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Makar Sankranti 2023: मंदार मेले का उद्घाटन, मकर संक्रांति में पापहरणी सरोवर में डुबकी लगा रहे श्रद्धालु

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Published : Jan 14, 2023, 12:19 PM IST

Inauguration of Mandar fair
Inauguration of Mandar fair

बांका के बौसी स्थित मंदार सरोवर की मान्यता के अनुसार इस सरोबर में स्नान करने से शरीर के सारे विकार दूर होते हैं. इसी मान्यता के कारण 14 जनवरी को इस सरोवर में बिहार, झारखंड, उड़िसा बंगाल, नेपाल सहित कई राज्यो के भक्त आकर डुबकी लगाते हैं पढ़ें पूरी खबर..

बांका: जिले का मंदार स्थित ऐतिहासिक पापहरणी सरोवर की धार्मिक मान्यता है. इस तालाब में डुबकी लगाने से शरीर निरोग हो जाता है. इस कारण पूर्णिमा, अमावस्या या अन्य कोई त्योहार पर सरोवर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं. मकर संक्रांति पर यहां श्रद्धालुओं में स्नान के लिए होड़ लगती है क्योंकि इसी दिन इस सरोवर की खुदाई हुई थी.

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मकर संक्रांति पर पापहरणी सरोवर पर श्रद्धालुओं की भीड़: मंदार पहाड़ पर मौजूद अभिलेख के अनुसार सातवीं सदी में मगध के राजा आदित्य सेन अपनी पत्नी के साथ यहां आए थे. वे बहुत ही धार्मिक थे. इतिहासकार मनोज मिश्र बताते हैं कि तब छोटे से जलस्रोत के रूप में मंदार में मौजूद मनोहर कुंड था. इस कुंड में स्नान करने से राजा आदित्य सेन का चर्म रोग दूर होने लगा था. इसके बाद उन्होंने मकर संक्राति पर इसकी विस्तृत खुदाई करवाई थी. तब इस सरोवर को पापहरणी सराेवर से बुलाया जाने लगा.

मंदार स्थित ऐतिहासिक पापहरणी सरोवर की धार्मिक मान्यता
मंदार स्थित ऐतिहासिक पापहरणी सरोवर की धार्मिक मान्यता
मान्याताओं के अनुसार सरोवर का जल औषधीय गुणों से युक्त : पर्यावरणविद् प्रवीण कुमार कहते हैं कि पहले मंदार पर्वत जड़ी-बूटियों से आच्छादित था. मंदार से भी पानी रिसता था. जड़ी-बूटियों से होकर पापहरणी सरोवर में आने वाला जल औषधीय गुणों से युक्त था. इसमें कई अम्लीय तत्व भी थे, जो पेट और त्वचा संबंधी बीमारी को दूर करता था. हालांकि, अब न तो मंदार पर जड़ी-बूटी है न इससे पानी ही रिसता है.
मंदार मेले का उद्घाटन
मंदार मेले का उद्घाटन

ईष्टदेव की होती है पूजा: आगे चलकर सफा धर्म के संस्थापक सह मंदार पहाड़ स्थित सबलपुर निवासी चंदर दास ने भी मंदार में सफा आश्रम की स्थापना 1940 में मकर संक्राति में ही की थी. इनके बिहार सहित झारखंड, बंगाल, नेपाल, ओडिशा सहित अन्य प्रांतों में एक लाख से अधिक अनुयायी हैं. इस कारण मकर संक्राति पर्व के साथ ही आदिवासियों का पवित्र पत्र सोहराय (वंदना) भी 11 से लेकर 15 जनवरी तक मनाया जाता है. इसमें विभिन्न प्रांतों से पहुंचे आदिवासी मंदार को अपना तीर्थस्थल मानकर भगवान राम, शिव और अपने ईष्टदेव मरांग की पूजा करते हैं.


एक महीने तक लगता है मेला: मंदार पर्वत के आस-पास पहले पूरे मैदान में एक माह का मेला आयोजित किया जाता है. इसका उद्घाटन हर वर्ष कोई न कोई मंत्री भी करते हैं. इस मेले के उद्घाटन करने का सौभाग्य पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत को भी प्राप्त हो चुका है. जबकि बिहार की कई मंत्री और मुख्यमंत्री भी इस महीने भर चलने वाले मेले का उद्घाटन कर चुके हैं. इस वर्ष इस मेले का उद्घाटन बिहार आपदा प्रबंधन मंत्री शहनाज आलम के हाथों होगा.

लाखों की जुटी भीड़:संबंध में सफा धर्म के वर्तमान आचार्य निर्मल दास ने बताया कि सफा धर्म की स्थापना के साथ ही सोहराय पर्व होने पर यहां लाखों की भीड़ जुटती है. 14 जनवरी को पचास हजार से अधिक लोगों की भीड़ स्नान के लिए यहां जुटी है. सभी लोग मंदार पहाड़ स्थित भगवान शिव, राम , सफा धर्म के संस्थापक चंदर दास व आदिवासी अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना के लिए जुटते हैं.

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