी रही है. चर्चाओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. मगर अपने संसदीय क्षेत्र की समस्या का कितना समाधान करा पाए हैं इसका हिसाब तो जनता ही करेगी. हालांकि ये देखना अहम होगा कि 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी समर्थित उम्मीदवार पुतुल कुमारी को पटखनी देने वाले जयप्रकाश नारायण यादव इस त्रिकोणीय मुकाबले में आरेजडी का लालटेन फिर जला पाते हैं नहीं.