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अवैध निजी क्लिनिक में गर्भपात के दौरान महिला की मौत, परिजनों को पैसे देकर मामला किया रफा-दफा

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Published : Aug 31, 2019, 1:53 PM IST

स्वास्थ्य पदाधिकारी एम के गुप्ता ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है. मीडिया के माध्यम से मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी. साथ ही सभी अवैध अस्पतालों पर नकेल भी कसी जाएगी.

अररिया

अररियाः प्रदेश में मरीजों के साथ निजी अस्पतालों की मनमानी की खबर आए दिन सामने आती रहती है. कुकुरमुत्ते की तरह उग आए क्लिनिकों पर न प्रशासन कार्रवाई कर रहा है और न ही सरकार शख्त हो पा रही है. सिस्टम की इस लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को कभी अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है, तो कभी जीवन भर की कमाई गंवाकर.

अररिया
रोते-बिलखते परिजन

गर्भपात करने के दौरान मौत
ताजा मामला शहर के आजाद नगर रॉयल टॉकीज रोड स्थित डॉ. के.एस. दास के निजी क्लीनिक अररिया नर्सिंग होम का है, यहां अस्पताल की घोर लापरवाही से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि महिला 4 महीने की गर्भवती थी, पेट में दर्द होने के बाद उसे यहां भर्ती कराया गया था. दिन भर इलाज होने के बाद शाम को उसे घर भेज दिया गया. लेकिन रात में उसे फिर से पेट में तेज दर्द हुआ. जिसके बाद देर रात महिला को फिर उसी अस्पताल में लाया गया, जहां गर्भपात के दौरान उसकी मौत हो गई.

अररिया
सदर अस्पताल

मौत के बाद फरार हुए अस्पताल कर्मी
परिजनों ने बवाल किया तो डॉक्टर, नर्स सहित सभी कर्मी अस्पताल छोड़कर फरार हो गए. फिर अस्पताल प्रशासन ने बिचौलिए की मदद से परिजनों को मोटी रकम देकर मामले को थाना जाने से रोक दिया. इस दौरान 24 घंटे तक शव अस्पताल में पड़ा रहा. परिजनों ने बताया कि पेट में दर्द के बाद वे लोग सबसे पहले सदर अस्पताल गए थे. जहां एक नर्स ने उन्हें बेहतर इलाज का झांसा देकर अररिया नर्सिंग होम में लाकर भर्ती करा दिया.

अररिया
जिला स्वास्थ्य पदाधिकारी

कार्रवाई का मिलता है सिर्फ आश्वासन
स्थानीय लोगों का कहना है कि सदर अस्पताल में ऐसे कई दलाल सक्रिय हैं, जो वहां इलाज के लिए गए मरीजों को निजी अस्पतालओं में ले जाकर भर्ती करा देते हैं. इसके एवज में निजी क्लिनिक वाले उन्हें पैसे देते हैं और ये पैसे अस्पताल वाले मरीजों से वसूलते हैं.

परिजन का बयान

वहीं, इस मामले पर स्वास्थ्य पदाधिकारी एम के गुप्ता ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है. मीडिया के माध्यम से मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी. साथ ही सभी अवैध अस्पतालों पर नकेल भी कसी जाएगी.

Intro:ज़िले में अवैध नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड धड़ल्ले से चल रहा है, पर स्वास्थ विभाग करवाई का आश्वासन दे फ़िर ख़ामोश हो जाती है। अस्पताल की आशा कर्मियों के दुवारा मरीज़ को निजी क्लीनिक में भेजकर इलाज के नाम पर मरीज़ों की ज़िंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। ताज़ा मामला अररिया नर्सिंग होम का है जहां बग़ैर डॉक्टर के नर्स के दुवारा इलाज कराने आई महिला की मौत हो गई। घटना के बाद डॉक्टर व नर्स फ़रार हो गई। हल्ला हंगामा होते देख बिचौलियों ने मृत मरीज़ के परिजनों को क़ीमत तय कर उसे बिना पोस्टमार्टम के शव परिजनों को शौप दिया।


Body:अररिया के आज़ाद नगर रॉयल टॉकीज़ रोड स्थित डॉ के एस दास निजी क्लीनिक अररिया नर्सिंग होम जो अवैध तरीक़े से चलाया जा रहा है। शहर के ओमनगर वार्ड नं 8 की जीपछि देवी पति नंदन पासवान की मौत हो गई है। चार महीने की गर्भवती थी और गर्भपात कराने सदर अस्पताल जा रही थी। जिसे अस्पताल दरवाजे से अमेरिका नाम की आशा ने प्रलोभन देकर सही से इलाज कराने लिए लिए रविवार को लाई थी। जिसके बाद उसका गर्भपात सही से नहीं हो पाया था और उसे घर भेज दिया गया। दोबारा जब उसके पेट में दर्द उठा तो उसे फ़िर इलाज के लिए लाया गया और फ़िर से करने लगी लेकिन सही से गर्भपात नहीं होने पर उसकी मौत हो गई। जिसके बाद वहां से डॉक्टर व नर्स दोनों फ़रार हो गए। मरीज़ के परिजन से नौ हज़ार रुपए भी ऐठ लिए गए थे। हद तो तब हो गई जब मामले को दबाने के लिए नर्सिंग होम के बिचौलियों ने मामला को रफा दफा करने के लिए उसकी क़ीमत डेढ़ लाख तय की गई। तब तक मृत महिला का शव 24 घंटे वहीं पड़ा रहा एवं उसके बाद बगैर पोस्टमार्टम कराए शव परिजनों को शॉप दिया गया। जब इस सिलसिले में अस्पताल के एसीएमओ एम के गुप्ता ने बताया कि इस घटना के बारे में हमें सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है पता कर जो भी दोषी होगा उसपर कारवाई करेंगे का आश्वासन दिया गया साथ ही ज़िले में जितने भी अवैध नर्सिंग होम या अल्ट्रासाउंड चल रहा है उस पर करवाई करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि ज़िले में इतने अवैध नर्सिंग होम बिना रोकटोक के चल रहा है स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को पता भी है इस तरह की घटना आए दिन ज़िले में कहीं न कहीं होती रहती है बस अवैध चल रहे नर्सिंग होम को बंद कराने का आश्वासन तो मिलता पर वो सिर्फ़ आश्वासन ही हो कर रह जाता है। इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है स्वास्थ विभाग या ज़िला प्रशासन?


Conclusion:संबंधित विसुअल वॉइस ओवर के साथ
बाइट परिजन ननद
बाइट एसीएमओ एम के गुप्ता
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