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पटना की सड़कों पर दिखने लगा सरकारी फरमान का असर, नहीं चल रहे डीजल वाले ऑटो

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Published : Apr 1, 2022, 1:01 PM IST

आज से पटना की सड़कों पर डीजल ऑटो नहीं चल रहे हैं. इससे ऑटो चालक काफी चिंतित हो गये हैं. उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है. परिवहन विभाग ने 31 मार्च तक ही शहर में डीजल बसें और ऑटो चलाने की अनुमति दी थी. इन गाड़ियों को हटाने का मकशद शहर में प्रदूषण का स्तर कम करना है.

Diesel auto not operating Patna roads
Diesel auto not operating Patna roads

पटना: बिहार की राजधानी पटना में आज से डीजल से चलने वाले ऑटो नहीं चल (Diesel auto not operating Patna roads) रहे हैं. प्रशासन के फरमान के बाद आज से इन पर रोक लग गयी है. परिवहन विभाग ने शहर में डीजल बसें और ऑटो चलाने की अनुमति 31 मार्च तक ही दी थी. राजधानी पटना की सड़कों पर डीजल इंजन वाले बस एवं ऑटो नहीं चलेंगे. इससे लगभग 250 डीजल बस और 12,000 डीजल ऑटो चालक बेरोजगार हो गए हैं. वायु प्रदूषण रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है.

सरकार के फैसले से ऑटो चालक चिंतित: इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी पटना के विभिन्न चौराहों का जायजा लिया. देखा गया कि चालक अपने ऑटो को लगाकर स्टैंड में जीविकोपार्जन के लेकर चिंतित हैं. ऑटो चालक रमेश कुमार कहा कि उनके सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा होने लगा है. कोरोना काल में लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए. सरकार को इस बात की ओर भी ध्यान देना चाहिए. सरकार कम से कम 6 महीने की मोहलत दे जिससे हम डीजल ऑटो चालक पैसे की व्यवस्था कर सीएनजी किट लगवा सकें.

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रोजगार दे सरकार: यदि सरकार रोक लगाती है तो हमारे सामने बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जायेगी. परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा. कई ऑटो चालकों का मानना है कि सरकार एक तरफ रोजगार की बात करती है तो दूसरी ओर डीजल ऑटो बंद कर लोगों के पेट पर लात मारने का काम कर रही है. अगर डीजल ऑटो को बंद कराया गया तो हमें रोजगार मुहैया कराए. बता दें कि पटना शहर में डीजल गाड़ी चलाने वालों को पकड़ने के लिए टीम बनाई गई है.

देखें विशेष रिपोर्ट



वायु प्रदूषण में टॉप पर पहुंच था पटना: दरअसल, पटना में वायु प्रदूषण (air pollution in Patna) वर्ष 2019 में देश में टॉप पर पहुंच गया था. पटना का एक्यूआई लेवल (AQI Level in Patna) 400 के पार पहुंच गया था. इसकी सबसे बड़ी वजह वाहनों से होने वाला प्रदूषण है. इसके बाद सरकार ने डीजल गाड़ियाें के परिचालन को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया था. 2019 में ही कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि पटना नगर निगम क्षेत्र के साथ ही दानापुर, खगौल और फुलवारीशरीफ में 31 जनवरी 2020 से डीजल चालित गाड़ियों का परिचालन बंद कर दिया जाएगा.

31 मार्च 2022 तक थी माेहलत: बाद में इसे 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया. इसके बाद 30 सितंबर की नई तारीख तय की गयी. फिर 31 मार्च 2022 तक की माेहलत दी गई ताकि लाेग डीजल गाड़ियाें काे सीएनजी में कन्वर्ट करा सकें. अब बिहार का परिवहन विभाग और माेहलत देने के मूड में नहीं है. इस सरकारी आदेश के बाद बस और ऑटो चालकों को बड़ा झटका लगा है. ऑटो चालकों का कहना है कि हम लोगों को विकल्प देना चाहिए था. हम लोग भूखों मरने के कगार पर आ जाएंगे.

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सीएनजी में कन्वर्ट कराने के लिए अनुदान दे रही है सरकार: सरकार सीएनजी बसें खरीदने और ऑटाे में सीएनजी किट लगाने के लिए अनुदान दे रही है. 16 और 24 सीट वाली बसों के लिए अनुदान देने का प्रावधान है. कुल कीमत का 50 फीसदी या अधिकतम 7.50 लाख रुपये अनुदान के तौर पर मिलेंगे. पुराने परमिट पर नयी सीएनजी बस चला सकते हैं. डीजल या पेट्रोल चालित तिपहिया वाहन को सीएनजी में कन्वर्ट करने पर 40 हजार एकमुश्त अनुदान मिलेगा. 7 की क्षमता वाले पेट्रोल ऑटाे को सीएनजी किट के रिट्रोफिटमेंट कराने पर 20 हजार का अनुदान दिया जायेगा.

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