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'झा सर की क्लास में घर से भागकर पढ़ने आते हैं बच्चे'.. इसलिए अव्वल रहते हैं बिहारी...!

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Published : Apr 20, 2022, 6:01 AM IST

बिहार के छात्र थोड़ा अलग हैं, सीमित संसाधन में भी ये रास्ता खोज निकालते हैं. ये शायद देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां स्टेशन पर भी छात्र एक साथ बैठकर ग्रुप स्टडी करते हैं. बिहार से एक और तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर में सैंकड़ों घाट नदी किनारे बनी घाट की सीढ़ियों पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

पटना के गंगा घाट पर पाठशाला
पटना के गंगा घाट पर पाठशाला

पटना: बिहार में आपने रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म और किसी मंदिर परिसर में प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्रों की कोचिंग चलते देखा और सुना होगा, लेकिन राज्य की राजधानी पटना में प्रतियोगिता परीक्षा खास कर रेलवे भर्ती बोर्ड की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का नया ठिकाना गंगा तट बन गया है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों छात्र पहुंचते हैं और साथ में पढ़ाई करते हैं.

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पटना के गंगा घाट पर झा सर की क्लास : पटना के काली घाट पर सीढ़ी पर बैठ कर तैयारी कर रहे इन छात्रों का शनिवार और रविवार को कोचिंग दे रहे एस के झा टेस्ट भी लेते हैं. गंगा के घाट की सीढ़ियों पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के छात्र मिल जाएंगे, जो यहां आकर पढ़ाई (Students studying at Ganga Ghat in Patna) करते हैं. झा बताते हैं रेलवे की आरआरबी-एनटीपीसी रेलवे परीक्षा (RRB NTPC Railway Recruitment Board) के लिए रविवार यानी 17 अप्रैल को आयोजित मॉक टेस्ट में करीब सात हजार छात्रों ने हिस्सा लिया.

गंगा तट पर हो रही प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी: यह कोचिंग पूरी तरह मैकेनिकल इंजीनियर एस के झा की योजना है, जो वर्ष 2014 से छात्रों को रेलवे और एसएसबी की प्रतियोगिता परीक्षा की कोचिंग दे रहे हैं. झा कहते हैं कि टेस्ट के कारण छात्रों को उनकी योग्यता देखने का मौका मिलता है. उन्होंने कहा कि यह बेरोजगारी के खिलाफ एक तरह अभियान है. शनिवार और रविवार को सुबह 6 बजे हम टेस्ट करवाते हैं. छह से सात हजार छात्र आते हैं. यह कार्य पिछले दो महीने से चल रहा है, इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती है. उन्होंने कहा कि 25 लोगों की एक टीम पूरे सप्ताह छात्रों के लिए टेस्ट पेपर बनाने का काम करती है.

''इनमें से कई छात्र गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके अभिभावक दिहाड़ी मजदूर, किसान, रिक्शा चालक या ठेला लगाने वाले हैं. कोचिंग में 1000 से 1200 छात्र पढ़ते हैं. लगभग 2,000 छात्र नामांकित हैं और यूट्यूब चैनल के लगभग 6.5 लाख सक्रिय सब्सक्राइबर हैं. यूट्यूब चैनल पर एक विषय पढ़ाने कि 99 रुपये हैं.'' - एस के झा, मैकेनिकल इंजीनियर

एस के झा ने आगे कहा, इसके पीछे एकमात्र कारण बेरोजगारी है. वो बड़ा भयानक तरीके से बैठा हुआ है, उसी बेरोजगारी को हम खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. एक ऐसी साजिश जिससे ये बेरोजगारी मर जाए और हम सभी को मुक्ति मिल जाए. हम सभी छात्र और शिक्षक हर दिन एक कदम बढ़ा रहे हैं. ये सभी छात्र साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. 30-35 लोगों की एक टीम छात्रों के लिए पूरे सप्ताह टेस्ट पेपर पर काम करती है.

एस के झा कहते है कि यहां आने वाले छात्रों की पृष्ठभूमि नहीं पूछी जाती है, और वे केवल पढाई करते हैं. छात्र भी झा सर की इस योजना की तारीफ करते हैं. पूर्णिया के छात्र केशव कहते हैं कि पटना में कोई भी कोचिंग सेंटर मुफ्त में शिक्षा नहीं देता. यहां रहकर कोचिंग के लिए पैसा देना हम जैसे किसान पुत्रों के लिए संभव नहीं. एक अन्य छात्र बताता है कि यहां आने से ग्रुप डिस्कशन से काफी लाभ हो रहा है और इसके बाद टेस्ट में क्षमता का भी आकलन हो जा रहा है.

'घर से भागकर यहां पढ़ने आया हूं' : एक अन्य छात्र बताते है कि हमारे यहां पर ऐसा माहौल नहीं है इसलिए मैं घर से झगड़ा करके यहां पढ़ने के लिए यहां आया हूं. घरवाले कह रहे थे कि आपको नहीं जाना है लेकिन मैं यहां भागकर आ गया. यूपी से आए एक और छात्र अंकित ने बताया कि यहां का माहौल बिल्कुल अलग है. लोग बताते थे कि रेलवे की तैयारी करनी है तो पटना चले जाओ. फिलहाल, गंगा तट के इस कोचिंग की तस्वीर अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसकी लोग तारीफ भी कर रहे हैं.

फिलहाल, इन तस्वीरें देखकर बिहार के सासाराम जंक्शन की वो तस्वीर भी याद आ गई. जब गांव में बिजली न होने की वजह से सैंकड़ों छात्र रोज, सासाराम जंक्शन के प्लेटफार्म पर बैठकर पढ़ाई करते थे. हालांकि, स्टेशन वाली कोचिंग अब बंद हो गई है. लेकिन,बिहार के छात्रों के जुनून को सलाम, ये हम सभी के लिए प्रेरणा से भरी तस्वीर हैं.

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