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कटिहार: कागजों पर सिमटी सरकारी योजनाएं, दिव्यांगों को नहीं मिल रहा कोई लाभ

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Published : Jan 21, 2020, 12:34 PM IST

विकलांग नीरज बताते हैं कि उनको मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ पाना इतना भी आसान नहीं है. बैंक अधिकारियों की वजह से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है.

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कटिहार: दिव्यांगों की मदद के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. उन्हें सरकारी क्षेत्रों में नौकरी के लिए 3 फीसदी और निजी क्षेत्रों में 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा है, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. लेकिन, दिव्यांगों की एक बड़ी संख्या आज भी सर्टिफिकेट, पेंशन आदि के चक्रव्यूह में फंसकर परेशान है.

दिव्यांगों में नहीं है उत्साह
कटिहार सदर अस्पताल में प्रमाणपत्र के लिए मेडिकल टेस्ट देने आए दिव्यांगों से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की, तो पता चला कि दिव्यांगों में इन सरकारी योजनाओं को लेकर कोई उत्साह नहीं है. उनका मानना है कि नौकरी के रास्ते इतने आसान नहीं हैं. वे सरकार की मदद से अपनी दुकानें खड़ी करना चाहते हैं.

परेशान हैं दिव्यांग

योजनाओं का लाभ पाना आसान नहीं
विकलांग नीरज बताते हैं कि उनलोगों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ पाना इतना भी आसान नहीं है. बैंक अधिकारियों की वजह से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. उन्होंने बैंक में ऋण के लिए अप्लाई किया था. लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला.

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प्रमाण पत्र के लिए मेडिकल टेस्ट देने पहुंचे दिव्यांग

नहीं मिलती है नौकरी
भारत सरकार के आरसीआई के जोनल कॉर्डिनेटर शिवशंकर रमानी का भी मानना है कि दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का कुछ विशेष फायदा नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि जब कोई दिव्यांग किसी कार्यालय में नौकरी के लिए पहुंचता है, तो उसे यह कहकर नौकरी नहीं दी जाती है कि आप तो दिव्यांग हैं, आपको काम कैसे दे सकते हैं.

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Intro: योजनायें तमाम फिर भी दिव्यांग परेशान


.......दिव्यांगों के मदद के लिये सरकार कई योजनायें चला रहीं हैं । सरकारी क्षेत्रों में नौकरी के लिये तीन फीसदी और निजी क्षेत्रों में पाँच फीसदी आरक्षण दे रहीं हैं ताकि यह कुनबा अपने पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें लेकिन इसका लाभ उन तक कितना पहुँच रहा हैं , इसपर गौर करने वाला कोई नहीं हैं नतीजतन दिव्यांगों की एक बड़ी संख्या आज भी सर्टिफिकेट , पेंशन के अलावा दो जून के अनाज के जुगाड़ के चक्रव्यूह में फंस कराह रहे हैं । इन दिव्यांगों की जिंदगी संघर्षमय हैं ......।


बाइट 1....दिलीप कुमार दिव्यांग
2....नीरज कुमार दिव्यांग
3....शिवशंकर रमानी जोनल कॉर्डिनेटर / आरसीआई


Body:दाल - रोटी के लिये संघर्ष कर रहा हैं दिव्यांगों का एक बड़ा तबका ।

कटिहार सदर अस्पताल में दिव्यांग प्रमाणपत्र के लिये मेडिकल टेस्ट देने आये यह लोग निःशक्तजन हैं । कोई विजुअल हंडीकैप्ट हैं तो कोई फिजिकल हंडीकैप्ट हैं तो कोई मेन्टल .....। सरकार ने चालीस फीसदी से ज्यादा मेडिकल रिपोर्ट वाले को दिव्यांगों को सरकारी नौकरी में तीन फीसदी जबकि निजी क्षेत्रों में पाँच फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की हैं लेकिन सरकार के योजनाओं से दिव्यांगों में कोई उत्साह नहीं हैं । वह नौकरी पाने के बजाय अपने पेड़ों पर खड़े हो जीना चाहते हैं । उनकी माने तो नौकरी के रास्ते इतने आसान नहीं हैं .....। दिव्यांग दिलीप चाहते हैं कि कुछ सरकारी मदद मिल जाये तो वह अपनी दुकानों को चमका सकें .....। विकलांग नीरज बताते हैं कि योजनाओं का लाभ पाना इतना आसान नहीं , बैंकों के बाबुओं की वजह से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता......। उसने बैंकों में ऋण ले लिये अप्लाई किया था लेकिन कुछ नही मिला.....। भारत सरकार के आरसीआई के जोनल कॉर्डिनेटर शिवशंकर रमानी बताते हैं कि कुछ विशेष फायदा दिव्यांगों को नहीं मिल पा रहा हैं ......।


Conclusion:दिव्यांगों के कल्याण के लिये एक बड़े अभियान की जरूरत ।

जरूरत हैं दिव्यांगजन के मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने , उनके गरिमा , अधिकार और उनके जिन्दगी को कल्याणमय बनाने के लिये कदम उठाने की....। मात्र योजनाओं के घोषणाओं से दिव्यांगों का कल्याण मुमकिन नहीं बल्कि इसके लिये एक बड़े अभियान की जरूरत हैं .......।
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