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Jheel Mela In Banka: आग पर चलकर भगवान को खुश करने की परंपरा, आज भी आदिवासी कर रहे पालन

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Published : Jan 30, 2023, 9:47 PM IST

बांका में पारंपरिक झील मेला का आयोजन किया गया. इस मेले में आज भी आदिवासियों की पुरानी परंपरा का पालन किया जाता है. मेला घूमने आने वाले लोग भगवान को खुश करने के लिए दहकते आग पर खाली पैर चलते हैं. मान्यता है कि इससे भगवान खुश होकर उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगे.

बांका में झील मेला
बांका में झील मेला

बांका में झील

बांका: बिहार के बांका के बौंसी प्रखंड के भलजोर में झील मेला का आयोजन हुआ. मेला में आग के शोलों पर दौड़ने के लिए लोगों की बीच होड़ मची रही. यह मेला आदिवासी जनजातियों की धार्मिक और उनकी आस्था का प्रतीक है. मेले में आने वाले लोग ज्यादातर आदिवासी समुदाय के ही लोग (Old tradition Of Walking On Fire In Banka) होते हैं. इस मेले का आयोजन जाहेर थान पहाड़ी पर किया गया. जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग शिलाखंड के देवी-देवता की पूजा करते हैं.

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आग पर चलने की मांगी मनौती: बौंसी प्रखंड के भलजोर के जाहेर थान पहाड़ी पर रहने वाले आदिवासी समाज के लोग आज भी झील मेला का आयोजन करते हैं. इस बार आदिवासी समाज के नुनूवां टुड्डू की अगुवाई में मेले का आयोजन किया गया. जिसमें सबसे पहले शिलाखंड के देवी-देवता से आग पर चलने के आदेश की मनौती की गयी. इसके बाद अक्षत, दूध का चढ़ावा और बकरे की बलि दी गई. फिर आग के शोलों पर चलने वाले आधा दर्जन आदिवासी युवक को चंदन-तिलक लगाकर फूल माला पहनाया गया.

आग के शोलों पर खाली पैर: विधि विधान किए जाने के बाद आधा दर्जन आदिवासी युवक झील के आगे रखे एक तख्ती में आग के शोलों पर चलना शुरू किया. इस दौरान वे जय शिव के जयकारे लगाते रहे. इस मेले में विशेष रूप से ग्राम प्रधान जियालाल टूड्डू, पुजारी सुखलाल हांसदा, तालाबाबू टूड्डू, सोमलाल हेंब्रम और देवान हांसदा शामिल हुए थे. जबकि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रमुख बिरसा सोरेन, वनवासी कल्याण आश्रम के पूरनलाल टूड्डू, भाजपा नेता खीरो यादव, रंजीत यादव आदि थे।

मुख्य पुजारी सुखलाल हांसदा ने बताया कि पूर्वजों की इस पुरानी परंपरा को आज भी आदिवासी समुदाय धूमधाम से मनाती है. मान्यता है कि इससे देवी देवता को खुश होते हैं. उन्होंने बताया कि आज तक दहकते आग पर चलने से किसी को कुछ नहीं हुआ. इसी कारण से आग पर चलने वालों की भीड़ कभी कम नहीं हुई.

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