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Pitru Paksha 2023 : अब घर बैठे गयाजी में करें पिंडदान.. जानें कैसे होता है ऑनलाइन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 9, 2023, 6:17 AM IST

Updated : Sep 9, 2023, 9:01 AM IST

पितरों की आत्मा की शांति के लिए अगर आप किसी कारणवश गयाजी नहीं आ सकते हैं तो चिंता मत कीजिए. बिहार सरकार की ओर से आपके लिए विशेष सुविधा दी गई है. आप घर बैठे ऑनलाइन पिंडदान करा सकते हैं. जानिये कैसे..

Pitru Paksha 2023 Etv Bharat
Pitru Paksha 2023 Etv Bharat

गया से रत्नेश की रिपोर्ट.

गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 आगामी 28 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है. पितरों को मोक्ष दिलाने वाला यह पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा. इस बार भी 10 लाख के करीब पिंडदानियों के आने का अनुमान है. वहीं, इसके बीच वैसे पिंडदानी जो अपने पितरों को मोक्ष दिलाना चाहते हैं, लेकिन गया जी आने में किसी वजह से नहीं आ सकते हैं या विदेश में रहते हैं, तो उनके लिए ई पिंडदान की व्यवस्था की गई है.

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गयाजी में कैसे होगा ऑनलाइन श्राद्ध : गयाजी के पुरोहित विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, अक्षय वट, सीता कुंड में पिंडदान करवाएंगे. सब कुछ ऑनलाइन होगा. मंत्रोच्चार से लेकर दान दक्षिणा और पूजा सामग्री समेत सारे विधि विधान व कर्मकांड ऑनलाइन होंगे. ई पिंडदान के सारे कर्मकांड की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी और इसे पेन ड्राइव में कर ई पिंडदान करने वाले पिंडदानी को उसे उपलब्ध कराया जाएगा. ई पिंडदान के लिए बुकिंग बिहार राज्य पर्यटन निगम के द्वारा अपने ट्रैवल ट्रेड अकाउंट पर शुरू की जाएगी.

Pitru Paksha 2023
पितृपक्ष मेला की तैयारी

ई- पिंडदान पर 23 हजार रुपए का पैकेज: बिहार राज्य पर्यटन निगम की ओर से इसके लिए व्यवस्था कर दी गई है. सिर्फ 23 हजार खर्च करके आप ई-पिंडदान के जरिए आप पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा कर सकते हैं. यह राशि आपको एकमुश्त जमा करनी होगी. इसमें पूजन सामग्री एवं पंडित का दक्षिणा भी शामिल किया गया है.

28 सितंबर से शुरू हो रहा पतृपक्ष मेला : 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष मेले में देश और दुनिया भर से लाखों लोग गयाजी अपने पूर्वजों का पिंडदान करने पहुंचते हैं. ऐसे में पर्यटन स्थल पर साफ सफाई से लेकर श्रद्धालुओं को आने जाने के लिए हर बार की तरह इस बार भई ट्रैवल टूर के पैकेज की व्यवस्था की गई है. इस पैकेज को कई श्रेणियों में बांटा गया है.

ट्रैवल टूर पैकेज भी होगा उपलब्ध : इस बार भी पटना, पुनपुन, और गया पैकेज के लिए पहली श्रेणी में प्रति व्यक्ति 16650 रुपये का है, जबकि 4 लोगों के लिए आपको करीब 30 हजार (एक दिवसीय यात्रा) खर्च करने पड़ेगें. वहीं तीसरी श्रेणी में 4 लोगो के लिए करीब 25 हजार रुपये का पैकेज होगा. इसके अलावे भी कई तरह के पैकेज यह प्रति व्यक्ति 13450 रुपये होगा. इसके अलावे बिहार राज्य पर्यटन निगम की ओर से कई ओर पैकेज है.

Pitru Paksha 2023
विष्णुपद मंदिर का गर्भगृह

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी खर्च करनी होगी राशि : वहीं, विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल बताते हैं कि पिछले वर्ष भी ई पिंडदान की व्यवस्था की गई थी, जिसका गयापाल पंडा समाज के द्वारा विरोध जताया गया था, क्योंकि इससे उनके जजमानी पर प्रभाव पड़ता है. इस वर्ष भी ई पिंडदान का विरोध है.

''इस बार भी संबंधित विभाग द्वारा ई पिंडदान की व्यवस्था की जा रही है. पिछली बार ही गयापाल पंडा समाज के द्वारा ई पिंडदान का विरोध किया गया था. हम लोग ई पिंडदान का विरोध करते हैं, लेकिन फिर भी इस साल भी ई पिंडदान की सुविधा मुहैया कराई जा रही है.'' - शंभू लाल विट्ठल, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति



गयाजी में पिंडदान का है विशेष महत्व : पितृ पक्ष में गया में पिंडदान का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है. इसके साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गरुड़ पुराण में भी पिंडदान का महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार गया में ही भगवान राम और माता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसलिए इस स्थान पर पितृपक्ष में पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान श्रीहरि यहां पर पितृ देवता के रूप में स्वयं विराजमान रहते हैं. इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है.

फल्गु नदी के बालू से भी होता है पिंडदान : गया में 50 पिंड वेदी मौजूद हैं. इन्हीं वेदियों पर पिंडदान किया जाता है. यहां मौजूद प्रमुख पिंड वेदियों में विष्णुपद वेदी, रामशिला वेदी, धर्मारण्य वेदी, प्रेतशिला वेदी, कागबली वेदी, अक्षयवट आदि शामिल हैं. मान्यताओं है कि गया के सीता कुंड में बालू से पिंड दान करने का भी विधान है. कहा जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता जब राजा दशरथ का पिंडदान करने गया पहुंचे थे, तो माता सीता ने फल्गु नदी के बालू से ही पिंडदान किया था.

Last Updated :Sep 9, 2023, 9:01 AM IST
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