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LAC पर ठंड से 'कांपते' चीनी सैनिक, ढूंढ रहे 'रोबोटिक' Soldier का विकल्प

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Published : Jan 7, 2022, 5:47 PM IST

भारत के मुकाबले चीन के सैनिक अत्यधिक ठंड का सामना (escape extreme cold) नहीं कर पाते हैं. एलएसी पर चीन ने भारी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती तो कर रखी है, लेकिन उन्हें वहां पर बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. उनके अधिकांश सैनिक सदमे में हैं. यही वजह है कि वे अपने सैनिकों को बहुत जल्द वहां से हटा लेते हैं और फिर से नए सैनिकों की तैनाती करते हैं. इससे बचने के लिए चीन अब 'रोबोटिक सैनिक' का विकल्प ढूंढ रहा है. हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि अब तक एलएसी पर चीन का रोबोटिक सैनिक बंदूक थामे नहीं दिखा है. (no Chinese robotic soldier on LAC).

robotic soldier concept photo
रोबोटिक सोल्डर कॉन्सेप्ट फोटो

नई दिल्ली : क्या एलएसी पर चीन का रोबोटिक सैनिक देखा गया है. भारतीय सेना ने इससे साफ इनकार किया है. सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि अभी तक इसके कोई उदाहरण नहीं मिले हैं (no Chinese robotic soldier on LAC). उनका कहना है कि क्योंकि चीन के सैनिक अत्यधिक ठंड में लंबे समय तक अपनी ड्यूटी नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे रोबोटिक सैनिक का विकल्प ढूंढ रहे हैं.

यह लगातार दूसरा साल (2020 से ही एलएसी पर तनाव व्याप्त है) है कि चीन के सत्तासीन नेताओं ने अपने सैनिकों को एलएसी पर तैनाती के लिए बाध्य किया है, जहां का तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.

सुरक्षा एजेंसियों ने बताया है कि अभी तक कोई भी रोबोटिक सैनिक बंदूक थामे नहीं देखा गया है. उनका कहना है कि ठंड की वजह से चीन के सैनिक मुख्यतः कैंपों में ही रहते हैं. कभी-कभार बाहर आते हैं, लेकिन बहुत कम समय के लिए. उसके बाद वे तुरंत कैंप में वापस चले जाते हैं. यहां का मौसम और तापमान वे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं.

पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति आ गई थी. इस वजह से चीन ने एलएसी पर अपने 90 फीसदी सैनिकों को हटाकर वहां पर नए सैनिकों को भेजा था. उस समय ठंड की वजह से उनके कई सैनिक सदमे में आ गए थे.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पैंगोंग लेक इलाके में भी अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रायः चीन के सैनिक हर दिन बदले जाते हैं. उनकी आवाजाही बहुत सीमित होती है.

इससे हटकर भारतीय सैनिक मनोवैज्ञानिक रूप से काफी मजबूत हैं. वे इस वातावरण में ढले हुए हैं. माउंटेन वारफेयर का उनके पास अनुभव है. भारतीय सैनिकों की यहां पर दो सालों के लिए तैनाती की जाती है. हरेक साल 40 से 50 फीसदी सैनिकों को रोटेट किया जाता है.

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