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पवन वर्मा के कंधे पर तीर रखकर पीके को साधने की तैयारी! नीतीश से मुलाकात के बाद लग रहे कयास

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Published : Sep 14, 2022, 5:49 PM IST

पीके
पीके

नीतीश कुमार के कभी काफी नजदीकी रहे पवन वर्मा एक बार फिर से जदयू में शामिल हो सकते हैं. पवन वर्मा के पटना आकर नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर को लेकर प्लान बना रहे हैं. पवन वर्मा फिर से एक बार प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार के नजदीक लाने में लगे हैं. राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है (Nitish Kumar Pawan Varma and Prashant Kishor).

पटना: पवन वर्मा की बिहार में इंट्री और नीतीश कुमार से मुलाकात (Pawan Varma meets Nitish) के बाद कई तरह के कयास लगने लगे हैं. पवन वर्मा ही वह शख्स हैं, जिसने प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार से मिलवाया था. लेकिन पवन वर्मा भी राज्य सभा नहीं भेजे जाने के कारण नाराज हो गए थे. बयानबाजी करने लगे थे, जिसके बाद पार्टी से उन्हें भी निष्कासित कर दिया था. बाद में टीएमसी में शामिल हो गए. हाल ही में टीएमसी को भी छोड़ दिया है. पवन वर्मा मंगलवार को पटना आकर नीतीश कुमार से मुलाकात की है. सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने ही उन्हें बुलाया था.

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पवन वर्मा के जदयू में शामिल होने की चर्चाः कभी नीतीश कुमार के लिए पवन वर्मा ने विदेश सेवा की नौकरी छोड़ दी थी. अब फिर से पवन वर्मा के जदयू में शामिल होने की चर्चा हो रही है. पवन वर्मा नीतीश कुमार से मिलने से पहले प्रशांत किशोर से भी मिल चुके हैं (Pawan Varma meets Prashant Kishor), इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार प्रशांत किशोर को फिर से लाने की कोशिश कर रहे हैं. मंगलवार शाम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Political Strategist Prashant Kishor) ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात (CM nitish kumar prashant kishor meeting) की है. हालांकि, इस मुलाकात पर अभी आधिकारिक रूप पुष्टि नहीं हुई है. सूत्रों के मुताबिक पवन वर्मा ने ही यह मुलाकात करवाई है.

चुनावी रणनीतिकार हैं प्रशांत किशोर: प्रशांत किशोर बड़े चुनावी रणनीतिकार है और नीतीश कुमार के साथ लंबे समय तक काम किया है. यहां तक कि नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दो नंबर की कुर्सी भी दी थी, लेकिन पार्टी में विवाद के बाद प्रशांत किशोर अलग-थलग पड़ गये. बाद में पार्टी ने उन्हें बाहर भी निकाल दिया. इन दिनों बिहार में जन सुराज के माध्यम से अभियान चला रहे हैं. दाे अक्टूबर से पूरे बिहार में पदयात्रा शुरू करने वाले हैं. हाल में नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच तल्ख बयानबाजी भी हुई है.

प्रशांत किशोर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होगाः "प्रशांत किशोर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. पहले की परिस्थिति और अभी की परिस्थिति में काफी अंतर है. प्रशांत किशोर अपना अभियान चला रहे हैं और एक पार्टी खड़ा करना चाह रहे हैं. लेकिन, पवन वर्मा की जिस प्रकार से इंट्री हुई है नीतीश कुमार के फोल्डर में प्रशांत किशोर आते हैं तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. लेकिन प्रशांत किशोर के विश्वसनीयता पर सवाल जरूर खड़ा होगा"- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक

राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं: "राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. दोनों के बीच इस प्रकार से हाल में तल्ख बयानबाजी हुई है, यदि मिलते हैं तो हैरानी जरूर होगी. प्रशांत किशोर देश के बड़े नेताओं के साथ काम किया है और इसलिए इसका लाभ नीतीश कुमार को मिल सकता है. लेकिन, बिहार में बदले राजनीतिक घटनाक्रम पर ही प्रशांत किशोर ने कहा था कि देश की राजनीति में इसका कोई असर नहीं होगा."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार

जो भी बीजेपी के खिलाफ है उन सब को एक साथ आना होगा: "प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के नीतीश कुमार से मिलने की चर्चा पर स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन जदयू मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि लोग मिलते रहते हैं. राजनीतिक और कई मुद्दों पर चर्चा होते रहती है. जब से नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने का राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है, हलचल है. जो भी बीजेपी के खिलाफ है उन सब को एक साथ आना होगा." -श्रवण कुमार, जदयू मंत्री


देशभर के नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं नीतीशः "नीतीश कुमार लगातार देशभर के नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं, लेकिन उसका क्या हाल हो रहा है सब देख रहे हैं. किसी और पर भी डोरे डाले थे लेकिन उठक बैठक करते रहे. कुमार स्वामी को भी लाने की कोशिश की, लेकिन वह भी फोल्डर से बाहर निकल गए."-अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी


अब आरसीपी सिंह भी जदयू में नहीं हैंः प्रशांत किशोर कई दलों के नेताओं के साथ काम कर चुके हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए भी काम किया था. उसके बाद बिहार में नीतीश कुमार के लिए 2015 में चुनावी रणनीति तैयार किया और यहां महागठबंधन की सरकार बनी. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के लिए भी काम किया. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए काम किया और बंगाल में ममता बनर्जी के लिए भी काम किया है. साउथ में भी जगन रेड्डी से लेकर स्टालिन तक के लिए प्रशांत किशोर ने रणनीति तैयार की है. नीतीश कुमार जब महागठबंधन से निकलकर एनडीए में आए थे तो उस समय प्रशांत किशोर ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. आरसीपी सिंह प्रशांत किशोर के विरोध में थे. जदयू से निकलने का एक बड़ा कारण वह भी थे, लेकिन अब आरसीपी सिंह भी पार्टी में नहीं हैं और नीतीश कुमार एनडीए से भी अलग हो चुके हैं.

प्रशांत किशोर बिहार में तलाश रहे जमीनः प्रशांत किशोर के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह चुनौती बन सकते हैं. पिछले दिनों प्रशांत किशोर के खिलाफ जमकर बयान भी दिया था. प्रशांत किशोर बिहार में अभी अपनी जमीन तलाश रहे हैं. दाे अक्टूबर से शुरू हो रही पदयात्रा के बाद कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. खासकर नीतीश कुमार जिस प्रकार से बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का अभियान चला रहे हैं और प्रशांत किशोर ने भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की थी सफल नहीं हुए तो ऐसे में नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर फिर जुड़ते हैं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. लेकिन प्रशांत किशोर क्या कुछ फैसला लेते हैं यह देखना जरूर दिलचस्प होगा.

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