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JDU में नेता पुत्रों का जमावड़ा: आखिर क्यों दिग्गजों के बेटों को नीतीश के साथ ही दिखता है उज्ज्वल भविष्य?

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Published : Apr 13, 2022, 8:12 PM IST

विपक्षी दल के दिग्गज नेता के पुत्र
विपक्षी दल के दिग्गज नेता के पुत्र

बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीति करने वाले विपक्षी दल के दिग्गज नेता के पुत्र (Veteran Leader Sons of Opposition Party) लगातार नीतीश कुमार की शरण में जा रहे हैं. बिहार का मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के दो दिग्गज नेताओं के पुत्र नीतीश कुमार में ही बिहार का भविष्य देख रहे हैं. वहीं इससे पहले भी कई दिग्गज नेताओं के पुत्र जेडीयू में शामिल हो चुके हैं. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: बिहार में दिग्गज समाजवादी नेताओं और विपक्षी दल के दिग्गज नेताओं के पुत्र नीतीश कुमार की शरण में जा रहे हैं. एक के बाद एक कई नेता पुत्र के चहेते नीतीश बन रहे हैं. आरजेडी के दिग्गज नेता रहे रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र सत्यप्रकाश (Raghuvansh Prasad son Satyaprakash) पहले ही नीतीश की शरण में जा चुके हैं. हाल ही में जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह (Jagdanand Singh Son Ajit Singh) ने भी नीतीश कुमार में विश्वास जताया है. कांग्रेस के दिग्गज रहे सदानंद सिंह के पुत्र भी नीतीश की शरण में जा चुके हैं. वहीं, नरेंद्र सिंह के पुत्र भी नीतीश कुमार की शरण में हैं और बिहार सरकार में मंत्री भी हैं.

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नीतीश कुमार में दिख रहा अपना भविष्य: दिग्गज नेता पुत्रों को नीतीश कुमार में ही अपना भविष्य दिख रहा है. रघुवंश प्रसाद सिंह जीवन के अंत तक आरजेडी के साथ रहे, लेकिन उनके जाने के बाद उनके पुत्र नीतीश कुमार में विश्वास व्यक्त करते हुए जदयू में चले आए. उसी तरह जगदानंद सिंह आरजेडी के साथ हैं, अभी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने में लगे हैं, लेकिन खुद उनके पुत्र को आरजेडी में भविष्य नहीं दिखता है और नीतीश कुमार में बिहार का भविष्य नजर आ रहा है. रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह दोनों लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे हैं, लेकिन इनके पुत्र लालू से अधिक नीतीश कुमार में विश्वास जता रहे हैं.

JDU में शामिल हो चुके दिग्गज नेताओं के पुत्र: कांग्रेस के दिग्गज सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद (Sadanand Singh son Shubhanand) भी पिछले साल जेडीयू में शामिल हो चुके हैं. वहीं, नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित सिंह (Narendra Singh son Sumit Singh) 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार के खिलाफ लड़कर चुनाव जीते, लेकिन नीतीश कुमार में विश्वास जताते हुए जेडीयू को समर्थन दे दिया और आज नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री हैं. इसके अलावा भी कई नाम है जो अपने पुराने दल को छोड़कर नीतीश कुमार के साथ काम कर रहे हैं.

''नेता पुत्रों को नीतीश कुमार की पार्टी में अपना भविष्य दिख रहा है यह एक बड़ा कारण है. इसके कारण लगातार दिग्गज नेताओं के पुत्र नीतीश कुमार के साथ जुड़ रहे हैं और आगे भी जुड़ेंगे. इसके साथ यह भी है कि आरजेडी में खुद तेजस्वी यादव युवा हैं और ऐसे में नेता पुत्रों को लगता है कि उनके लिए वहां बहुत अधिक गुंजाइश नहीं है.''- अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ


''जो नीतीश कुमार अपनी विचारधारा का परित्याग करके आरएसएस के विचारधारा को आत्मसात कर लिया हो, उस पर यदि कोई विश्वास करता है तो कहीं ना कहीं उसकी सोच इस तरह से बन गई है हमको सिर्फ सत्ता में जाना है. यदि उनमें कोई विश्वास करता है तो तय है सत्ता के लिये जा रहे हैं, लेकिन जो लोग गए हैं उनकी क्या स्थिति है वह भी देख लेना चाहिए''- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी

जेडीयू की तरफ से यह बार-बार कहा जाता है कि नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के विजन और विकास कार्य से प्रभावित होकर ही दूसरे दल के नेता जेडीयू में आ रहे हैं. वहीं, बीजेपी का भी कहना है कि एनडीए के विकास कार्य से ही दूसरे दल के नेता प्रभावित हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि आरजेडी जैसी पार्टियां पारिवारिक पार्टी है, उस पार्टी का कोई भविष्य नहीं है.

''वो सभी जान रहे हैं कि ये परिवारवादी पार्टी है. पिता, पुत्र वाली संस्करण में चलने वाली पार्टी है. ये कहीं ना कहीं जमींदारी मानसिकता वाली पार्टी है. यो लोगों को रैयत के रूप में समझने वाली पार्टी है. ऐसे में वो राजद में कैसे विश्वास करेंगे. वो देख रहे हैं कि जो बिहार का विश्वास कर रहा है, जो अपने साथ सारे लोगों को साथ चलने वाली पार्टी है. सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास वाली पार्टी है. इसकी नीति, नेता, नियत सब तय है, इसलिए एनडीए में सब आ रहे हैं.''- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

दिग्गज नेता पुत्रों को भविष्य की चिंता: दलबदल लंबे समय से हो रहा है नीतीश कुमार कई बार दूसरे दलों को तोड़ चुके हैं. कांग्रेस, आरजेडी, बसपा, लोजपा सहित कई दलों में लंबे समय से सेंध लगाते रहे हैं. कई नेता चुनाव लड़ने के लिए तो कुछ मंत्री बनने के लिए आते रहे हैं. लेकिन, फिलहाल ना तो विधानसभा का चुनाव होना है और ना ही लोकसभा का चुनाव होना है. इसके बावजूद नेता पुत्रों का शामिल होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. ऐसे जानकार कहते हैं 2024 और 2025 की उम्मीद को लेकर ही जेडीयू का झंडा थाम रहे हैं.

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