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बांकाः कौशल योजना के तहत संवर रहा गरीब बच्चों का भविष्य, कॉरपोरेट सेक्टर के लिए हो रहे हैं तैयार

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Published : Jan 25, 2020, 11:36 PM IST

2014 से बांका में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत ये सेंटर चल रहे हैं. अब तक 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में कॉरपोरेट, लॉजिस्टिक और रिटेल सेक्टर में जॉब कर रहे हैं. बच्चों को कंपनियों की तरफ से बेहतर पैकेज भी दिया जा रहा है.

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जॉब के लिए प्रशिक्षित हो रहे बच्चे

बांका: जिला मुख्यालय में गरीब बच्चों को दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. केंद्र सरकार का ग्रामीण विकास विभाग और राज्य सरकार की ओर संचालित केंद्र में बच्चों को अपने पैर पर खड़े होने के लिए ट्रेंड किया जा रहा है. बांका में संचालित केंद्रों से अब तक 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में जॉब कर रहे हैं.

इस केंद्र में कॉरपोरेट सेक्टर सहित अन्य जगहों पर जॉब करने के लिए ट्रेंड किया जाता है. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के सेंटर प्रबंधक ने बताया कि ये कोर्स 6 महीने का है. इसमें बांका, भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा और आवास मुहैया कराया जाता है. सभी बच्चे बीपीएल परिवार से आते हैं. खास बात ये है कि अधिकांश बच्चे जीविका से जुड़े परिवार के सदस्य हैं जो पैसे की तंगी की वजह से अपने बच्चों को आगे नहीं पढ़ा सके. सभी बच्चों को रोजगार पाने योग्य तैयार किया जा रहा है.

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कंप्यूटर ट्रेनिंग प्राप्त करते बच्चे

रिटेल सेक्टर के लिए तैयार हो रहे छात्र
इस केंद्र पर मूल रूप से रिटेल, लॉजिस्टिक और सॉफ्ट स्किल के साथ-साथ आईटी क्षेत्र का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. छात्राओं ने बताया कि इंग्लिश स्पीकिंग से लेकर कंप्यूटर का प्रशिक्षण पा रही हैं. वहीं, एक अन्य छात्रा ने बताया कि उनके पिता के पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे. इसलिए वो इस केंद्र पर आकर जॉब पाने का स्किल सीख रही है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ रहा है.

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सेंटर प्रबंधक चंदन कुमार

ग्रामीण इलाके के हैं सभी बच्चे
एक शिक्षक ने बताया कि सभी बच्चे ग्रामीण इलाकों के हैं. जो पूरी तरह से बुनियादी जानकारियों से अनभिज्ञ हैं. उन्हें छह माह तक प्रशिक्षित कर बड़ी-बड़ी कंपनियो में नौकरी करने योग्य बनाया जाता है. हालांकि इनको तैयार करने में परेशानियां तो होती है. दो-तीन महीने तो इन्हें पटरी पर लाने में लग जाता है. सारी परेशानियों के बावजूद इन्हें पूर्ण रूप से ट्रेंड कर दिया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता कि रिपोर्ट

900 से अधिक बच्चों का हुआ है प्लेसमेंट
सेंटर प्रबंधक के मुताबिक 2014 से बांका में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत ये सेंटर चल रहे हैं. अब तक 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में कॉरपोरेट, लॉजिस्टिक और रिटेल सेक्टर में जॉब कर रहे हैं. बच्चों को कंपनियों की तरफ से बेहतर पैकेज भी दिया जा रहा है.

Intro:
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत बीपीएल परिवार के बच्चों को निःशुल्क जॉब के लिए तैयार किया जाता है। सभी बच्चे ग्रामीण परिवेश से आते हैं और कौशल विकास कर इनको कॉर्पोरेट से लेकर रिटेल और आईटी सेक्टर में जॉब के लिए तैयार किया जाता है। 4 जिलों के 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में अच्छे पैकेज पर काम कर रहे हैं।


Body: - दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना से बच्चों का हो रहा है कौशल विकास

- 2014 में योजना की हुई थी शुरुआत

- केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से संचालित हो रहा है योजना

- बीपीएल परिवार के बच्चों को किया जा रहा है जॉब के लिए प्रशिक्षित

- बांका, भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार के बच्चों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

- लॉजिस्टिक, रिटेल, कंप्यूटर और आईटी की दी जाती है जानकारी

- 900 से अधिक बच्चों का देश के विभिन्न कंपनियों में हुआ है प्लेसमेंट

- ग्रामीण परिवेश से आने वाले बच्चों को निःशुल्क दिया जाता है प्रशिक्षण

बांका। केंद्र सरकार की ग्रामीण विकास विभाग और राज्य सरकार की ओर से गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार के बच्चों को अपने पैर पर खड़े होने की मकसद से दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना चलाया जा रहा है। इसके तहत बच्चों के कौशल को निखारने का काम किया जा रहा है। बांका में संचालित केंद्रों से अब तक 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में जॉब कर रहे हैं। ताकि वह कॉर्पोरेट सेक्टर सहित अन्य स्थानों पर जॉब करने के लिए अपने आपको तैयार कर सके। बांका के साथ-साथ भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार के बच्चों का कौशल विकास किया जा रहा है। ताकि बच्चे अपना भविष्य संवार सकें।

4 जिले के बच्चों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के सेंटर प्रबंधक चंदन कुमार ने बताया कि 6 माह के इस कोर्स में चार जिले बांका, भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार के वैसे बच्चे को निःशुल्क शिक्षा और आवास मुहैया कराया जात है। ये बच्चे बीपीएल परिवार से आते हैं। अधिकांश बच्चे जीविका से जुड़े परिवार के सदस्य है जो पैसे की तंगी की वजह से अपने बच्चों को आगे नहीं पढ़ा सके। उनको आने वाले दिनों में रोजगार पाने योग्य तैयार किया जा रहा है।

छात्राओं को रिटेल सेक्टर के लिए किया जाता है तैयार
बांका में प्रशिक्षित बच्चों को मूल रूप से रिटेल लॉजिस्टिक और सॉफ्ट स्किल के साथ-साथ आईटी के क्षेत्र में काम करने के लिए तैयार किया जाता है। छात्राओं को रिटेल सेक्टर के लिए तैयार किया जाता है। छात्रा काजल कुमारी ने बताया कि इंग्लिश स्पीकिंग से लेकर कंप्यूटर का बोध कराया जाता है। वहीं वह खुशबू कुमारी ने बताया कि उनके पिता के पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए वह इस केंद्र पर आकर जॉब पाने का स्किल सीख रही हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा बढ़ रहा है और आने वाले दिन नौकरी पाने को लेकर भी आश्वस्त दिख रही हैं।

ग्रामीण परिवेश से आते हैं बच्चे
शिक्षक देव चक्रवर्ती ने बताया कि नामांकित बच्चे ग्रामीण परिवेश से आते हैं। जो पूरी तरह से बुनियादी जानकारियों से अनभिज्ञ रहते हैं। उन्हें छह माह तक प्रशिक्षित कर बड़ी-बड़ी कंपनियो में नौकरी करने योग्य बनाया जाता है। हालांकि इनको तैयार करने में परेशानियां तो होती है। दो-तीन महीने तो इन्हें पटरी पर लाने में लग जाता है। सारी परेशानियों के बावजूद इन्हें पूर्ण रूप से ट्रेंड कर दिया जाता है।




Conclusion:900 से अधिक बच्चों का हुआ है प्लेसमेंट
सेंटर प्रबंधक चंदन कुमार ने बताया कि 2014 से बांका में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना संचालित हो रहा है। अब तक 900 से अधिक बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों में कॉरपोरेट सेक्टर से लेकर लॉजिस्टिक और रिटेल सेक्टर में जॉब कर रहे हैं। कंपनियों के द्वारा बच्चों को बेहतर पैकेज भी दिया जा रहा है। प्लेसमेंट से खुशी मिलती है और बेहतर करने का जज्बा भी आता है।

बाईट- काजल कुमारी, छात्रा
बाईट- खुशबू कुमारी, छात्रा
बाईट- देव चक्रवर्ती, ट्रेनर
बाईट- चंदन कुमार, सेंटर प्रबंधक, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना बांका

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