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नहीं रहे राम विलास पासवान, दिल्ली के फोर्टीस अस्पताल में निधन

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Published : Oct 8, 2020, 8:44 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 9:01 PM IST

Ram Vilas Paswan passed away in Delhi, नहीं रहे राम विलास पासवान
फाइल फोटो

20:43 October 08

दिल्ली में रामविलास पासवान का निधन

पटनाः लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान का निधन हो गया. दिल्ली के फोर्टीस अस्पताल में भर्ती राम विलास ने गुरुवार देर शाम आखिरी सांस ली. इस बात की जानकारी उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी.

रामविलास पासवान, बिहार में दलितों के नेता के तौर पर उभरा एक ऐसा शख्स जिसने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया. 'मैं उस घर में दिया जलाने चला हूं, जहां सदियों से अंधेरा है'- इस नारे के साथ रामविलास ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. उन्होंने बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में कदम रखा. राजनीति में ये रामविलास पासवान की पकड़ का ही नतीजा रहा कि पहली बार वे बिना सांसद रहे मंत्री बने. बीजेपी कोर्ट से वो राज्यसभा के सदस्य बने. 

खगड़िया के दलित परिवार में जन्मे पासवान
रामविलास पासवान का जन्‍म 5 जुलाई 1946 को खगड़िया में एक दलित परिवार में हुआ था. उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एम.ए. और पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की शिक्षा हासिल की थी.

1960 के दशक से शुरु हुआ राजनीतिक सफर
पासवान के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई जो आज तक जारी है. 1969 में पहली बार पासवान ने बिहार के राज्‍यसभा चुनावों में संयुक्‍त सोशलिस्‍ट पार्टी के उम्‍मीदवार के रूप जीत हासिल की. 1977 में छठी लोकसभा में पासवान जनता पार्टी के उम्‍मीदवार के रूप में चुने गए. 1982 में लोकसभा चुनाव में पासवान दूसरी बार विजयी हुए.

दलितों के उत्‍थान के लिए बनाई दलित सेना
1983 में रामविलास पासवान ने दलितों के उत्‍थान के लिए दलित सेना बनाई. इसके साथ-साथ उनकी जीत का सिलसिला आगे भी बरकरार रहा. 1989 में 9वीं लोकसभा में वे तीसरी बार चुने गए. 1996 में दसवीं लोकसभा में भी वे जीते.

2000 में जेडीयू से अलग होकर बनाई लोक जनशक्‍ति पार्टी
इसके बाद रामविलास ने 2000 में जेडीयू से अलग होकर मौजूदा लोक जनशक्‍ति पार्टी का गठन किया. लगातार बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में भी वे जीतते गए. वहीं अगस्‍त 2010 में राज्‍यसभा के सदस्‍य निर्वाचित हुए.

1989 के बाद से दो मंत्रिमंडल छोड़कर सभी में रहे मंत्री
राजनीति में संभावनाए कभी खत्म नहीं होतीं और ये बात रामविलास पासवान बखूबी जानते थे. शायद यही वजह रही कि सियासत की नब्ज पर मजबूत पकड़ वाले पासवान 1989 के बाद से अब तक के दो मंत्रिमंडलों को छोड़कर सभी सरकारों में मंत्री के रूप में नजर आए. उन्होंने कोयला, दूरसंचार, खाद्य आपूर्ति और रेल जैसे कई बड़े मंत्रालय संभाले.

समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेता
पासवान समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में एक थे. देशभर में उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता के रूप में थी. आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों से वह तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की. तबसे इस सीट से वे कई बार चुनाव जीते हैं. दो बार उन्होंने सबसे ज्यादा वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया. जेपी आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही.

2005 में बिहार में बिखरी सियासत
2005 से 2009 रामविलास के लिए राजनीति का सबसे बुरा दौर साबित हुआ. 2005 में लालू-नीतीश की लड़ाई के बीच सत्ता पर काबिज होने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए, लेकिन नीतीश कुमार ने उनके 12 विधायकों को तोड़कर उन्हें तगड़ा झटका दिया. राष्ट्रपति शासन के बाद जब नवंबर में चुनाव हुए तब न सिर्फ लालू के 15 साल का शासन बल्कि रामविलास की पूरी सियासत बिखर गई. हालांकि इसके बाद से वो केद्र की राजनीति में बने रहे.

Last Updated : Oct 8, 2020, 9:01 PM IST
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