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आखिर कब रुकेगा मनरेगा योजना में लूट का सिलसिला, जांच के नाम पर मिल रहा सिर्फ आश्वसान

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Published : Oct 3, 2021, 12:40 PM IST

मनरेगा योजना में लूट
मनरेगा योजना में लूट

बांका में आधा दर्जन से अधिक योजनाएं हैं, जिनपर लगभग 20 वर्षों से कोई काम नहीं हुआ था. मनरेगा के तहत ऐसे कामों की शुरुआत की गई लेकिन काम तो हुआ नहीं और पैसे की निकासी का खेल जारी रहा.

बांका: बिहार के बांका जिले का बेलहर प्रखंड ( Belhar Block of Banka ) की गिनती सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों ( Naxal Affected Areas) में की जाती है. मनरेगा ( MGNREGA) के तहत इस क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं संचालित की गई जिसमें किसानों के खेतों तक पानी भी पहुंचाने की योजना शामिल थी. लेकिन मनरेगा का यह योजना स्थानीय मुखिया और पीआरएस ने लूट का बड़ा अड्डा बना दिया.

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दरअसल, मामला बेलहर प्रखंड के झिकुलिया पंचायत से जुड़ा हुआ है, जहां आधा दर्जन से अधिक योजनाएं हैं, जिस पर लगभग 20 वर्षों से कोई काम नहीं हुआ था. मनरेगा के तहत ऐसे कामों की शुरुआत की गई लेकिन काम तो हुआ नहीं और पैसे की निकासी का खेल जारी रहा. क्षेत्र के कुछ जागरूक किसानों के प्रयास से सारे मामले का खुलासा हुआ.

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मामले का खुलासा होने के बाद विभागीय अधिकारी जांच के नाम पर सिर्फ आश्वासन देकर टालमटोल कर रहे हैं. जमुआ गांव के किसान शैलेंद्र कुमार मंटू ने बताया कि जिला पंचायत सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार होता है. यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि ही है. इसी पर लोगों की आजीविका चलती है.

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'मनरेगा के तहत 20 वर्षों से अटका पड़ा डांड़ की सफाई होनी थी. जिससे किसानों को आस भी जगी थी कि अब पटवन सही से होगा लेकिन काम कराए बगैर राशि की निकासी कर ली गई.' : शैलेंद्र कुमार मंटू, किसान

मामले का खुलासा तब हुआ जब जमुआ गांव के कुछ मजदूरों के खाते में बगैर काम किए ही राशि आ गई. अगर डांड़ की साफाई हो जाती तो लगभग 300 एकड़ भूमि सिंचित होता लेकिन यह लूट का भेंट चढ़ गया.

'लूट की भनक लगी तो इसकी जानकारी लेने को लेकर स्थानीय मुखिया प्रदीप तूरी एवं रोजगार सेवक मनोज यादव से पूछा गया कि बगैर काम कराए राशि की निकासी कैसे हो गई. इसपर उनका कहना था कि मनरेगा में ऐसे ही काम होता है.' : प्रेम दास, किसान

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उन्होंने बताया कि इस मामले में जब पीआरएस से बात करने की कोशिश की गई तो उसका स्पष्ट कहना था कि जहां शिकायत करना है कर लो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. ऊपर तक कमीशन देते हैं. इस लूटखसौट में स्थानीय मुखिया और पीआरएस दोनों सम्मिलित हैं. किसानों की मांग है कि जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए.

झिकुलिया पंचायत के झगड़ावाहा कस्बादह से जलधर प्रसाद सिंह प्रसाद के खेत तक डांड़ की खुदाई 4.65 लाख से अधिक की राशि सी होनी थी जिसमें 1.67 लाख से अधिक की राशि बगैर काम कराए ही निकासी कर ली गई.

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रत्तोचक गांव में तेलिया बांध से झिकुलिया पंचायत सीमा तक डांड़ की सफाई के लिए 3.10 लाख से अधिक की राशि से काम होना था, जिसमें बिना कार्य कराए ही 1.54 लाख से अधिक की राशि निकासी कर ली गई. जमुआ गांव में जमुआ छिटका बांध से गढ़ी नहर तक डांड़ की खुदाई 3.89 लाख से अधिक की राशि से होनी थी. जिसमें बिना कार्य कराए ही 1.86 लाख से अधिक की राशि निकासी कर ली गई.

झिकुलिया गांव में मेन नहर से डोमन पांडे के घर होते हुए बगीचा तक डांड़ की खुदाई 2.23 लाख से अधिक की राशि सी होनी थी, जिसमें बिना कार्य कराए ही 74 हजार से अधिक की राशि निकासी कर ली गई. बदला गांव के आदिवासी टोला के समीप अम्मा बांध की खुदाई कार्य में 9.75 लाख से अधिक की राशि खर्च होनी थी, जिसमें बिना कार्य किए ही 1.77 लाख से अधिक की राशि निकासी कर ली गई.

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जमुआ पुल से नदी तक केनाल के मेन ब्रांच की साफाई में 4.43 लाख से अधिक की राशि खर्च होनी थी, जिसमें बिना कार्य कराए 1.66 लाख से अधिक की राशि निकासी कर ली गई. बोका बंद से महादलित टोला होकर चुरेली डुमरिया पंचायत सीमा तक डांड़ की झड़ाई एवं पक्की नाला निर्माण कार्य को लेकर 9.57 लाख पर चुना था जिसमें बिना कार्य कराए ही 1.51 लाख की निकासी कर ली गई.

सौताडीह गांव के पास नहर पुल से डुमरिया पंचायत सीमा तक नहर पर बिना सिंचाई विभाग से एनओसी प्राप्त किए मनरेगा योजना से मिट्टी, मोरंग कार्य तथा बगैर कार्य के पीआरएस तथा पंचायत समिति के मिलीभगत से राशि की अवैध निकासी कर ली गई. यह कार्य 3 लाख से अधिक की राशि होनी होनी थी. बिना कार्य कराए ही 1 लाख से अधिक की राशि निकासी कर ली गई.

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युवा किसान चंदन कुमार पांडे ने बताया कि झिकुलिया पंचायत में मनरेगा के तहत किसी भी योजना में काम नहीं हुआ है. सिर्फ राशि की निकासी लेबर के खाते में आई तो पता करने की कोशिश की गई कि यह किस योजना का पैसा आया है. मनरेगा के वेबसाइट खंगालने पर पता चला कि बिना कार्य कराए ही के पैसे की निकासी की गई है.

सारी योजनाएं 2020-21 की है जिसमें 7 से 8 योजनाओं का 3 महीने पहले स्टीमेट बनाया गया था. जब स्टीमेट को लेकर पीआरएस से पूछताछ की गई तो उनका कहना था कि योजना को ऑन गोइंग करने के लिए राशि निकासी कर काम चालू किया गया है. लेकिन धरातल पर कहीं काम नहीं हुआ है.

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हालांकि पीआरएस जांच के लिए एक बार जरूर आया था लेकिन वह सिर्फ कमीशन को लेकर ही बात कर रहा था. उनके मुताबिक जो कमीशन देगा उसी का काम होगा. इसकी शिकायत मनरेगा पीओ से लेकर बीडीओ से की गई. बीडीओ ने 72 घंटे के अंदर स्थलीय जांच करने का आश्वासन दिया था. जांच का मामला आश्वासन तक ही सिमट कर रह गया.

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