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नीतीश कुमार से अभी भी है कांग्रेस को उम्मीद, तारिक अनवर बोले- NRC-CAA पर स्टैंड क्लियर करें

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Published : Dec 24, 2019, 3:10 PM IST

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नेता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने एनआरसी और सीएए के मामले पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को सीएए को लेकर अपना स्टैंड तय करना होगा. साथ ही, उन्होंने सीएए के विरोधी दलों का स्वागत करने की बात भी कही.

पटना: एनआरसी और सीएए के मामले पर कांग्रेस को आज भी नीतीश कुमार से उम्मीदें हैं. जबकि, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी सीएए का समर्थन किया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा है कि नीतीश कुमार को एनआरसी और सीएए को लेकर अपना स्टैंड तय करने की जरूरत है.

'सीएए के विरोधी दलों का स्वागत'
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान तारिक अनवर ने कहा कि जो दल सीएए का विरोध करने वाले दलों का कांग्रेस स्वागत करती है. उन्होंने जदयू की ओर से सदन में इस बिल के समर्थन के बाद प्रशांत किशोर की ओर से मोर्चा खोलने को लेकर कहा कि नीतीश कुमार को अपना स्टैंड तय करना होगा.

तारिक अनवर के साथ खास बातचीत

झारखंड परिणाम को लेकर जताई खुशी
तारिक अनवर ने झारखंड के परिणाम को लेकर खुशी जताई. उन्होंने रघुवर सरकार के खिलाफ झारखंड की जनता का आक्रोश और झारखंड में महागठबंधन के मजबूत स्वरूप को जीत का मुख्य कारण बताया. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा ने एनआरसी और सीएए जैसे राष्ट्रीय मुद्दे का उपयोग झारखंड चुनाव में जरूर किया. लेकिन, झारखंड के स्थानीय मुद्दे ही चुनाव में हावी रहे. उनका मानना है कि देश में आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है. झारखंड के परिणाम से स्पष्ट हो गया है कि देश की जनता ने भाजपा के सीएए और एनआरसी का विरोध किया है.

'प्रशांत किशोर का स्टैंड सराहनीय'
प्रशांत किशोर के मामले पर तारिक अनवर ने कहा कि एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर पार्टी लाइन से उनका अलग स्टैंड सराहनीय है. दरअसल, प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कांग्रेस को नसीहत और सलाह देने के बहाने नजदीकियां बढ़ाने की पूरी कोशिश की.

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कार्यालय में बैठे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर

यह भी पढ़ें- NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट करने पर प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को कहा THANK YOU

सभी कांग्रेस शासित राज्यों ने किया विरोध
कांग्रेस शासित सभी राज्यों ने सीएए और एनआरसी का विरोध पहले दिन से ही किया है. अब देखना यह है कि जो भी धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करते हैं, उनका रुख क्या रहेगा? हालांकि, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के मुख्यमंत्री ने भी इस कानून का विरोध किया है.

Intro:एनआरसी और सीए मसले पर कांग्रेस आज भी नीतीश कुमार की ओर ना उम्मीद नहीं दिखती। जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी सीएबी का समर्थन किया है। ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर के बयान से यही मालूम लगता है कि आज भी कांग्रेस नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखती है। तारिक अनवर कहते हैं वैसे तमाम दल जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं कांग्रेस उसका स्वागत करती है। हालांकि नीतीश कुमार के दल ने इस बिल का सदन के अंदर समर्थन किया है, इसके बाद से ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मोर्चा खोल दिया है। तारीक अनवर कहते हैं या नीतीश कुमार को तय करना है कि सी ए आर एन आर सी के मुद्दे पर उनका क्या स्टैंड होगा।


Body:ईटीवी भारत से बातचीत में झारखंड के परिणाम से उत्साहित कांग्रेस नेता ने कहा कि रघुवर सरकार के खिलाफ झारखंड की जनता में काफी आक्रोश था। वे झारखंड चुनाव परिणाम का सबसे प्रमुख कारण झारखंड की वर्तमान सरकार के खिलाफ जनता के बीच आक्रोश और महागठबंधन का मजबूत स्वरूप को मानते हैं। तारिक अनवर कहते हैं कि हालांकि नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने एनआरसी और सी ए ए जैसे राष्ट्रीय मुद्दे को झारखंड में भुनाने की कोशिश भरपूर की। लेकिन झारखंड के स्थानीय मुद्दे ही चुनाव में हावी रहे। कांग्रेस नेता का मानना है कि देश में आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। झारखंड के परिणाम से स्पष्ट हो गया है कि देश की जनता ने भाजपा के सी एम ओ एन आर सी का विरोध किया।


Conclusion:प्रशांत किशोर के मामले पर तारिक अनवर कहते हैं कि एनआरसी आरसीए के मुद्दे पर वे जिस तरह पार्टी लाइन से अलग होकर मुखर हुए हैं वह सराहनीय है। दरअसल प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कांग्रेस को नसीहत और सलाह देने के बहाने नजदीकियां बढ़ाने की पूरी कोशिश की है। इस मामले पर अनवर का मानना है कि प्रशांत किशोर के सुझावों को मानने में कोई गुरेज नहीं है।
कांग्रेस शासित सभी राज्यों ने सीआईए और एनआरसी का विरोध पहले दिन से ही किया है। लेकिन अब देखना यह है कि जो भी धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करते हैं उनका रुख क्या। हालांकि आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के मुख्यमंत्री ने भी इस कानून का विरोध किया है।
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