ETV Bharat / city

ऐसी श्रद्धा.. ऐसी भक्ति.. 28 सालों से खुद मां सरस्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करता है ये इंजीनियर

author img

By

Published : Feb 5, 2022, 1:27 PM IST

Saraswati Puja
Saraswati Puja

विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना (Saraswati Puja 2022) आज देश भर में हो रही है. पटना में मां सरस्वती का एक ऐसा भक्त है जो खुद मूर्ति बनाकर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं. पिछले 28 वर्षों से वह इसी प्रकार से पूजा करते आ रहे हैं. उस युवक का नाम मयंक कुमार है और वह पेशे से इंजीनियर हैं. पढ़ें पूरी खबर.

पटना: आज, 5 फरवरी को पूरे देश में बसंत पंचमी का त्योहार (festival of basant panchami) मनाया जा रहा है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Maa Worship) होती है. मां सरस्वती की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से देश भर में भक्त कर रहे हैं लेकिन हम आज आपको एक ऐसे युवक के बारे में बताने जा रहे हैं जो सुनकर आप कहेंगे कि भक्त हो तो ऐसा.

ये भी पढ़ें: आज होगा फैसला! लॉकडाउन में कितनी मिलेगी छूट.. कब से खुल सकेंगे स्कूल-कॉलेज?

ये हैं पटना अनीसाबाद के रहने वाले मयंक कुमार. इनकी पूजा और भक्ति ऐसी है कि वे मूर्तिकार से मां की प्रतिमा खरीद कर नहीं लाते हैं बल्कि स्वयं तैयार करते हैं. उसके बाद मां सरस्वती की पूजा-अर्चना (Mayank Kumar performs Saraswati Puja by making a statue) करते है. विगत 28 वर्षों से यही सिलसिला चल रहा है. वे हर साल मां सरस्वती की प्रतिमा बनाते हैं और पूजा करते हैं. मयंक पेशे से इंजीनियर हैं. मां सरस्वती के प्रति उनकी ऐसी श्रद्धा है कि वे बचपन से ही विद्या दायिनी मां की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इस बार भी मयंक ने मां सरस्वती की प्रतिमा तैयार की है. इस प्रतिमा को देखकर कोई नहीं कह सकता कि इसे किसी किसी पेशेवर मूर्तिकार नहीं बनाया है.

मयंक 5 साल की उम्र से ही सरस्वती मां की पूजा कर रहे हैं. वे जब छोटे थे तब छोटी मूर्ति बनाकर पूजा करते थे. घरवाले मयंक को समझाते थे कि बड़े हो जाओ तब मां की प्रतिमा खरीदना और पूजा अर्चना करना, लेकिन यहां तो मन में भक्ति थी मां की. ऐसे में मूर्ति खरीदने की जरूरत नहीं बल्कि मां को अपने हाथों से ही तैयार करते हैं. यही नहीं, जहा पर मां सरस्वती की पूजा होती है, साथ-साथ मां नव दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं. 9 दिन तक यहां पूजा होती है. कलश स्थापन से लेकर दसवें दिन मां की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है.

यहां के आसपास के लोगों का मानना है कि इस पंडाल में पहुंचने और मन्नत मांगने से मनोकामना पूर्ण हो जाती है. लोगों में इस पूजा पंडाल में पहुंचने का कौतूहल इसलिए भी है क्योंकि यहां प्रतिमा माता सरस्वती की है लेकिन पाठ दुर्गा सप्तशती का चल रहा है. कलश स्थापना भी की गई है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मयंक ने बताया कि 28 सालों से मां की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना करते आ हैं.

जब छोटे थे तो अपने आप मां की पूजा करने की श्रद्धा हुई. किसी मूर्तिकार से उन्होंने मूर्ति बनाने कला नहीं सीखी बल्कि अंतरात्मा से मूर्ति बनाना सीख लिया. बसंत पंचमी और गुप्त नवरात्र, दोनों मयंक करते हैं. इस बार मयंक का 28 वां साल पूजा का है. वे आगे भी ऐसे ही पूजा करते रहेंगे. मयंक का कहना है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर पहले दूसरे प्रदेशों में काम करते थे लेकिन मां सरस्वती की पूजा के लिए छुट्टी लेकर घर आते थे. मां की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना करते थे लेकिन इसमें उनको थोड़ी सी परेशानी होती थी.

ये भी पढ़ें: बीपीएससी अभ्यर्थी ध्यान दें, 26 फरवरी को होगी BPSC LDC की PT परीक्षा

मयंक अब जॉब छोड़कर पटना में ही अपना बिजनेस करते हैं. अनीसाबाद उड़ान टोला के रहने वाले मयंक को बचपन से ही भक्ति में मन लगता था. वह थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठे कर मां की प्रतिमा बनाते और विधिवत मां की पूजा अर्चना करते हैं. मयंक जैसे-जैसे बड़े होते गये और पैसे कमाने लगे, वैसे-वैसे मां की प्रतिमा भी बड़ी होती गयी. मयंक का मानना है कि मां का आशीर्वाद है कि हर साल प्रतिमा अपने आप बड़ी बन जाती है. मयंक ने कहा कि मां की प्रतिमा जब बनाते हैं तो अपने आप प्रतिमा में वह जान आ जाती है जिसे लोग देखकर कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि इतनी सुंदर मां की प्रतिमा बनती है. कहीं ना कहीं यह मां की दिव्य शक्ति है. मां के आशीर्वाद से ही यह सब कुछ होता है. पहले मयंक खुद पंडाल सजा लेते थे लेकिन अब कोलकाता से सजावट का सामान मंगाते हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार की कानून-व्यवस्था को लेकर एक्टिव हुए सीएम नीतीश, 9 को करेंगे समीक्षा बैठक

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.