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काम पर लौटे NMCH के जूनियर डॉक्टर, इस शर्त के साथ मरीजों का कर रहे इलाज

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Published : Apr 29, 2021, 8:51 AM IST

Updated : Apr 29, 2021, 11:18 AM IST

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जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि प्रशासन और सरकार द्वारा घोषणाओं और आश्वासनों के बावजूद अस्पताल की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. अस्पताल में पुलिस से सुरक्षा व्यवस्था नहीं संभल रही है. देखें पूरी रिपोर्ट

पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (NMCH) के जूनियर डॉक्टर काम पर लौट आए हैं. प्रशासन के आश्वासन के बाद वे काम पर वापस लौटे. दरअसल, देर रात डीएम और एसएसपी के साथ अन्य अधिकारियों की बैठक हुई. इस बैठक में अस्पताल के अंदर की सुरक्षा को तत्काल प्रभाव से मजबूत करने का आश्वासन दिया गया.

बैठक में जूनियर डॉक्टरों ने डीएम और एसएसपी के साथ अन्य अधिकारियों को फिर से अस्पताल में विभिन्न कमियों के बारे में बताया गया. जानकारी के अनुसार, उन समस्याओं को लेकर आज यानी गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ बैठक का आश्वासन दिया गया और कहा गया कि जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान निकाल लिया जाएगा. बताया जा रहा है कि देर रात ही जूनियर डॉक्टर सशर्त काम पर लौट गए.

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बता दें कि वहीं पटना के नालंदा मेडिकेल कॉलेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच) में बुधवार को एकबार फिर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से कोविड डेडिकेटेड इस अस्पताल में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.

जूनियर डॉक्टरों की मांग

⦁ जिन लोगों ने डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की उनके खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए.

⦁ अस्पताल परिसर के अंदर पैरामिलिट्री फोर्स की प्रतिनियुक्त की जाए.

⦁ वार्ड के अंदर मरीजों के अटेंडेंट्स की एंट्री पर प्रतिबंध लगे. अतिरिक्त वार्ड बॉय नियुक्त किए जाए.

⦁ 150 नॉन एकेडमिक जेआर को NMCH में तैनात किया जाए.

⦁ दूसरे सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड बढ़ाई जाए.

डॉक्टरों से मारपीट का आरोप
जूनियर डॉक्टरों का आरोप था कि मंगलवार की रात सर्जरी वार्ड में एक मरीज की मौत के बाद कुछ लोगों ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट की और जमकर तोड़फोड़ की. डॉक्टरों का कहना था कि जब डॉक्टरों की सुरक्षा ही नहीं होगी तो डॉक्टर इलाज कैसे कर सकता है. इस घटना के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए था.

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सुरक्षा और इलाज के लिए जरूरी संसाधनों की मांग
इसके बाद डॉक्टर पूरी सुरक्षा और इलाज के लिए जरूरी संसाधनों की मांग कर रहे थे. जूनिय डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र कुमार ने कहा था डॉक्टरों और स्वास्थकर्मियों को दवाओं और अन्य संसाधनों की कमी के कारण इलाज करने में परेशानी हो रही है.

डॉक्टरों की भारी कमी है. एक डॉक्टर को नौ से दस घंटे काम करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के कारण भी मरीजों की मौत हो रही है.'' - डॉ. रामचंद्र कुमार, JDA, अध्यक्ष

पहले भी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हुई थी मारपीट
इससे पहले 22 और 23 अप्रैल को भी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट की गई थी, जिसके बाद जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. इसके बाद पटना के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर काम पर लौटे थे.

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Last Updated :Apr 29, 2021, 11:18 AM IST
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