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4 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा विशेष संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त

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Published : Feb 28, 2022, 6:02 AM IST

शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि इस बार कई विशेष संयोगों के बीच मनाया जाएगा. शुभ योग और ग्रह नक्षत्रों के मेल से इस बार यह पर्व विशेष फलदायी है. 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व (Mahashivratri festival on 1st March) को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि व्रत का क्या फल है किस प्रकार श्रद्धालु भक्त शिव जी का पूजा अर्चना करें हम आज आपको इस खास रिपोर्ट में बताएंगे.

शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि
शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि

पटना: हजारों सालों से विज्ञान 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है. जब भौतिकता का मोह खत्म हो जाए और ऐसी स्थिति आए कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाएं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाए तो वहां शिव का प्राकट्य होता है. शिव यानी शून्य से परे. जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्याग कर सच्चे मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है. उन्हीं एकाकार और अलौकिक शिव के महारूप को उल्लास से मनाने का त्योहार है महाशिवरात्रि. हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है.

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भगवान महाकाल की अराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri on 1st March) के दिन 4 साल बाद शुभ मुहूर्त और संयोग के साथ ही पंचग्रही योग भी बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलेगा. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 03.16 मिनट से शुरू होकर बुधवार 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी. रात्रि में शिव जी के पूजन का शुभ समय शाम 06.22 मिनट से शुरू होकर रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगा.

हालांकि, महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग से इस बार पर्व का महत्व बढ़ गया है. शिवरात्रि के दिन भक्त सुबह से लेकर शाम तक भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. गंगा जल, शहद और दूध पंचामृत बेलपत्र, चंदन लगाकर भगवान को खुश करें. ऐसे पूजा विधि करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन चाहे कोई भी समय हो भगवान शिव जी की आराधना करना चाहिए.

''इस दिन लड़कियों को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनको अच्छा वर मिलता है. जो महिलाएं भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगी उनके घरों में सुख, शांति, समृद्धि की प्राप्ति होगी. दूध, दही और पंचामृत भगवान शिव को तो चढ़ावे और जिन लोगों के पास दूध और दही उपलब्ध ना हो ऐसे में भगवान शिव को जल से जलाभिषेक कर फूल अक्षत चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें और हो सके तो महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखें.''- आचार्य रामा शंकर दुबे

उन्होंने कहा कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह (Marriage of Lord Shiva and Mother Parvati on Mahashivratri) हुआ था. महाशिवरात्रि के खास मौके पर भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं. माता पार्वती की तरह मनचाहा वर पाने के लिए लड़कियां व्रत रखती हैं और सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए पूजा करती हैं. ये भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ये भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है.

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