बिहार उपचुनाव: एनडीए में हार और जीत को लेकर सियासी संग्राम शुरू

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Published : Nov 1, 2021, 11:06 PM IST

बिहार की राजनीति

बिहार में उपचुनाव के ठीक पहले सियासी पारा सातवें आसमान पर है. मतगणना से पहले संभावित नतीजों को लेकर बयानबाजी शुरू है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: बिहार में उपचुनाव (By-Election) संपन्न हो चुके हैं. मतगणना की तैयारी पूरी हो चुकी है. उपचुनाव के नतीजों के ठीक पहले राज्य का सियासी पारा सातवें आसमान पर है. हार और जीत के श्रेय को लेकर एनडीए के घटक दल आमने-सामने हैं.

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बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में चार घटक दल हैं. उपचुनाव में चारों दलों ने जदयू के पक्ष में जोर आजमाइश की है. मतगणना से पहले संभावित नतीजों को लेकर सियासत शुरू हो गई है. जीत का श्रेय और हार का ठीकरा किसके सर होगा, इसे लेकर बहस शुरू हो गई है.

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उपचुनाव में दोनों सीटों पर जदयू ने उम्मीदवार खड़े किए हैं. संभावित नतीजों को लेकर सियासी संग्राम है. भाजपा को ऐसा महसूस हो रहा है कि अगर जदयू की दोनों सीटों पर जीत होती है तो श्रेय नीतीश कुमार ले जाएंगे. लेकिन अगर हार होती है तो ठीकरा भाजपा के सर मढ़ा जाएगा. नतीजों से पहले एनडीए के घटक दल पल्ला झाड़ने में लगे हैं.

आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा था. पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई थी. जदयू नेता मुखर होकर यह कहने लगे थे कि भाजपा के चलते ही हमारी हार हुई है. भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमारे पक्ष में मतदान नहीं किया. ना कि भाजपा की ओर से भी प्रतिवाद किया गया था.

'चुनाव में अगर नीतीश कुमार जीतते हैं, तो श्रेय खुद ले जाते हैं. लेकिन जब हार होती है तो हार का कारण दूसरे दलों को बताते हैं. इस बार भी ऐसा ही कुछ होने वाला है.' -रामानुज प्रसाद, राजद प्रवक्ता

'हमारे कार्यकर्ताओं ने पूरे ऊर्जा के साथ दोनों विधानसभा क्षेत्रों में काम किया. चुनाव में हार या जीत जो भी हो, इसका श्रेय नीतीश कुमार को लेना चाहिए.' -राजीव रंजन, भाजपा प्रवक्ता

'हमारे दल के नेताओं ने भी चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी थी. चुनाव में हार या जीत दोनों का श्रेय नीतीश कुमार को लेना चाहिए, क्योंकि एनडीए के नेता वही हैं.' -विजय यादव, प्रवक्ता हम

'हम जीत को लेकर आश्वस्त हैं. इसलिए ऐसे सवालों का कोई मायने नहीं होता है. यह बिल्कुल काल्पनिक प्रश्न है.' -अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

'चुनाव के नतीजों के बाद हर बार की तरह इस बार भी आरोप-प्रत्यारोप के दौर देखने को मिलेंगे. राजनीतिक दल जीत का श्रेय तो लेंगे लेकिन हार का कारण कुछ और बताएंगे. जैसा कि पहले भी चुनाव के बाद होता रहा है.' -डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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