ETV Bharat / city

बांका मदरसा विस्फोट: बिहार में जोरों पर है अल्पसंख्यक सियासत, जानिए इसकी असल वजह

author img

By

Published : Jun 10, 2021, 10:03 PM IST

Updated : Jun 10, 2021, 11:41 PM IST

बांका के मदरसा में हुए विस्फोट को लेकर बिहार में अल्पसंख्यक पॉलिटिक्स जोर पकड़ने लगी है. एक ओर बीजेपी मदरसों की जांच कराने की बात कह रही है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार में साथ रहने वाली जेडीयू और हम ने बीजेपी को नसीहत देना शुरू कर दिया है. आरजेडी और कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी पहले से ही. पढ़ें पूरी रिपोर्ट-

patna
बिहार में जोरों पर हैं अल्पसंख्यक सियासत

पटनाः बांका के मदरसा में हुए विस्फोट के बाद से ही बिहार में अल्पसंख्यकों को लेकर सियायत जोरों पर है. जहां एक ओर बीजेपी ने मदरसों की जांच करने की मांग कर रही है, तो वहीं विपक्षी पार्टियों के साथ ही सरकार में साथ रहने वाली जेडीयू और हम ने भी बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. बड़ी बात ये है कि जदयू और हम भी इस मामले को लेकर बीजेपी को मानसिकता बदलने की सलाह दे चुकी है. विशेषज्ञ इसके पीछ सबसे बड़ा कारण अल्पसंख्यक वोट बैंक के मान रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः Banka Blast Case: आतंकियों के लिए सेफ जोन माना जाता है बिहार का सीमांचल और मिथिलांचल


बांका मदरसा विस्फोट की जांच शुरू हो गई है, लेकिन इस मामले के कारण बिहार में 'अल्पसंख्यक सियासत' ने भी जोर पकड़ ली है. इस मुद्दे पर बीजेपी को हमला करने का मौका मिल गया है. वह इसी बहाने सभी मदरसों पर उंगली उठा रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी की मंशा पर उसके अपने सहयोगी जेडीयू के संग ही आरजेडी के नेता भी सवाल खड़े कर रहे हैं.

देखें वीडियो

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का कहना है कि बीजेपी इसलिए मुद्दा बना रही है क्योंकि उसकी नजर अब यूपी चुनाव पर है. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ का तर्क कुछ अलग ही है, उनका कहना है कि बीजेपी के अनुसार जहां-जहां विस्फोट होगा उसे बंद कर दिया जाए तो बोधगया मंदिर में भी विस्फोट हुआ था उसे भी बंद कर दिया जाए, संसद में विस्फोट हुआ उसे भी बंद कर दिया जाए.

वहीं जदयू का कहना है की जांच हो रही है लेकिन मदरसा पर सवाल उठाना सही नहीं है. पूर्व मंत्री मनाज़िर हसन ने कहा कि जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि मदरसा में आतंक की पढ़ाई होती है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता होगा तो मैं राजनीति से संयास ले लूंगा. वहीं जीतनराम मांझी ने तो बीजेपी को मानसिकता सुधारने तक की नसीदत तक दे दी है.


दरअसर बिहार के में 16 से 17 फीसद के करीब अल्पसंख्यक वोट है. वहीं सीमांचल जहां अल्पसंख्यक समुदाय बहुतायत में हैं अधिकांश सीटों पर जीत-हार का फैसला वही करते हैं. इस बार महागठबंधन की सरकार बिहार में नहीं बनी तो इसका एक बड़ा कारण सीमांचल से सीट नहीं मिलना रहा.

यहां की कई सीटें एआईएमआईएम (AIMIM) को चली गईं. ऐसे में अल्पसंख्यक को नाराज करने का जोखिम कोई भी समाजवादी विचारधारा वाली पार्टी नहीं उठाना चाहती है. यही कारण है कि बांका मदरसा विस्फोट मामले में खुलकर कोई भी कुछ भी विरोध में बोलने से बच रहा है.

इसे भी पढ़ेंः Banka Madarsa Blast: मदरसा ब्लास्ट में आतंकी कनेक्शन नहीं, IED नहीं देशी बम से हुआ धमाका- SP


बिहार में 243 सीटों में से 40 से अधिक सीटों पर अल्पसंख्यक हार जीत का फैसला तय करते हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. जदयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से किसी को भी चुनाव में जीत नहीं मिली. वहीं सबसे चौंकाने वाला रिजल्ट एआईएमआईएम का रहा जिसके 5 उम्मीदवार चुनाव जीते.

2005 में अल्पसंख्यकों पर लालू का एकाधिकार रहा, लेकिन माना जाता है कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद कई बड़े फैसले लिए गए और बीजेपी में के साथ रहते हुए भी नीतीश मुस्लिमों के सबसे भरोसेमंद रहे. 2005 के बाद से बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक उम्मीदवार चुनाव जीते और उन्हें जदयू में बड़ा हिस्सा मिलता रहा है.

बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो सबसे अधिक आरजेडी के 8 उम्मीदवार जीते. उसके बाद ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से पांच, कांग्रेस के चार सीपीआई एम के एक और बहुजन समाज पार्टी के 1 उम्मीदवार चुनाव जीते. बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक अब जदयू में शामिल हो गए हैं और मंत्री भी बन गए हैं. जदयू ने उम्मीदवारों को टिकट दिया था लेकिन एक भी नहीं जीत पाया.


बिहार में अल्पसंख्यकों पर चर्चा इसलिए जरूरी हैं बांका के मदरसे में हुए विस्फोट की जांच एनआईए कर रही है. यानि मामला आतंकवाद से जुड़ा हुआ हो सकता है. बिहार में पहले भी आतंकी घटना में गिरफ्तारी हो चुकी है. आपको याद हो कि यासीन भटकल बिहार में मिथिलांचल और सीमांचल में लंबे समय तक काम करता रहा था.

उसकी गिरफ्तारी भी हुई और दरभंगा मॉड्यूल की खूब चर्चा हुई थी. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भी नरेंद्र मोदी की सभा में जिस प्रकार से विस्फोट हुआ, लोगों की मौत हुई, उसके बाद भी कई लोगों की गिरफ्तारी बिहार से हुई और लगातार गिरफ्तारियां होती रही.

बताते चलें कि मदरसों को लेकर पहले भी कई बार सवाल उठते रहे हैं. खासकर सीमांचल इलाकों में मदरसों से कई तरह की गतिविधियों के संचालन की खबरें लगातार चर्चा में रहती हैं. लेकिन नीतीश सरकार अल्पसंख्यक के नाराज होने के डर से सख्त एक्शन लेने से बचती रही है.

हालांकि बिहार में नीतीश कुमार के शासन में मदरसों को कई प्रकार की मदद भी दी गई है. कंप्यूटर शिक्षा से लेकर कई तरह की आधुनिक व्यवस्था करने की कोशिश भी हुई है. लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार मदरसों को लेकर उतनी गंभीर हुई नहीं हुई जितनी जरूरत थी.

Last Updated : Jun 10, 2021, 11:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.