उड़ीसा में ट्रेन की चपेट में आने से मजदूर की मौत, चार दिन बाद शव पहुंचा अररिया

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Published : Nov 16, 2021, 6:08 PM IST

Araria news

बिहार के अररिया (Araria) के एक मजदूर की उड़ीसा में मौत होने के चार दिन बाद उसका शव गांव पहुंचा. मजदूर आठवीं का छात्र था और परिवार की आर्थिक स्थित खराब होने के चलते मजदूरी करने बाहर गया था. ट्रेन की ठोकर से उसकी मौत हो गई थी. पढ़िए पूरी खबर..

अररिया: ट्रेन की चपेट में आने से कुसीयरगांव ( Kusiyargaon ) के मजदूर की मौत ( Labour Death In Odisha ) उड़ीसा के मुनिगोड़ा में हो गई थी. चार दिनों बाद मंगलवार को मृतक सुनील ऋषिदेव का शव एम्बुलेंस से गांव पहुंचा. शव के पहुंचते ही कुसीयरगांव वार्ड नंबर 10 में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. मुसहरी टोला में चारों ओर मातम छा गया.

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ग्रामीणों ने बताया कि मृतक सुनील ऋषिदेव पिता बीरेश ऋषिदेव मजदूरी करने स्थानीय लोगों के साथ उड़ीसा गया था. वहां रेलवे लाइन किनारे मजदूरी कर रहा था. पिछले 12 नवंबर को शाम के समय पटरी पर काम करते समय ट्रेन की ठोकर लगने से वो घायल हो गया. वहां मौजूद साथियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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इस सूचना के बाद से ही परिवार के सदस्यों के साथ ग्रामीणों का बुरा हाल था. मृतक के पिता बीरेश ऋषिदेव ने बताया कि सुनील आठवीं में पढ़ाई कर रहा था. घर की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण ही उसे मजदूरी करने जाना पड़ा. सुनिल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था. मजदूरी करने के लिए पिछले महीने की 27 तारीख को वो उड़ीसा गया था.

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"सुनिल ने कहा था कि आप चिंता मत कीजिए. वहां से ढेर सारा रुपया कमा कर लाएंगे. बोला था कि काम करने जाने से घर में कुछ पैसा आएगा. परिवार में सुख शांति होगा. अब हमारे घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है. हम मुआवजे की मांग करते हैं."- बीरेश ऋषिदेव, मृतक सुनील के पिता

सुनिल अपने परिवार के भरण पोषण के लिए बाहर काम करने गया था लेकिन कुदरत को कुछ और मंजूर था. वो तो नहीं आया उसका शव घर पहुंचा. बेटे के शव को देख हर ओर चीख पुकार मच गई. पूरा टोला इस घटना को लेकर गमगीन था. पिता ने बताया कि अगर हमलोगों को सरकारी मुआवजा मिल जाये तो थोड़ी समस्या हल हो जाएगी.

कुसीयरगांव के मुखिया मानिकचंद सिंह ने बताया कि ये घटना काफी दुखद है. जिले में रोजगार नहीं मिलने के कारण इस परिवार का पढ़ाई करने वाला बच्चा मजदूरी करने के लिए घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर गया था.

"यहां एक बड़ा नेटवर्क काम करता है जो मजदूरों को ज्यादा पैसे का लालच देकर मजदूरी कराने ले जाते हैं. इन मजदूरों को उन लोगों का नाम तक पता नहीं होता जो उन्हें दूसरे प्रान्तों में मजदूरी के लिए ले जाते हैं. फिलहाल अंत्येष्टि के लिए हमारी ओर से राशि दी गई है. ताकि बच्चे का अंतिम संस्कार हो सके. अररिया अंचल अधिकारी से मुआवजे की बात की जाएगी."- मानिकचंद सिंह, मुखिया, कुसीयरगांव

मुखिया ने बताया कि पूर्णियां जिले के जलालगढ़ भरेली का ठेकेदार मिसर आलम लोगों को काम के लिए बाहर भेजता है.सुनिल को भी उसी ने मजदूरी के लिए उड़ीसा भेजा था. मुखिया का कहना है कि ठेकेदार से भी परिवार के लिए मुआवजे की मांग की जाएगी.

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