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असहमति के बावजूद चल रही है BJP-JDU की 'समझौते की सरकार', लेकिन अब विवाद का कारण बन सकते हैं ये मुद्दे

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Published : Sep 27, 2021, 9:42 PM IST

जेडीयू और बीजेपी
जेडीयू और बीजेपी

पहले बीजेपी उन मुद्दों को उठाने से बचती थी जिस पर जेडीयू की नाराजगी थी, लेकिन केंद्र में बहुमत की सरकार बनने के बाद से बीजेपी का रुख बदला है. यही वजह है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून, जातीय जनगणना और अब रामायण-महाभारत को पाठ्यक्रम में शामिल करने का मुद्दा बीजेपी अपने अनुसार तय कर रही है, जबकि इन सभी मुद्दों पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अलग राय है.

पटना: बिहार में लंबे समय से बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) गठबंधन की सरकार है. वैसे तो दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहा है, लेकिन हाल के कुछ महीनों की बात करें तो जातीय जनगणना (Cast Census), जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) और रामायण-महाभारत पाठ्यक्रम पर दोनों दलों की अलग-अलग राय रही. इसको लेकर दोनों दल के नेता बयानबाजी भी करते रहे हैं, जिससे दोनों दलों में खटास भी बढ़ा है. हालांकि बीजेपी और जेडीयू के प्रवक्ता साफ कहते हैं कि हमारे बीच कोई दूरियां नहीं है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में एनडीए (NDA) की सरकार 5 साल चलेगी, विपक्ष तो शुरू से अलग होने का दावा करता रहा है.

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जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसको लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बनती दिख रही हो. बात चाहे जातीय जनगणना की हो या जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात हो या फिर रामायण-महाभारत को पाठ्यक्रम में शामिल करने का मुद्दा हो, हमारा स्टैंड शुरू से स्पष्ट है.

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वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अजफर शम्सी का कहना है कि विपक्ष रात में नहीं दिन में सपने देख रहा है, इसलिए दोनों दलों के बीच दूरियों की बात कर रहा है. हमलोग एक जुट हैं. उन्होंने कहा कि जब से हमारी सरकार बनी है तभी से ही विपक्ष रोज सरकार गिरने का दावा करता रहता है.

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बीजेपी-जेडीयू में बढ़ रही दूरियों को लेकर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि बीजेपी-जेडीयू के बीच बेमेल गठबंधन है. दोनों सरकार बनाने के लिए ही एक साथ हैं. इनके बीच किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं है. इसलिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लगातार कह रहे हैं कि दोनों के गठबंधन से बिहार को नुकसान हो रहा है.

वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच कभी भी संबंध बहुत मधुर नहीं रहे हैं, लेकिन सरकार चलाने के लिए दोनों तरफ से समझौता होता रहा है. जिस प्रकार से हाल के दिनों में विवादित मुद्दे सामने आ रहे हैं, जाहिर तौर पर इनके बीच कटुता बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि इन चीजों को लेकर नीतीश कुमार भी सहज नहीं है, लेकिन 2024 से पहले कुछ हो पाएगा ऐसी उम्मीद अभी भी नहीं लग रही है.

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दरअसल तीन तलाक, सीएए और एनआरसी पर भी जेडीयू की बीजेपी से अलग राय रही है. यही नहीं 370 और राम मंदिर को लेकर भी जेडीयू का रुख बीजेपी से अलग रहा है. जातीय जनगणना पर जेडीयू केंद्र की सरकार से सहमत नहीं है. पार्टी हर हाल में जातीय जनगणना कराना चाहती है और इसमें विपक्षी दलों का सहयोग भी मिल रहा है. उसी तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी नीतीश कुमार सहमत नहीं हैं. उनका अपना तर्क है. जबकि रामायण-महाभारत पर भी जेडीयू को बीजेपी के रवैये से आपत्ति है, लेकिन इसके बावजूद फिलहाल जेडीयू और बीजेपी के बीच कोई बड़ा फैसला होगा, इसकी उम्मीद कम है लेकिन जानकार कहते हैं कि यह मुद्दा आगे चलकर विवाद का बड़ा कारण जरूर बनेगा.

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