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कटिहार में हिन्दू मनाते हैं मुहर्रम, दशकों से चली आ रही है ये परंपरा

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Published : Aug 9, 2022, 8:41 PM IST

कटिहार के महमुदिया हरिपुर गांव के मुहर्रम (Muharram celebrate in katihar) का त्यौहार हिन्दू मनाते हैं. दशकों से ये परंपरा चली आ रही है. इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग चादर पोशी भी करते हैं. जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं भी शामिल होती हैं. इस दौरान यहां इमाम हुसैन के नारे भी लगाए जाते हैं. साथ ही फातिहा भी पढ़ा जाता है.

कटिहार मे हिन्दू मनाते हैं मुहर्रम
कटिहार मे हिन्दू मनाते हैं मुहर्रम

कटिहार: बिहार के जिला कटिहार के हसनगंज इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोग इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन मुस्लिम समुदाय (muharram celebrated by hindu community) के लोग खुद को यातनाएं देकर उनके प्रति अपना दुख प्रकट करते हैं. वैसे तो मोहर्रम मुस्लिम समुदाय के लोग ही मनाते हैं लेकिन कटिहार में एक ऐसा गांव भी है. जहां हिंदू समुदाय के लोग भी यह त्यौहार मनाते हैं. खास बात तो यह है कि यह परंपरा यहां दशकों से चली आ रही है.

हिंदू समुदाय के लोग मनाते हैं मुहर्रम का त्यौहार: दरअसल यह पूरा मामला जिले के हसनगंज प्रखंड के महमुदिया हरिपुर गांव का है. जहां हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिमों की तरह मोहर्रम का त्यौहार मनाते हैं. इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग चादर पोशी भी करते हैं. जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं भी शामिल होती हैं. इस दौरान यहां इमाम हुसैन के नारे भी लगाए जाते हैं. साथ ही फातिहा भी पढ़ा जाता है.

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कटिहार में मुहर्रम का जश्न: हालांकि हिन्दू समुदायों द्वारा मुहर्रम मनाये जाने के पीछे एक लम्बी कहानी है. बताया जाता है कि गांव में पहले वकील मियां नाम के एक शख्स रहते थे, लेकिन अपने बेटे की मौत से दुखी होकर वह गांव छोड़कर चले गए, उनके जाने से पहले उन्होंने छेदी साह नाम के व्यक्ति को गांव में मुहर्रम मनाने को कहा था, क्योंकि हसनगंज एक हिंदू बहुल क्षेत्र था और पन्द्रह सौ की आबादी में इस गांव में कोई भी मुसलमान परिवार नहीं था.

वकील मियां से किए गए वादे पूरे करते हैं हिंदू: इस लिए वकील मियां से किए गए वादे के चलते (Hindu community celebrate Muharram in bihar) हिंदू लोग आज भी इस गांव में मोहर्रम का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं. स्थानीय ग्रामीण जयप्रकाश साह बताते हैं कि 'सौ सालों से भी अधिक समय से यह परंपरा यहां जारी है और उनका कहना है कि वह आगे भी जारी रखेंगे'.

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वहीं स्थानीय ग्रामीण छेदी लाल साह कि माने तो चार दिन तक चलने वाले इस त्यौहार को लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और ताजिया को पूरे गांव में घूमाते हैं. मोहर्रम के मौके पर लोग इमाम बाड़ों की साफ-सफाई, रंग रोगन भी करते हैं. हिन्दू ग्रामीण झरने की थाप पर मरसिया भी गाते हैं. हसनगंज इलाके में मनाए जाने वाले इस मोहर्रम की चर्चा सिर्फ जिले भर में ही नहीं बल्कि सूबे के कई जिलों में होती है और इस मोहर्रम को लोग गंगा जमुना तहजीब के अनोखे मिसाल के रूप में भी देखते हैं.

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