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सिग्नलिंग और दूरसंचार के आधुनिकीकरण के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा रेलवे

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Published : Jun 15, 2021, 9:41 PM IST

सिग्नलिंग और दूरसंचार के आधुनिकीकरण (Modernization of Signaling) के लिए रेलवे 55,000 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश करेगा. इस नामले में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड के सदस्य (Railway Board Member Infrastructure ) संजीव मित्तल (Sanjeev Mittal) ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन के तहत TCAS को भारत के राष्ट्रीय एटीपी के रूप में अपनाने का निर्णय लिया है.

रेलवे
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नई दिल्ली : सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने सिग्नलिंग और दूरसंचार के आधुनिकीकरण (Modernization of Signalling) के लिए 55,000 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश योजना तैयार की है. सिग्नलिंग आधुनिकीकरण के माध्यम से रेलवे नेटवर्क क्षमता के विस्तार से रेलवे को भूमि अधिग्रहण (acquiring land) करके नए ट्रैक बिछाने (lay new tracks ) मदद मिलेगी. अब तक भारतीय रेलवे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों (Automatic Train Protection systems) के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर था.

भारतीय फर्मों के साथ रेलवे ने सफलतापूर्वक स्वदेशी लागत प्रभावी तकनीक एटीपी विकसित की है - जिसे ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (rain Collision Avoidance System) कहा जाता है.

रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड के सदस्य (Railway Board Member Infrastructure ) संजीव मित्तल (Sanjeev Mittal) ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन के तहत TCAS को भारत के राष्ट्रीय एटीपी के रूप में अपनाने का निर्णय लिया है.

पहले चरण में महत्वपूर्ण मार्गों को कवर करते हुए 37300 मार्ग किलोमीटर के लिए टीसीएएस को मंजूरी दी गई है. टीसीएएस के लागू होने से मानवीय त्रुटि (human error) के कारण होने वाले ट्रेन की टक्कर समाप्त हो जाएगी और भारतीय रेल की गति क्षमता में वृद्धि होगी जिससे यात्रा समय ( travel time) कम हो जाएगा.

सिग्नलिंग और दूरसंचार के आधुनिकीकरण के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा रेलवे

उन्होंने आगे कहा, 'एक तकनीकी समिति ( technical committee) है, जो विश्व स्तर पर सर्वोत्तम सुविधाओं का चयन करेगी, जिन्हें टीसीएएस के लिए अपनाया जा सकता है. /u लोकोमोटिव उपकरण और ट्रैक उपकरण की लागत ईटीसीएस से सस्ती होगी.

आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए एक अन्य कदम उठाते हुए सरकार ने स्टेशनों और ट्रेनों में सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए भारतीय रेलवे को 700 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड (MHz frequency band) में पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दी है.

इस स्पेक्ट्रम के साथ भारतीय रेलवे ने अपने मार्ग पर दीर्घकालिक विकास (Long Term Evolution) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (Mobile Train Radio Communication) प्रदान करने की परिकल्पना की है. परियोजना में अनुमानित निवेश 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है. परियोजना अगले 5 वर्षों में पूरी हो जाएगी.

रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य-दूरसंचार अरुणा सिंह (Aruna Singh) ने बताया कि स्पेक्ट्रम शुल्क (spectrum fee) की सही राशि रेलवे द्वारा स्थापित टावरों की संख्या पर निर्भर करेगी, जो कि दूरसंचार विभाग द्वारा लिया गया निर्णय होगा.

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इस कदम से मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए अधिक ट्रेनों को समायोजित करने के लिए सुरक्षा में सुधार और लाइन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी. आधुनिक रेल नेटवर्क (modern rail network) के परिणामस्वरूप परिवहन लागत कम होगी और दक्षता अधिक होगी.

भारतीय रेलवे ने लगभग15000 किनी उच्च घनत्व और माल ढुलाई गहन मार्गों पर स्वचालित सिग्नलिंग शुरू करने की योजना बनाई है.

30 अप्रैल 2021 तक 3447 रूट किमी पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग (Automatic Block Signaling ) की व्यवस्था की गई है. स्वचालित सिग्नलिंग के कार्यान्वयन से क्षमता में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप अधिक ट्रेन सेवाएं संभव हो सकेंगी.

रेलवे ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (Electronic Interlocking) प्रदान करने के लिए एक नीतिगत निर्णय भी अपनाया है, जिसके तहत अगले तीन वर्षों में 1550 ईआई प्रदान करने की योजना है. अब तक, 2221 स्टेशनों को 30 अप्रैल, 2021 तक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ प्रदान किया गया है, जिसमें भारतीय रेलवे का 34% हिस्सा शामिल है.

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