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मटका कूलर बनाने वाली सुष्मिता को पीएम मोदी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने सराहा

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Published : Aug 15, 2021, 1:19 AM IST

गया में मटका कूलर बनानेवाली एक शिक्षिका सुष्मिता सान्याल कूलर का प्रजेंटेशन केंद्र सरकार के प्रधान सलाहकार वैज्ञानिक विजय राघवन ने देखा. उनसे प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा भी की.

सुष्मिता सान्याल
सुष्मिता सान्याल

गया: बिहार के गया जिले के चंदौती प्रखंड स्थित चंदौती उच्च विद्यालय की शिक्षिका सुष्मिता सान्याल (Sushmita Sanyal) वेस्ट टू हेल्थ प्रोग्राम (Waste To Health Program) के तहत घड़ा का कूलर तैयार किया है. शनिवार को कूलर का प्रजेंटेशन केंद्र सरकार के प्रधान सलाहकार वैज्ञानिक विजय राघवन ने देखा. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को सराहा. बता दें, सुष्मिता सान्याल को केंद्र सरकार ने कचरे से ऊर्जा तैयार करने के लिए एक साल की फेलोशिप भी दी है.

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दरअसल, गया शहर के चंदौती मध्य विद्यालय की शिक्षिका सुष्मिता सान्याल कचड़ा प्रबंधन के लिए काम कर रही हैं. भारत सरकार के प्रधानमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद के 9 राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के वेस्ट टू वेल्थ मिशन के तहत अपशिष्ट प्रबंधन से ऊर्जा निर्माण करने के लिए सुष्मिता को फेलोशिप दी गई है.

सुष्मिता सान्याल के अब तक के कार्यों के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और प्रधान सलाहकार वैज्ञानिक के सामने वर्चुअल तरीके से आज शनिवार को ढाई बजे प्रेजेंटेशन हुआ. जिसमें उनके द्वारा किए गए कार्य और शोध को मोदी के प्रमुख सलाहकार वैज्ञानिक ने सराहना की.

सुष्मिता सान्याल ने बताया कि केंद्र सरकार स्वच्छता सारथी मिशन हम जैसे लोगों को एक मंच देता है. यह मिशन केंद्र सरकार के प्रमुख सलाहकार वैज्ञानिक के द्वारा संचालित की जा रही है. जब मैंने मटका वाला कूलर प्रोजेक्ट को सबमिट किया था, उस वक्त 1000 से अधिक प्रोजेक्ट के एप्लीकेशन आए थे.

उसमें से मेरे प्रोजेक्ट को सेलेक्ट किया गया है. पूरे देश मे 60 प्रोजेक्ट में से एक मेरा भी प्रोजेक्ट है. आज उसी के तहत मुझे मौका मिला है. केंद्र सरकार के मुख्य सलाहकार वैज्ञानिक के साथ में चर्चा हुई. उन्होंने मेरे काम की काफी सराहना की. उन्होंने कहा कि जब आप जैसी महिलाएं इस तरह का प्रयोग करेंगी तो केंद्र सरकार के ग्रीनरी और क्लिनियर मिशन में जल्दी सफलता मिलेगी.

'मैं पिछले तीन सालों से कचड़े का निष्पादन और रिसाइक्लिंग का काम कर रही हूं. घड़ा वाला कूलर घर से निकलने वाले कचड़ा से बना है. जिसको बनाने में मात्र 500 रुपया खर्च आता है. मुझे केंद्र सरकार द्वारा जो फेलोशिप मिला है, उसमें कचड़ा से ऊर्जा का विकास करना है. अभी मैं कूलर को चलाने के लिए बाइक की बैटरी का उपयोग कर रही हूं. लेकिन मुझे कचड़े से ऊर्जा का उपयोग करना है. इसके लिए मैं बायो बैटरी बनाने के लिए काम कर रही हूं. यह बैटरी गोबर से बनेगा अभी इस पर शोध कर रही हूं. केन्द्र सरकार के मुख्य सलाहकार ने वैज्ञानिक स्वच्छता सारथी संवाद के तहत मेरे प्रोजेक्ट पर चर्चा की.' -सुष्मिता सान्याल, टीचर

सुष्मिता सान्याल बताती हैं कि घड़े का कूलर और कचड़ा से ऊर्जा के निर्माण के अलावा छोटे प्लास्टिक डिब्बे और गमले में वर्मी कंपोस्ट बनाती हूं. उस पर भी चर्चा करेंगे. इस वर्मी कंपोस्ट में घर के किचन से निकलने वाला कचड़ा होता है. जिससे पेंट के डिब्बे और गमले में बनाती हूं. यह प्रयोग भी कचड़े के निष्पादन के लिए अहम है.

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