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एक बार फिर प्रदूषण में नए रिकॉर्ड बनाएगा पटना! नहीं दिख रही है कोई तैयारी

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Published : Oct 18, 2019, 11:43 PM IST

प्रदूषण

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से सख्ती से पेश आने का दावा किया गया है. विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस बार वायु प्रदूषण को लेकर इतनी सख्ती पेश की जा रही है कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगने की पूरी संभावना है.

पटना: पिछले साल की तरह इस बार भी राजधानी में प्रदूषण के नए रिकॉर्ड बनने की आशंका है. अक्टूबर आते ही पटना में वायु की गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई है. पटना के अलावा मुजफ्फरपुर और गया की भी हालत कुछ ऐसी ही है. दोनों ही जगहों पर वायु की गुणवत्ता में गिरावट आई है. वहीं, विभाग ने इस बार सख्ती बरतने का दावा किया है.

पटना में आंकड़ा 298 पर पहुंचा
पटना में वायु प्रदूषण को लेकर जांच के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आंकड़ा 18 अक्टूबर की शाम 4 बजे पीएम 2.5 लेवल 298 प्राप्त किया गया. मुजफ्फरपुर में भी ये आंकड़ा 266 तक पहुंच गया है. इसके अलावा, दिवाली और छठ आना अभी बाकी है. बड़ी समस्या तब शुरु होगी, जब ठंड और कुहासे में ये धूल-कण मिलेगी.

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पटना के प्रदूषण का आंकड़ा

पिछले साल चल रही थी जहरीली हवा
बता दें कि पिछले साल पटना के वायु में महीन धूल कण की मात्रा 450 से ज्यादा पहुंच गई थी. इसका मतलब पिछली बार जहरीली हवा बह रही थी. उस समय पटना पूरे विश्व में प्रदूषण के मामले में 7वें स्थान पर पहुंच गया था. इसके बाद सरकार की ओर से कई तरह की कोशिशें करने का दावा किया गया था. निर्माण कार्यों को ढककर करना, ग्रीन कवर बढ़ाना, कचरा जलाने पर रोक और फसल अवशेष जलाने पर भी सख्ती दिखाई दी. बावजूद इसके, एक बार फिर पटना सहित बिहार के 3 शहर जहरीली हवा की चपेट में हैं.

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पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह

नियमों की धज्जियां उड़ा रहे निर्माण कार्य
पटना शहर में जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं, सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते दिखाई दे रहे हैं. कहीं भी निर्माण कार्य को ढ़ककर नहीं किया जा रहा है. कहीं पर भी ग्रीन कवर नहीं बिछा हुआ है. इस वजह से हर तरफ मिट्टी और धूल के कण चारों तरफ बिखड़े पड़े हैं. यही धूल-कण वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है.

पेश है रिपोर्ट

पर्यावरण विभाग का दावा
इस मामले पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से सख्ती से पेश आने का दावा किया गया है. विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस बार वायु प्रदूषण को लेकर इतनी सख्ती पेश की जा रही है कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगने की पूरी संभावना है.

Intro:अक्टूबर आते ही पटना में वायु की गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई है। पटना ही नहीं बल्कि मुजफ्फरपुर में भी कुछ ऐसी ही हालत है। इन दोनों शहरों के साथ गया में इस बार भी सांस लेना मुश्किल होने वाला है। पेश है पटना से एक खास रिपोर्ट


Body:जरा गौर करिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े 18 अक्टूबर शाम 4:00 बजे के आसपास पटना में पीएम 2.5 लेवल 298 बता रहा है जबकि मुजफ्फरपुर में यह 266 तक पहुंच गया है। अभी दिवाली बाकी है और उसके बाद ठंड और कुहासे में जब यह धूल कण मिलेगा तब असली समस्या शुरू होगी। यानी इस बार भी पटना मुजफ्फरपुर और गया में वायु प्रदूषण नए रिकॉर्ड बनाने वाला है। पिछले साल पटना के वायु में महीन धूल कण की मात्रा 450 से ज्यादा पहुंच गई थी। यानी अत्यंत जहरीली हवा। पटना सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि वायु प्रदूषण के मामले में पिछले साल विश्व भर में सातवें स्थान पर रहा था। इसके बाद सरकार की ओर से कई तरह की कोशिशें करने का दावा किया गया। निर्माण कार्यों को ढककर करना, ग्रीन कवर बढ़ाना, कचरा जलाने पर रोक और फसल अवशेष जलाने पर भी सख्ती दिखाई गई। इन सब के बावजूद एक बार फिर पटना और मुजफ्फरपुर समेत बिहार के तीन शहर जहरीली हवा के चपेट में हैं। वजह साफ है। रिपोर्ट में साफ नजर आ रहा है किस तरह पटना में जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं वह नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रहे हैं। कहीं कोई ग्रीन कवर नहीं है। मिट्टी और धूल कण चारों तरफ बिखरा पड़ा है और यही धूल कर वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
हालांकि वन पर्यावरण एवं जल वायु प्रदूषण विभाग की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि इस बार इतनी सख्ती है उससे पूरी संभावना है कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगेगी, लेकिन दावों का क्या है, जो हकीकत है वह सामने है।


Conclusion:दीपक कुमार सिंह प्रधान सचिव, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार
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