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21 साल बाद भी नहीं सुलझा बिहार झारखंड का यह विवाद, SC ने सुलह के लिए की पहल

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Published : May 24, 2022, 5:08 PM IST

15 नवंबर 2000 को बिहार और झारखंड का बंटवारा हुआ था. बिहार को बांटकर झारखंड राज्य का निर्माण कराया गया था. 21 साल पहले बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया था लेकिन कुछ मुद्दों पर दोनों राज्यों के बीच विवाद है. उसे में से एक है पेंशनरों को भुगतान का मुद्दा. पढ़ें पूरी खबर...

Bihar Jharkhand
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पटना : बिहार झारखंड का बंटवारा 21 साल पहले हुआ था लेकिन दोनों राज्यों के बीच कुछ मुद्दे अभी भी विवाद के विषय बने हुए हैं. विवादित विषय में से एक पेंशनरों का मामला है. लंबे समय से पेंशनर के मुद्दे पर बिहार झारखंड के बीच बकाया राशि को लेकर विवाद बरकरार (Bihar Jharkhand Pensioners) है. दोनों राज्यों के बीच पेंशनरों को भुगतान की जाने वाली राशि को लेकर अब तक सहमति नहीं बन सकी है. बिहार ने झारखंड पर कुल मिलाकर 4000 करोड़ से ज्यादा बकाया राशि का दावा किया है. बिहार को यह राशि अभी तक नहीं मिली है.

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ऐसे होनी है पेंशन राशि में बंटवारा : दरअसल, 4100 करोड़ की राशि पेंशनरों के भुगतान हेतु झारखंड राज्य के पास बिहार राज्य का बकाया है. बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने बिहार की तरफ से दावेदारी की और राज्य को उसका बकाया दिलाने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की. वैसे कानून के मुताबिक, 15 नवंबर 2000 से पहले जो सरकारी कर्मी झारखंड के इलाके से रिटायर हुए थे उनकी पेंशन बिहार और झारखंड सरकार दोनों को संयुक्त रूप से देनी थी. पेंशन राशि में दो हिस्सा बिहार और एक हिस्सा झारखंड को देना था.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा पेंशन का मुद्दा : कहा जाता है कि झारखंड राज्य की ओर से राशि नहीं दी गई और यह रकम बढ़कर 4100 करोड़ के आसपास पहुंच गयी. ऐसे में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को (Supreme Court On Pensioners Issue) केंद्र की महत्ता से इस समस्या का हल निकालने को कहा है. बिहार और झारखंड के आला अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश में जुटे हैं.

आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में बैठक : सोमवार को बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में झारखंड के मुख्य सचिव और केंद्र सरकार के वित्त एवं गृह विभाग के आला अधिकारियों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई. बैठक में सहमति इस बात पर बनी की दोनों राज्यों के महालेखाकार फिर से इस बात की जांच करेंगे कि पेंशनरों की संख्या कितनी है. बिहार को इस आधार पर कितने रुपए मिलने चाहिए 30 दिन बाद फिर उच्च स्तरीय बैठक की तारीख मुकर्रर की गई है.

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