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Crime in Bihar: वो 5 चर्चित हत्याकांड... जिनमें बिहार पुलिस के हाथ अब तक खाली

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Published : Apr 20, 2022, 5:34 PM IST

बिहार में क्राइम का ग्राफ
बिहार में क्राइम का ग्राफ

बिहार में क्राइम का ग्राफ (Crime Graph in Bihar) तेजी से बढ़ता जा रहा है. राज्य के कई ऐसे चर्चित हत्याकांड है जिनका खुलासा पुलिस अब तक नहीं कर सकी है. वहीं, पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने बिहार सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि बिहार सरकार और बिहार पुलिस सिर्फ और सिर्फ शराबबंदी कानून को पालन करवाने में लगी है. जिस वजह से कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है.

पटना: इन दिनों बिहार में आपराधिक वारदातों में वृद्धि (Crime Increase in Bihar) हो रही है. राजधानी पटना अपराधियों का हॉटस्पॉट बन गया है. हत्या और लूट जैसी वारदातों में वृद्धि हो रही है. इसके बावजूद भी कई ऐसे चर्चित मामले हैं जिसका खुलासा बिहार पुलिस से अब तक नहीं हो पाया है. बता दें कि 23 अगस्त 2020 को राजधानी पटना का सबसे चर्चित हत्याकांड मामले में अब तक पुलिस द्वारा इसका खुलासा नहीं हो पाया है. इस घटना को अपराधियों ने कार्बाइन जैसे बड़े हथियार से घटना को अंजाम दिया था.

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बिहार पुलिस के लिए पहेली बने कई हत्याकांड: हालांकि, इसके अलावा भी कई ऐसे मामले हैं जिसमें पुलिस द्वारा अब तक खुलासा नहीं (Many murder cases in Bihar) हो पाया है. पिछले 3 महीने में बेगूसराय जिले में चार चर्चित हत्याकांड में पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई है. इसमें शीलभद्र प्रियदर्शी हत्याकांड, बमबम सिंह हत्याकांड, समीर हत्याकांड और फाइनेंसकर्मी संजीव हत्याकांड मामले में पुलिस को अब तक सफलता नहीं मिली है, इसमें सिर्फ दो मामले पुलिस के लिए ब्लाइंड साबित हो रहे हैं.


जब ताबड़तोड़ फायरिंग से दहला पटना: 23 अगस्त 2020 को राजधानी पटना का बेउर इलाका रविवार की सुबह करीब पौने 11 बजे गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठा. पटना के पूर्व डिप्टी मेयर अमरावती देवी के पति व पूर्व वार्ड पार्षद दीना गोप के चाचा सह प्रापर्टी डीलर टुनटुन यादव की हत्या करने में नाकाम बदमाशों ने उनके दफ्तर में घुसकर अंधाधुंध 25 राउंड फायरिंग की. भिड़ने पर बदमाशों ने दफ्तर में मौजूद परसा बाजार के रहीमपुर निवासी प्रापर्टी डीलर राजेश कुमार यादव को कार्बाइन से भून डाला. फायरिंग में गोली लगने से तीन अन्य प्रापर्टी डीलर गंभीर रूप से घायल हो गए.

2 साल बाद भी पुलिस के हाथ खाली: बताया गया था कि चार अपराधी बाइक पर सवार होकर आये थे. सभी असलहों से लैस थे. वह प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव की हत्या करने आये थे. अपराधी प्रापर्टी डीलर टुनटुन यादव के दफ्तर में घुसे. वहां आठ दस प्रॉपर्टी डीलर बैठे थे, जबकि कुछ देर पहले ही टुनटुन दफ्तर से जा चुके थे. टुनटुन के दिखाई नहीं. देने पर अपराधियों ने दनादन गोलियां चलानी शुरू कर दी. अपराधियों ने गोली मारकर जहां प्रॉपर्टी डीलर राजेश कुमार निवासी परसा की हत्या कर दी. वहीं, गोली लगने से दो लोग और पिस्टल के बट से किये गये हमले में एक अन्य प्रापर्टी डीलर जख्मी हो गया. प्रारंभिक जांच में घटना के पीछे भूमि विवाद व पूर्व में दीना गोप हत्याकांड से उपजी रंजिश की बात सामने आ रही थी. इस मामले में 2 वर्ष बीतने को है, लेकिन अबतक पुलिस के हाथ खाली हैं.

बेगूसराय में 3 माह में 4 चर्चित हत्याएं: बेगूसराय शहर में पिछले 3 माह में 4 चर्चित हत्या हुई हैं, जिसमें से दो हत्याकांड ब्लाइंड मर्डर केस है. जिसका खुलासा करने में नगर थाना की पुलिस अभी तक विफल है. चारों हत्याकांड में पुलिस एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. हालांकि, हत्याकांड के खुलासे में पुलिस जुटी हुई है. बता दें कि शीलभद्र प्रियदर्शी हत्याकांड मामले में 85 दिन बाद भी दोनों अपराधी फरार हैं. श्री कृष्णपुरी मोहल्ले में बदमाशों ने शीलभद्र प्रियदर्शी की हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने 7 जनवरी को शीलभद्र का शव उसके मकान से बरामद किया था. मृतक के मामा सुरेश भारती ने नगर थाना में नामजद प्राथमिक दर्ज कराई है, जिसमें शीलभद्र की चाची बबीता कुमार उर्फ अंशु कुमारी और उसके भाई बबलु राय को नामजद किया है.

लुटेरों ने की थी फाइनेंसकर्मी की हत्या: वहीं, लूट के दौरान फाइनेंसकर्मी संजीव को गोली मारी थी. पोखरिया स्थित बड़ी पोखर के पास अति व्यस्ततम तिराहे पर बाइक सवार लुटेरों ने 9 फरवरी को कलेक्शन स्टाफ संजीव को गोली मारकर बैग लूट लिया था. लुटेरों की गोली से जख्मी संजीव की मौत इलाज के दौरान 12 मार्च को हो गई थी. इस सनसनीखेज लूट और हत्याकांड में पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं.

बेगूसराय का बमबम सिंह हत्याकांड: बेगूसराय के बमबम सिंह हत्याकांड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्या की बात को झूठी साबित कर दिया है. वहां की स्थानीय पुलिस ने बताया कि पीएम रिपोर्ट में हादसे में मौत होने की पुष्टि हुई है. उल्लेखनीय है कि नगर थाना की पुलिस ने 12 फरवरी को जेल गेट के पास से बमबम सिंह का शव बरामद किया था.

समीर हत्याकांड की गुत्थी नहीं सुलझी: रतनपुर पुलिस ने 24 मार्च की सुबह साइकिल दुकानदार समीर का शव जवाहर मोहल्ले के सड़क पर से बरामद किया. बदमाशों ने मियाचक पूर्वी निवासी मो समीर की हत्या कर शव को उसके घर के पास ही फेंक दिया था. मृतक के भाई ने अज्ञात बदमाश पर केस दर्ज कराया है. 10 दिन बाद भी गुत्थी नहीं सुलझ सकी है. हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है, सैकड़ों बिहार में ऐसे चर्चित मामले हैं जिसका खुलासा बिहार पुलिस द्वारा अब तक नहीं हो पाया है.


''बिहार में बढ़ रहे आपराधिक वारदातों के पीछे कहीं ना कहीं पुलिस द्वारा समय पर अपराधियों के खिलाफ वारंट और उनकी कुर्की जब्ती नहीं करने की वजह से अपराधी निश्चिंत होकर बेखौफ घूम रहे हैं और आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. बिहार सरकार और बिहार पुलिस सिर्फ और सिर्फ शराबबंदी कानून को पालन करवाने में लगी है. जिस वजह से कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है. जब तक पुलिस के ऊपर राजनीतिक दबाव कम नहीं होगा, तब तक ऐसी वारदातों में वृद्धि होती रहेगी.''- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी, बिहार

पूर्व आईपीएस का सरकार पर हमला: पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने पूर्णिया में विगत कुछ दिन पहले कांग्रेसी नेता रिंकू सिंह हत्याकांड मामले में राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस हत्याकांड मामले में बिहार सरकार के मंत्री लेसी सिंह का नाम सामने आया था, परंतु पुलिस ने इस मामले की लीपापोती करते हुए उनकी गिरफ्तारी तो दूर उनसे पूछताछ करना भी मुनासिब नहीं समझा. जिस वजह से कहीं ना कहीं बिहार में राजनीतिक दबाव के कारण अपराधी बच रहे हैं.

अपराध का बढ़ता ग्राफ और पेंडिग केस: बिहार पुलिस मुख्यालय (Former IPS officer Amitabh Das) के आंकड़ों पर ध्यान दें तो साल 2020 में बिहार में कुल 82541 मामले पेंडिंग रहे, जिसमें से 72164 वारंट और 10377 कुर्की जब्ती के रहे हैं. इसी तरह साल 2019 में कुल पेंडिंग केस की संख्या बढ़कर 102008 हो गई. जिसमें वारंट के 90239 और कुर्की जब्ती के 11779 पेंडिंग रहे. साल 2020 में कुल 48187 मामले पेंडिंग हुए, जिसमें से वारंट 42700 और कुर्की जब्ती के 5478 पेंडिंग हैं. वहीं, साल 2021 के जुलाई माह तक कुल 59014 केस पेंडिंग हो गए, जिसमें वारंटी 53351 और कुर्की जब्ती के 5663 मामले पेंडिंग हुए हैं, जितनी संख्या में केस पेंडिंग हुए उतनी ही संख्या में अपराधियों की गिरफ्तारी पेंडिंग रही.

बिहार पुलिस मुख्यालय का दावा: पुलिस मुख्यालय की माने तो पहले की तुलना में आपराधिक वारदातों में कहीं ना कहीं कमी आई है. ज्यादातर मामलों में पुलिस द्वारा अपराधी की गिरफ्तारी सुनिश्चित हुई है. कुछ मामले हैं जिनमें अपराधी की पहचान नहीं हो पाती है या वह गिरफ्त से बाहर होते हैं, जिस वजह से कुछ मामलों में जरूर खुलासा नहीं हो पाता है. हालांकि, ज्यादातर मामलों में पुलिस ने समय रहते ही कार्रवाई करके अपराधी को सजा दिलवाई है.

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