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PMCH में GNM छात्राओं पर लाठीचार्ज के विरोध में माले का प्रदर्शन, स्वास्थ्य मंत्री-अधीक्षक का मांगा इस्तीफा

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Published : May 7, 2022, 2:34 PM IST

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जीएनएम छात्राओं पर लाठीचार्ज (GNM Students Protest In PMCH) का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. माले विधायकों और कार्यकर्ताओं ने इसको लेकर जमकर प्रदर्शन किया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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पटना : पीएमसीएच में पटना में ही हॉस्टल देने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रही जीएनएम छात्राओं पर शुक्रवार देर रात हुए बर्बर लाठीचार्ज (Lathi Charge on GNM Students In PMCH) के विरोध में भाकपा माले की ओर से शनिवार सुबह पीएमसीएच के गेट पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का पुतला फूंका (Protest Against Lathi Charge) गया. भाकपा माले की इकाई आइसा, एपवा और आरवाईए के सैकड़ों की तादाद में मौजूद कार्यकर्ताओं ने सबसे पहले पीएमसीएच परिसर में घूम-घूमकर हाथों में मंगल पांडे का पुतला लिए प्रतिवाद मार्च निकाला.

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स्वास्थ्य मंत्री का पुतला फूंका : माले कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. इसके बाद पीएमसीएच के गेट नंबर 1 पर आकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का पुतला दहन किया. इस मौके पर भाकपा माले विधायक संदीप सौरव और मनोज मंजिल भी मौजूद रहे. मनोज मंजिल ने कहा कि मेडिकल स्टाफ मरीजों की सेवा देते हैं और उन पर पीएमसीएच में लाठी चलाया जाता है, यह घोर निंदनीय कार्य किया गया है.

''छात्राएं पटना में ही छात्रावास की डिमांड कर रही थी ऐसे में छात्रावास उपलब्ध कराया जाना चाहिए था और इसके बजाय उन पर लाठीचार्ज हुआ है. सरकार लोकतंत्र का गला घोट रही है. बिहार में बुलडोजर का राज नहीं चलने दिया जाएगा और स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश के नकारा मंत्री हैं जिनके राज में कोरोना के दौरान भारी त्रासदी देखने को मिली और आज पीएमसीएच में आधे से अधिक दवाइयां उपलब्ध नहीं है. पीएमसीएच पूरी तरह बदहाल है और इसे ठीक करने के बजाए सरकार छात्राओं पर लाठीचार्ज करा रही है.''- मनोज मंजिल, विधायक, माले

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स्वास्थ्य मंत्री-अस्पताल अधीक्षक पर हो कार्रवाई : मनोज मंजिल ने कहा कि अस्पताल के अधीक्षक आईएस ठाकुर और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के आदेश के बाद ही छात्राओं के ऊपर बर्बर लाठीचार्ज हुआ है. ऐसे में वह मांग करते हैं कि सरकार दोनों पर कार्रवाई करे. उनकी सरकार से डिमांड है कि लाठीचार्ज के जिम्मेदार अस्पताल के अधीक्षक पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें बर्खास्त किया जाए और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का इस्तीफा ले.

माले विधायक ने कहा कि उनकी डिमांड है कि छात्राओं को राजापाकर ना भेजा जाए और उन्हें पटना में ही रहने के लिए छात्रावास ढूंढा जाए. छात्राओं ने जब नामांकन पीएमसीएच के नर्सिंग कॉलेज में लिया है तो उन्हें दूसरे जगह भेजना उचित नहीं है. क्योंकि वहां उनकी प्रैक्टिस भी नहीं हो पाएगी और वह अपने विषय पर अच्छी पकड़ नहीं बना पाएंगी. उन्होंने कहा कि वह सभी छात्राओं की जायज मांगों को लेकर लगातार आवाज बुलंद करते रहेंगे और जब तक अधीक्षक पर कार्रवाई नहीं होती और छात्राओं को पटना में ही छात्रावास उपलब्ध नहीं कराया जाता वह शांत बैठने वाले नहीं हैं.

कॉलेज शिफ्टिंग को लेकर विवाद: दरअसल, छात्राएं अपनी मांगों को लेकर आज पीएमसीएच अधीक्षक कार्यालय के बाहर अनिश्चिकालीन हड़ताल पर बैठी थी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. छात्राओं का कहना है कि जेएनएम पढ़ाई का कोर्स तीन साल का कोर्स था लेकिन अब हम लोग को यहां से भगाया जा रहा है. यानी जीएनएम छात्राओं का कहना है कि हम लोग पीएमसीएच छोड़कर कहां जाएंगे. यहां आईसीयू से लेकर हर फैसिलिटी है और हम लोग को अब वैशाली जिला भेजा जा रहा है. जिसको लेकर बहुत समस्या हो रही है.

राजापाकर जाने को तैयार नहीं: प्रदर्शनकारी छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल खाली करने के लिए 2 दिन पहले नोटिस दिया गया था. अब कॉलेज को वैशाली जिला के राजापाकर में शिफ्ट किया जा रहा है. जीएनएम कोर्स के लिए प्रैक्टिकल मेडिकल कॉलेज में ही संभव है. जबकि सदर अस्पताल में प्रैक्टिकल के लिए भेजने की बात कही जा रही है. जहां उन लोगों को सही प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होगा. छात्राओं ने कहा कि उनके प्रदर्शन से डीएमसीएच प्रबंधन इस बात पर तैयार हुआ है कि राजापाकर से प्रतिदिन बस के माध्यम से प्रशिक्षण के लिए उन्हें पीएमसीएच लाया जाएगा लेकिन यह व्यवहारिक नहीं लग रहा है. गांधी सेतु को पार करके प्रतिदिन 50 किलोमीटर अप डाउन करना संभव नहीं होगा.

'यदि सरकार का आदेश है तो मानना ही पड़ेगा. छात्राओं को पीएमसीएच में ही प्रशिक्षण देने को लेकर चिट्ठी में भी लिखा हुआ है. इसके लिए छात्राओं को पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट से बात करनी चाहिए, इस तरह से प्रदर्शन नहीं करनी चाहिए, छात्राओं के प्रदर्शन से पीएमसीएच में पहुंचे, गरीब मरीजों को भी परेशानी हो रही है.'' - कुमारी वीणा, प्रिंसिपल

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