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दिल्ली हाईकोर्ट में चिराग पासवान की याचिका खारिज, लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को दी थी चुनौती

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Published : Jul 9, 2021, 5:19 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 5:39 PM IST

अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोजपा कोटे से मंत्री बनाए जाने के बाद चिराग पासवान के द्वारा लोजपा पर कब्जे को लेकर दायर याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इसे बिना आधार की याचिका बताया है. पढे़ं पूरी खबर..

Delhi High Court
Delhi High Court

नई दिल्ली/पटना: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में चिराग पासवान (Chirag paswan) की अर्जी पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर कब्जे के दावे की याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि चिराग ने याचिका दाखिल कर पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) को लोक जनशक्ति पार्टी का नेता के रूप में मान्यता देने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी.

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लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान गुट के प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील एके वाजपेयी के जरिये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि पशुपति पारस को लोक जनशक्ति पार्टी से निलंबित कर दिया गया है, उसके बावजूद लोकसभा के स्पीकर ने उन्हें पार्टी का सदन में नेता के रूप में मान्यता दी.

सुनवाई के दौरान चिराग पासवान की ओर से वकील एके वाजपेयी से कोर्ट ने पूछा कि आपकी पार्टी में कितने सांसद हैं, तब वाजपेयी ने कहा कि छह सांसद हैं, जिनमें से एक बचे हैं. कोर्ट ने कहा कि वे कहते हैं कि वे ही पार्टी हैं, क्या यह सही है. पहले आपको उसे सुलझाना चाहिए. तब वाजपेयी ने कहा कि मैं स्पीकर के फैसले को चुनौती दे रहा हूं. उन्होंने उस सर्कुलर का जिक्र किया, जिसमें चिराग पासवान का पार्टी के दल के फ्लोर लीडर से नाम हटाया गया और उसके बाद पशुपति पारस का नाम लिखा गया. उन्होंने कहा कि उस सर्कुलर के जारी होने के पहले चिराग पासवान पार्टी के लोकसभा में नेता थे, उन्हें पार्टी को बिना कोई सूचना दिए लोकसभा के नेता के पद से हटाया गया.

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वाजपेयी ने संसदीय कानून के नियम 2(एफ) का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि चिराग पासवान को हटाने का फैसला संसदीय बोर्ड को लेना था. पशुपति पारस ने पार्टी के संविधान के खिलाफ काम किया. उन्होंने कुछ अखबारों की खबरों को पढ़ा, तब कोर्ट ने कहा कि मेरा अखबारों की कटिंग में कोई रुचि नहीं है. वाजपेयी ने कहा कि पशुपति पारस पार्टी के लोकसभा में नेता के पहले पार्टी के चीफ व्हिप थे. चीफ व्हिप ने स्पीकर को पत्र लिखा और उस आधार पर सर्कुलर जारी कर दिया गया, तब कोर्ट ने पत्र की कॉपी मांगी. वाजपेयी ने कहा कि वह कॉपी नहीं है क्योंकि वो हमें दिया ही नहीं गया.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पीकर को इस सुनवाई का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए. तब कोर्ट ने कहा कि हमने अभी उन्हें नहीं बुलाया. कुछ तथ्य उपलब्ध नहीं हैं. तब मेहता ने कहा छह चुने हुए प्रतिनिधि हैं जिसमें से पांच याचिकाकर्ता के साथ नहीं हैं. उनकी मांग है कि पार्टी का संविधान लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि मान लिया जाए कि उन पांच में से कोई एक कोर्ट आ जाए तो इसका फैसला कैसे होगा, इस विवाद की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है.

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लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान गुट के प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील एके वाजपेयी के जरिये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि पशुपति पारस को लोक जनशक्ति पार्टी से निलंबित कर दिया गया है, उसके बावजूद लोकसभा के स्पीकर ने उन्हें पार्टी का सदन में नेता के रूप में मान्यता दी.

बता दें कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी पर वर्चस्व को लेकर लड़ाई चल रही है. चिराग पासवान ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. चिराग ने कहा है कि पार्टी विरोधी और पार्टी नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति पारस को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है. बता दें कि पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में केंद्र में मंत्री बनाया गया है.

Last Updated : Jul 9, 2021, 5:39 PM IST
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